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Updated: 11 मई, 2022 07:38 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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एसएस राजामौली इंडियन फिल्म इंडस्ट्री के बेहतरीन निर्देशकों में से एक हैं. उनके निर्देशन में बनी ब्लॉकबस्टर फिल्म 'आरआरआर' की सफलता ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि 'बाहुबली' जैसी बेहतरीन फिल्म की बॉक्स ऑफिस पर सफलता किस्मत नहीं बल्कि राजामौली की कठिन मेहनत का नतीजा है. 'आरआरआर' राजामौली की दूसरी पैन इंडिया फिल्म है, जो 1000 करोड़ क्लब में शामिल हुई है. इससे पहले उनकी फिल्म 'बाहुबली 2' ने 1700 करोड़ रुपए कमाई की थी. राजामौली की इन तमाम सकारात्मक उपलब्धियों के साथ एक नकारात्मक मिथ भी जुड़ा हुआ है. उनकी फिल्मों में काम करने वाले कलाकार फिल्म रिलीज के बाद पूरे देश में मशहूर हो जाते हैं. रातों-रातों उनका कद बढ़ जाता है. लेकिन उसके बाद की फिल्मों में इन कलाकारों का परफॉर्मेंस लोगों को बहुत निराश करता है. यहां तक कि फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर दम तोड़ देती है.

650_051022112339.jpgफिल्म 'RRR' की सफलता ने साबित कर दिया कि राजामौली बेहतरीन निर्देशक हैं.

राजामौली के साथ जुड़े इस मिथ के सबसे ज्वलंत उदाहरण सुपरस्टार प्रभास और राम चरण है. पहले बात प्रभास की ही करते हैं. साल 2015 में फिल्म 'बाहुबली' की रिलीज के बाद प्रभास रातों-रात पैन इंडिया सुपरस्टार बन गए. उनके नाम की गूंज दक्षिण से लेकर उत्तर तक गूंजने लगी. वो लोगों के लिए बाहुबली का पर्याय बन गए. अकेले पागल हाथी को काबू में करने वाला बाहुबली, लाखों की संख्या में आए दुश्मनों का मुकाबला करने वाला बाहुबली, झरने के पानी की धार के विपरीत हजारों मीटर ऊंचे पहाड़ पर चढ़ जाने वाला बाहुबली, प्रभास की इमेज के आगे बॉलीवुड के सितारे बौने नजर आने लगे. इसके बाद साल 2017 में रिलीज हुई फिल्म 'बाहुबली 2' ने उनके स्टारडम को पहाड़ से भी ऊंचा कर दिया. लेकिन दो साल बाद ही रिलीज हुई फिल्म 'साहो' ने बॉक्स ऑफिस पर दम तोड़ दिया. बहुत मुश्किल से फिल्म अपनी लागत निकाल पाई.

फिल्म 'साहो' का बजट 350 करोड़ रुपए है, जबकि कमाई 450 करोड़ रुपए ही हो पाई. इसी तरह 'साहो' की रिलीज के तीन साल बाद फिल्म 'राधे श्याम' रिलीज हुई. इस फिल्म से भी लोगों को बहुत उम्मीदें थी. इसका बजट भी 350 करोड़ रुपए था. टीजर और ट्रेलर में जिस तरह की झलकियां देखने को मिली, उससे ये लगा कि ये भी 'बाहुबली' जैसी फिल्म होगी, लेकिन रिलीज के बाद लोग ठगे रह गए. ये फिल्म भी 'साहो' जैसी ही निकली. यहां तक कि ये अपनी लागत भी नहीं निकाल पाई. फिल्म का कुल का कलेक्शन 150 करोड़ रुपए है, जो कि इसकी बजट का आधा है. इस तरह से देखा जाए, तो राजामौली की फिल्मों के बाद प्रभास बुरी तरह फ्लॉप साबित हुए हैं. उसी तरह साउथ सिनेमा के सुपरस्टार रामचरण का भी हश्र हुआ है. 'आरआरआर' की रिलीज के पांच हफ्ते बाद उनकी तेलुगू फिल्म 'आचार्य' रिलीज हुई. 140 करोड़ रुपए बजट में बनी ये फिल्म अपनी लागत निकालने के लिए संघर्ष कर रही है. जबकि इसमें राम चरण के पिता मेगास्टार चिरंजीवी भी मौजूद हैं. इसके बाद भी फिल्म अभी तक 100 करोड़ ही कमा पाई है.

यहां बड़ा सवाल ये खड़ा होता कि आखिर ऐसा क्यों होता है? राजामौली की फिल्में करने के बाद रातों-रातों पूरे देश में छा जाने वाले कलाकारों की दूसरी फिल्में क्यों नहीं चल पाती हैं? इसका सबसे पहला जवाब खुद राजामौली हैं. हिंदुस्तान को बेहतरीन फिल्म देकर भारतीय सिनेमा की दशा और दिशा बदलने वाले राजामौली हिट फिल्मों की गारंटी के लिए जाने जाते हैं. राजामौली एक ऐसे डायरेक्टर हैं जिनकी फिल्मों में काम करने वाला कोई भी कलाकार सुपरस्टार बन जाता है. उनकी सोच, रचनात्मकता, जी-तोड़ मेहनत करने की क्षमता, कल्पनाशीलता, भव्य सिनेमा का निर्माण करने की कला, किसी भी कलाकार से उसका 1000 फीसदी काम लेने की क्षमता, देश के दूसरे निर्देशकों से अलग करती है. वो फिल्म बनाने क लिए साधना करते हैं. 'बाहुबली' फिल्म का ही निर्माण जब हो रहा था, उस वक्त उन्होंने खुद को और फिल्म की पूरी टीम को पांच साल के लिए कैद कर लिया था. उन्होंने इन फिल्मों के लिए करीब 380 दिनों तक लगातार शूटिंग की थी, जो कि किसी भी बड़ी हॉलीवुड फिल्म को बनाने में लगने वाले दिनों से डबल की संख्या है.

किसी फिल्म के लिए इतना समर्पण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले किसी भी निर्देशक में नहीं देखा गया है. यह वजह है कि राजामौली की फिल्में इतिहास रचती हैं. बॉक्स ऑफिस पर नित-नए रिकॉर्ड बनाती हैं. वरना एक निर्देशक की साख पर 550 करोड़ रुपए दांव लगाने के लिए हिम्मत की जरूरत होती है. लेकिन दांव लगाने वाले को भी पता होता है कि उनकी फिल्म में लगने वाली एक पाई-पाई की वसूली हो जाएगी. इसके बाद जो मुनाफा आएगा, वो हर किसी को हैरान कर देने वाला होगा. उनकी फिल्म ब्लॉकबस्टर तो होती ही है, उसमें काम करने वाला हर कलाकार स्टार बन जाता है. जैसे कि कालजयी फिल्म शोल में हुआ था. उस फिल्म के हर कलाकार के नाम लोगों की जुबान पर है. उसके डायलॉग बहुतों को रटे पड़े हैं. उसी तरह बाहुबली ने भी इतिहास रचा है. राजामौली के अलावा दूसरी सबसे बड़ी वजह ये है कि ऐसी फिल्मों में काम करने वाले एक्टर्स से लोगों की अपेक्षा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. दर्शकों की नजरों में उनकी एक छवि बन जाती है, जिससे अलग वो उस अभिनेता को देखना नहीं चाहते. शायद ही वजह है कि बाहुबली में तीर-कमान और तलवार चलाने वाले प्रभास जब साहो में बंदूक चलाते हैं, तो लोगों पसंद नहीं आता. उनकी आने वाली फिल्म 'आदिपुरुष' में उनकी पुरानी झलक दिख सकती है.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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