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Updated: 12 नवम्बर, 2022 12:42 PM
अनुज शुक्ला
अनुज शुक्ला
  @anuj4media
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भारतीय मूल्यों पर बनी फ़िल्में दिखाने के लिए मशहूर राजश्री प्रोडक्शन की कोई फिल्म लंबे वक्त बाद आ रही है-ऊंचाई. यह चार बुजुर्ग दोस्तों के प्यार और भावना की कहानी है. निर्देशन खुद राजश्री के सूरज बड़जात्या ही कर रहे हैं. फिल्म में अमिताभ बच्चन, अनुपम खेर, बोमन ईरानी, डैनी, परिणिति चोपड़ा, सारिका और नीना गुप्ता अहम भूमिकाओं में हैं. ऊंचाई शुक्रवार से सिनेमाघरों में होगी. उससे पहले निर्माताओं ने मुंबई में सितारों के लिए एक स्क्रीनिंग रखी. इसमें फिल्म उद्योग के तमाम लोग आए थे और एक दिलचस्प घटना देखने को मिली. घटना क्या है, पहले उस पर बात हो जाए.

असल में स्क्रीनिंग के लिए फिल्म की स्टारकास्ट के साथ ही जो दूसरे लोग शामिल हुए उसमें कंगना रनौत और जया बच्चन भी थीं. बॉलीवुड कवर करने वाली तमाम वेबसाइट पर वीडियो देखे जा सकते हैं. सोशल मीडिया पर भी वायरल हैं. इसमें- बोमन ईरानी, अनुपम खेर, कंगना रनौत खड़े हैं. वे आने वालों की अगवानी कर रहे हैं. जया की एंट्री होती है. हालांकि वे कंगना को लगभग इग्नोर और दूसरों को इंगेज करते दिखती हैं. कुछ क्षण बाद कंगना संभवत: अपनी तरफ से मुस्कुराकर अभिवादन कर ध्यान खींचती हैं. जया बहुत अनमने ढंग से हल्की सी प्रतिक्रिया देती हैं और कंगना को छोड़कर सबसे मिलती हैं. हाथ मिलाती हैं. हंसते नजर आती हैं. और गले भी मिलती हैं. फिर अनुपम उन्हें पकड़कर आगे बढ़ जाते हैं.

वीडियो से साफ़ पता चलता है कि जया बच्चन, असल में कंगना को इग्नोर कर रही हैं. क्यों भला? कंगना ने बहुत सहज जया की गरिमा के अनुकूल ही उनका अभिवादन किया. बावजूद जया ने जिस तरह की प्रतिक्रिया दिखाई उससे कंगना के प्रति उनकी निजी घृणा का पता चलता है. कंगना को लेकर जया के घृणित व्यवहार की चार बड़ी वजहें हो सकती हैं.

1) कंगना का राजनीतिक होना.

2) कंगना के विवादित बोल.

3) कंगना का आउटसाइडर होना.

4) कंगना का बॉलीवुड की इलीट फैमिली से ना होना.  

पहली वजह को सही नहीं माना जा सकता. क्योंकि अनुपम खेर की भी राजनीतिक पक्षधरता साफ़ है. अनुपम उसी भाजपा की वैचारिकी का खुलकर सपोर्ट करते हैं, जिसके साथ कंगना हैं. उनकी पत्नी किरण खेर भाजपा सांसद भी हैं. अगर राजनीतिक पसंद-नापसंद का मामला होता तो जया भला अनुपम से भी क्यों मिलती इस तरह. और जया तो खुद भी राजनीतिक हैं. समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद हैं. और उनके पति न्यूट्रल हैं, मगर भाजपा शासित गुजरात के ब्रांड अम्बेसडर रह चुके हैं. मोदी के प्रशंसक भी हैं. मसला राजनीतिक वैचारिक नहीं है.

घृणा की दूसरी वजह भी सही नहीं है. कंगना के तमाम बयानों पर बवाल हो चुका है. वह उनका अपना पक्ष है. अगर यह वजह होती तो जया कुछ कम हैं क्या. उन्होंने भी कंगना से कुछ कम विवादित बयान नहीं दिए हैं जो असल में राजनीतिक ही हैं. निजी नहीं. तीसरी वजह यानी कंगना का आउटसाइडर होना भी ठीक नहीं मानना चाहिए. एक तरह से जया खुद भी आउटसाइडर ही हैं.

