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Updated: 22 जुलाई, 2022 05:11 PM
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यशराज फिल्म्स को हिंदी सिनेमा में मनोरंजक फ़िल्में बनाने के लिए याद किया जाता है. बैनर ने एक से बढ़कर एक फ़िल्में बनाकर कारोबारी बेंचमार्क स्थापित किए और लंबे वक्त तक बॉलीवुड में कंटेंट लीडर बना रहा. बैनर की फिल्मों ने हिंदी सिनेमा उद्योग में ऐसा ट्रेंड सेट किया कि छोटे बड़े तमाम बैनर्स अनुसरण करते दिखे. अतीत में यशराज फिल्म्स की एक पर एक सफलता देखकर ऐसा लगता है जैसे बैनर हिंदी के दर्शकों की नब्ज को बहुत बेहतर तरीके से जानता हो. मगर पिछले कुछ महीनों से देखने में आया है कि दर्शकों की बेरुखी की वजह से यशराज की कई फ़िल्में टिकट खिड़की पर औंधे मुंह गिर गई. ना तो स्टारकास्ट काम आई और ना ही बैनर का बहुत बड़ा नाम.

साल 2019 में रितिक रोशन टाइगर श्रॉफ की वॉर के बाद मर्दानी 2, बंटी और बबली 2, जयेश भाई जोरदार और सम्राट पृथ्वीराज टिकट खिड़की पर बहुत बुरी तरह फ्लॉप साबित हुई. ट्रेड सर्किल में सम्राट पृथ्वीराज की नाकामी की तो कल्पना तक नहीं की गई थी. तमाम राज्यों में टैक्स फ्री करार दिए जाने के बावजूद दर्शक सम्राट पृथ्वीराज को देखने पहुंचे ही नहीं. सभी फ़िल्में हर लिहाज से बड़े स्केल की थीं. एक पर एक लगातार बड़ी फिल्मों से नुकसान झेल चुके बैनर की पीरियड ड्रामा 'शमशेरा' रिलीज के लिए तैयार है. रणबीर कपूर, संजय दत्त और वाणी कपूर की फिल्म से यशराज फिल्म्स को उम्मीद होगी कि शायद शमशेरा टिकट खिड़की पर उनके सूखे को ख़त्म कर दे.

हालांकि यह सब फिल्म के कंटेंट और दर्शकों की मर्जी पर निर्भर है. दर्शक फिल्म देखने जाएंगे या नहीं- यह भविष्य की बात है. फिलहाल आइए उन तीन वजहों के बारे में जानते हैं जो किसी भी दर्शक के लिए शमशेरा को देखने की वजह बन सकता है.

shamsheraशमशेरा में रणबीर कपूर का एक लुक.

#1. रणबीर कपूर के लिए शमशेरा देखना सबसे बड़ी वजह होनी चाहिए

रणबीर कपूर बॉलीवुड के सबसे संभावनाशील अभिनेताओं में शुमार किए जाते हैं. उनके कई किरदारों ने साबित भी किया है कि भले ही वे बॉलीवुड के सबसे पुराने फ़िल्मी परिवार से आए हों, लेकिन उनकी एक्टिंग काबिलियत को चुनौती देने वाला कोई अभिनेता आसपास नजर नहीं आता. रणबीर ने अब तक अलग-अलग तरह की ना जाने कितनी भूमिकाएं की हैं. इनमें कुछ फ़िल्में ऐसी भी रही हैं जिन्हें मास एंटरटेनर नहीं कहा जा सकता बावजूद एक एक्टर की संतुष्टि के लिए उन्हें मील का पत्थर माना जा सकता है.

शमशेरा को भी रणबीर के लिए देखा जा सकता है. उनकी मौजूदगी ट्रेलर से ही असरदार दिख रही है. बतौर एक्टर रणबीर का करियर 15 साल का है. शमशेरा करियर की पहली पीरियड ड्रामा है. फिल्म का विषय भी स्वतंत्रता संग्राम है तो राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत कहानी की उम्मीद दर्शक कर सकते हैं. शमशेरा में पहली बार रणबीर का रफ टफ अवतार देखने को मिल रहा है. शमशेरा में उनके कई फाइट और एक्शन सीन्स हैं. यह भी कि एक्टर पहली बार दोहरी भूमिका निभा रहे हैं. कहा जा रहा कि रणबीर आदिवासी योद्धा/नेता की दोहरी भूमिका में हैं.

रणबीर का रोमांटिक और कॉमिक अंदाज देखने वाले दर्शकों के लिए शमशेरा निश्चित ही एक नया अनुभव होगा.

#2. संजय दत्त के रूप में दिख सकता है बॉलीवुड का सबसे हैरान करने वाला खलनायक

रणबीर की फिल्म में संजय दत्त की भूमिका भी यूएसपी ही है. ट्रेलर आने के बाद जितनी चर्चा रणबीर की हुई उससे कहीं ज्यादा आकर्षक संजय दत्त का किरदार भी लगा. फिल्म में एक्टर शुद्ध सिंह की भूमिका निभा रहे हैं. शुद्ध सिंह अंग्रेजों का अफसर हैं. शुद्ध सिंह एक खल चरित्र है तो स्वाभाविक है कि उसमें हर तरह के पाखंड और काइयांपन को मेकर्स ने ठूसा है. त्रिपुंड, चोटी और गले में रुद्राक्ष की मालाएं पहने संजय का लुक भयावह और खौफनाक दिख रहा है.

संजय ने इससे पहले भी अग्निपथ में कांचा चीना और केजीएफ 2 में अधीरा के रूप में खल चरित्रों को ही जिया था. इन दोनों किरदारों ने हिंदी सिने प्रेमियों को हैरान करके रख दिया था. दोनों फ़िल्में अपने समय की ब्लॉकबस्टर हैं. कामयाबी का श्रेय संजय दत्त के अभिनय को भी दिया गया. इन दो फिल्मों के अलावा भी संजय के नाम, खलनायक, वास्तव आदि फिल्मों में निगेटिव किरदार निभाया. अगर देखा जाए तो जब भी एक्टर ने नकारात्मक किरदारों को किया है, दर्शकों ने उन्हें हाथोंहाथ लिया.

shamsheraशमशेरा में संजय दत्त.

कई फिल्मों की कामयाबी इस बात का सबूत है कि ऐसे किरदार संजय दत्त पर फबते भी हैं. हालांकि अग्निपथ, केजीएफ 2 या शमशेरा में संजय दत्त के किरदार विशुद्ध निगेटिव किरदार हैं. जबकि अन्य फिल्मों में उन्हें नायक की तरह परोसा गया बस उनके चरित्र में नकारात्मकता का शेड था. एक विलेन के रूप में संजय दत्त के काम को देखने के लिए भी शमशेरा को देखने जाया जा सकता है.

#3. करण मल्होत्रा की फिल्म मेकिंग के लिए

शमशेरा का निर्देशन करण मल्होत्रा ने किया है. करण के पास बतौर निर्देशक शमशेरा समेत तीन फिल्मों का ही अनुभव है मगर उनका काम हमेशा प्रभावी नजर आया है. लेखक और असिस्टेंट निर्देशक के रूप में उनका अनुभव दो दशक से भी पुराना है. उन्होंने बॉलीवुड के बेहतरीन बैनर्स और निर्देशकों के साथ काम किया है और हिंदी दर्शकों की पसंद नापसंद के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं. बतौर निर्देशक करण मल्होत्रा ने 2012 में अग्निपथ की रीमेक से डेब्यू किया था. निर्देशन के अलावा उन्होंने फिल्म का स्क्रीनप्ले भी लिखा था. दर्शकों को अग्निपथ में करण मल्होत्रा का काम बहुत पसंद आया था. फिल्म ने टिकट खिड़की पर जबरदस्त कारोबार भी किया था. करण ने अग्निपथ के बाद अक्षय कुमार और सिद्धार्थ मल्होत्रा को लेकर ब्रदर्स भी बनाई थी. फिल्म भले फ्लॉप हो गई थी मगर कॉन्सेप्ट आकर्षक और नयापन समेटे था.

करण के फिल्म मेकिंग की खासियत चीजों को मनोरंजक तरीके से रखना है. वे अपने किरदारों को बहुत कायदे से स्टेबलिश करते हैं जो दर्शकों से जुड़ जाते हैं. उनकी पिछली दोनों फिल्मों में इसे महसूस किया जा सकता है. शमशेरा अगर ट्रेलर के मुताबिक़ ही बनी होगी तो इसमें भी दर्शकों के लिए बहुत कुछ हो सकता है. दर्शक चाहें तो करण मल्होत्रा के बहाने भी सिनेमाघरों में शमशेरा देखने जा सकते हैं.

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