New

होम -> सिनेमा

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 30 अप्रिल, 2016 12:34 PM
नरेंद्र सैनी
नरेंद्र सैनी
  @narender.saini
  • Total Shares

जीतेंद्र और धर्मेंद्र की फिल्म धर्मवीर का एक गाना है- सात अजूबे इस दुनिया के आठवीं अपनी जोड़ी. कुछ दिन पहले तक यह बात शाहरुख खान और सलमान खान की दोस्ती के बारे में कही जा सकती थी. आप सोच रहे होंगे कि कुछ दिन पहले तक ही क्यों? वो इसलिए क्योंकि हर जगह इनकी दोस्ती के कसीदे पढ़े जा रहे थे. ऐसा लग रहा था कि इस बार यह दोस्ती कोई बड़ा गुल खिलाएगी और दोस्ती की नई मिसाल कायम करेगी. लेकिन अब जाकर लगा कि पैसे की दुनिया में दोस्ती के मायने कम हो जाते हैं, और फिर ढ़लती उम्र का करियर हो तो कोई रिस्क नहीं लेना चाहता.

2_043016122220.jpg
ईद पर ही रिलीज हो रहीं थीं 'रईस' और 'सुल्तान', लेकिन बाद में रईस की रिलीज आगे बढ़ा दी गई

50 साल के हो चुके सुल्तान और बादशाह के लिए यह मुकाम बहुत मायने रखता है. सुल्तान जहां 2015 में बजरंगी भाईजान और प्रेम रतन धन पायो जैसी 300 करोड़ रु. वाली फिल्में दे चुके हैं. ओलंपिक एसोसिएशन ऑफ इंडिया के रियो ओलंपिक्स के लिए गुडविल एंबेसेडर बनाए गए हैं और उन्हें जनता से लेकर सरकार तक का भरपूर प्यार मिल रहा है.

इस मामले में बादशाह खुशकिस्मत नहीं हैं. उनके मुंह से असहिष्णुता शब्द क्या निकला उनकी जिंदगी ही बदल गई. उनका जबरदस्त विरोध हुआ. ऊपर से कमजोर कॉन्टेंट वाली उनकी दिलवाले (2015) में रिलीज हुई तो उसने कोढ़ में खाज का काम किया और रही-सही कसर भी पूरी कर दी. लेकिन मार्केटिंग के उस्ताद बादशाह आगे बढ़ गए और इस साल फैन (2016) ले आए. फिल्म से बड़ी उम्मीदें थीं. लेकिन यह भी कंटेंट के मामले में कमजोर निकली और बॉक्स ऑफिस पर धराशायी हो गई.  

ये भी पढ़ें- सलमान की दोस्ती ने लूटी शाहरुख की तारीख!

इस तरह कामयाबी के नित नए मुकाम छू रहे और बॉक्स ऑफिस के सुल्तान बने सलमान खान अगर चाहते थे, तो बादशाह को यह ईद ईदी में दे सकते थे. यह एक दोस्त का फर्ज निभाना हो सकता था. वैसे भी वे अपनी भलमनसाहत और मुश्किल में फंसे दोस्तों की मदद करने के लिए जाने जाते हैं. अब शाहरुख खान जिस तरह से नाकामयाबी का स्वाद चख रहे हैं, उस तरह अगर वे उनकी रईस को ईद पर रिलीज होने में मदद करते तो यही होती सच्ची दोस्ती. आज रईस को रिलीज करने के लिए दर-बदर घूम रहे और तारीख-दर-तारीख तलाश रहे शाहरुख खान भी मौका आने पर सलमान का साथ देते. इस दोस्ती को देखकर यही बात समझ आती है कि मतलबी हैं लोग यहां पर, मतलबी जमाना....

शायद दोनों की आज की दोस्ती के लिए रहिम का यह दोहा सटीक बैठता है...

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ परि जाय॥

ये भी पढ़ें- सुल्तान का असली दम तो अनुष्का में है, हंटरवाली जैसा

लेखक

नरेंद्र सैनी नरेंद्र सैनी @narender.saini

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सहायक संपादक हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय