तो ब्रह्मास्त्र का हाल 'लाल सिंह चड्ढा' नहीं ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान की तरह होगा!
ब्रह्मास्त्र पर हो रहा विरोध और उसके उलट फिल्म की जबरदस्त एडवांस बुकिंग बहुत कुछ कहती है. 400 करोड़ के बजट में बनी फिल्म को एक बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि यह लाल सिंह चड्ढा जैसे अंजाम तक नहीं पहुंचेगी. मगर अभी भी इसके ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान बनने का पूरा खतरा है. आइए जानते हैं यह खतरा क्यों है.
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ब्रह्मास्त्र 9 सितंबर को रिलीज हो रही है. रणबीर कपूर/अलिया भट्ट स्टारर फिल्म की एडवांस बुकिंग रिपोर्ट बहुत बेहतरीन है. बॉलीवुड हंगामा की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ मल्टीप्लेक्स के तीन नेशनल चेन ने ही अकेले सोमवार तक 72 हजार टिकटें बेंच डाली हैं. लक्ष्य ओपनिंग से पहले पहले पहले डेढ़ लाख टिकटों को बेंचने का है. हाल में आई बॉलीवुड की तमाम फिल्मों के मुकाबले निश्चित ही अयान मुखर्जी के निर्देशन में बनी टिकटों की एडवांस बुकिंग रिपोर्ट का संकेत सीधा और स्पष्ट है- बॉलीवुड की दूसरी फिल्मों से अलग करण जौहर की यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बेहतर ओपनिंग हासिल करने जा रही है.
एसएस राजमौली समेत साउथ के तमाम दिग्गजों का फिल्म के पक्ष में आने से एक सकारात्मक माहौल बना है. हालांकि ब्रह्मास्त्र हिंदी के अलावा दक्षिण भारतीय भाषाओं में भी रिलीज हो रही है, मगर दक्षिण की भाषाओं में एडवांस बुकिंग की रिपोर्ट बहुत ख़ास नहीं है. कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा कि तेलुगु में थोड़ी सुगबुगाहट है मगर दूसरी भाषाओं में कोई उत्साह नजर नहीं आ रहा है. खैर, एडवांस बुकिंग की रिपोर्ट्स आने के बाद फिल्म ट्रेड सर्किल में ब्रह्मास्त्र को लेकर हलचलें बढ़ी हैं. माना जा रहा कि कम से कम इसका हाल 'लाल सिंह चड्ढा' जैसा तो नहीं होने वाला है.
ब्रह्मास्त्र में रणबीर कपूर.
लाल सिंह चड्ढा से ब्रह्मास्त्र की हालत कैसे अलग है?
रिलीज से पहले लाल सिंह चड्ढा के खिलाफ ब्रह्मास्त्र से भी तीखा विरोध दिखा था. आमिर खान की लाल सिंह चड्ढा भी पैन इंडिया मूवी थी. इसमें भी तेलुगु के सुपरस्टार नागा चैतन्य एक अहम भूमिका में थे. बावजूद हिंदी समेत दूसरी भाषाओं में आमिर की फिल्म दर्शकों को सिनेमाघर तक खींचने में नाकाम रही. फिल्म ने पहले दिन 11.70 करोड़ की ठीक ठाक ओपनिंग हासिल की मगर आगे जाकर यह पूरी तरह बैठ गई और देसी बॉक्स ऑफिस पर लाइफ टाइम कलेक्शन 58.18 करोड़ में सिमट गया. जिस हिसाब से एडवांस बुकिंग की खबरें आ रही हैं अगर वह सही है तों माना जा सकता है कि ब्रह्मास्त्र एक बढ़िया स्टार्ट कर सकती है. दक्षिण का सहयोग और शिव से जुड़ा रहस्य भारतीय दर्शकों के एक व्यापक धड़े को आकर्षित करता दिख रहा है.
क्यों आमिर खान की ठग्स जैसे अंजाम का शिकार हो सकती है ब्रह्मास्त्र?