अब बचता है चौथी वजह. कंगना का बॉलीवुड और इलीट फैमिली से संबंधित ना होना. यह घृणा की वजह हो सकती है. और जया के पास उनके व्यवहार की पर्याप्त वजहे हैं. एक तो जया बहुत बड़े लेखक/पत्रकार घराने से आती हैं. उनके ससुर ना सिर्फ बहुत बड़े लेखक/साहित्यकार थे बल्कि वह नेहरू/इंदिरा के घरेलू दोस्त थे. जया के पति अमिताभ बॉलीवुड के महानायक हैं. उनसे बड़ा स्टारडम किसी का दिखा ही नहीं. वे राजीव गांधी के लंगोटिया यार भी थे. कांग्रेस से सांसद भी बने थे. उनका बेटा भी सुपरस्टार से कम नहीं है. बावजूद कि फ्लॉप है. पहचान तो सुपरस्टार की ही है. बहू ऐश्वर्या राय बच्चन भी सुपरस्टार, एक समय जिनका जादू समूचे बॉलीवुड पर छाया था. आज भी उनका जादू कुछ कम नहीं है. पोन्नियिन सेलवन 1 में लोगों ने अभी हाल में उस जादू को देखा भी.

जया के समधी बड़े कारोबारी हैं. शायद ही देश का कोई बड़ा कारोबारी, फ़िल्मी और राजनीतिक घराना हो जिनके साथ जया बच्चन के बहुत अच्छे संबंध ना हों. कंगना जिस भाजपा और नरेंद्र मोदी के पक्ष में बयान देती हैं- बच्चन परिवार के रिश्ते उनके साथ भी तो मधुर या न्यूट्रल ही बताए जाते हैं. बावजूद कि कंगना भी एक राजनीतिक परिवार से हैं और जया की तरह ही काबिल अभिनेत्री भी, लेकिन जया और उनमें जमीन आसमान का अंतर है.

असल में जया की घृणा की वजह कंगना की फ़िल्मी जाति ही है. कंगना इलीट नहीं है. वे भले ही बॉलीवुड का हिस्सा हों, पर उन्हें अपनी औकात नहीं भूलना चाहिए. बॉलीवुड से नेता बनने का हक़ सबको नहीं है. कंगना जैसी लड़कियां बॉलीवुड का हिस्सा रहकर भी अपने स्वतंत्र अस्तित्व का सपना नहीं देख सकतीं. यह सपना और अधिकार बॉलीवुड के जातिक्रम में उच्चवर्णी फ़िल्मी सितारों और घरानों का ही है. अगर ऐसा नहीं होता तो कंगना लगभग वही कर रही हैं जो बॉलीवुड में जया, हेमा, शत्रुघ्न सिन्हा या तमाम दूसरे लोग/घराने करते नजर आते हैं. और जया को अगर ऐसा करना कंगानाओं का अधिकार नहीं लगता तो वे भला कई बार कुछ लोगों (जिसमें कंगना भी शामिल हैं) पर बॉलीवुड को बदनाम करने का आरोप कैसे लगातीं. जयाओं को लगता है कि बॉलीवुड की सर्वेसर्वा वही हैं दूसरे नहीं.

बॉलीवुड में जब ड्रग्स का मामला जोरशोर से उठा था तो जया ने संसद में कुछ लोगों पर बॉलीवुड को बदनाम करने का आरोप लगाया था. क्या बॉलीवुड जया बच्चन भर का है. अगर जया का है तो कंगना का क्यों नहीं होना चाहिए?

जाति का बंटवारा सिर्फ सवर्ण, ओबीसी, एससी, एसटी में नहीं किया जा सकता कॉमरेड.

जय भीम.

लेखक

अनुज शुक्ला अनुज शुक्ला @anuj4media

ना कनिष्ठ ना वरिष्ठ. अवस्थाएं ज्ञान का भ्रम हैं और पत्रकार ज्ञानी नहीं होता. केवल पत्रकार हूं और कहानियां लिखता हूं. ट्विटर हैंडल ये रहा- @AnujKIdunia

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