सिनेमाघरों में ब्रह्मास्त्र का भविष्य क्या होगा, इसका निर्धारण अब पहले दिन सिनेमाघरों से बाहर निकलने वाली भीड़ करेगी. 400 करोड़ से ज्यादा बजट ,में बनी फिल्म लाल सिंह चड्ढा जैसे हश्र से तो बच जाएगी मगर दर्शकों को कंटेट खराब लगा तो इसका अंजाम आमिर की ही 'ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान' जैसा हो सकता है. लाल सिंह चड्ढ से पहले ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान भी आमिर के करियर की सबसे बड़ी डिजास्टर्स में से एक थी. रिलीज से पहले 'ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान' की जबरदस्त हाइप थी. फिल्म में आमिर के साथ अमिताभ बच्चन, कटरीना कैफ और फातिमा सना शेख जैसे स्टार्स थे. तब भी जबरदस्त विरोध था मगर जबरदस्त एडवांस बुकिंग भी हुई. बावजूद पहले दिन फिल्म देखकर निकले दर्शकों का अनुभव बेहद खराब रहा.
मिली-जुली समीक्षाओं के बावजूद ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान का वर्ड ऑफ़ माउथ बहुत खराब रहा. आमिर की फिल्म ने 52.25 करोड़ की ओपनिंग हासिल की. वीकएंड में 123 करोड़ कमाने के बावजूद लाइफटाइम कलेक्शन 151.19 करोड़ से आगे नहीं बढ़ पाया. ब्रह्मास्त्र के लिए चुनौती दोहरी है. करण जौहर एंड टीम की फिल्म पहले से ही आलोचनाओं में है, दक्षिण की मदद मिलने के बाद थोड़ी राहत मिली होगी. मगर सारा दारोमदार अब कंटेंट और वर्ड ऑफ़ माउथ पर निर्भर करता है. आशंका बनी हुई है कि कहीं पहले दिन के बाद कमजोर वर्ड ऑफ़ माउथ फिल्म को डुबो ना दे और इसका पूरा दारोमदार ब्रह्मास्त्र के क्रिएटर्स का ही होगा.
रिलीज से पहले ही क्यों निशाने पर ब्रह्मास्त्र का कंटेट?
वैसे भी ब्रह्मास्त्र का कंटेट अभी से निशाने पर है. सोशल मीडिया पर फिल्म के तमाम विजुअल देखने के बाद लोग मेकर्स के कॉमन सेन्स पर सवाल उठा रहे हैं. कई लोगों ने कुछ विजुअल्स के आधार पर ब्रह्मास्त्र को लेजर शो कहना भी शुरू कर दिया है. कुछ लोगों ने कहा- ठीक है पौराणिक पुट है फिल्म में लेकिन तार्किकता नाम की भी कोई चीज होती है. रणबीर कपूर का वह सीन कितना वाहियात है कि उनके ऊपर आग बरसात है मगर उनके कपड़े सुरक्षित हैं मानों उनके ऊपर आग की बजाए पानी की बौछार पड़ रही हो. इतनी बड़े बजट की फिल्म में कम से कम लॉजिक का भी थोड़ा बहुत ख्याल रखा जाना चाहिए था.
विजुअल्स बचाकाने और कार्टून फिल्मों की तरह हैं. फिल्म से जुड़े बायकॉट हैशटैग पर ऐसी प्रतिक्रियाओं की कमी नहीं जिसमें लोग तमाम पौराणिक सीरियल्स के विजुअल्स को भी ब्रह्मास्त्र से बेहतर बता रहे हैं. मेकर्स को इससे परेशान होना चाहिए. अगर रिलीज के बाद पहले दिन दर्शकों ने इसी तरह की प्रतिक्रिया दी तो कहने में संकोच नहीं करना चाहिए कि टिकट खिड़की पर करण जौहर की फिल्म एक बेहतर स्टार्स हासिल करने के बावजूद बैठ सकती है.
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