क्या प्रधानमंत्री मोदी ने मां दुर्गा और काली के फर्क को नजरअंदाज कर दिया!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर जब काली की पूजा करते हुए दुर्गा अष्टमी की शुभकामनाएं दीं, तो लोगों में बहस छिड़ गई. क्या प्रधानमंत्री को दोनों देवियों में फर्क नहीं पता है, या वे इसे नजरअंदाज कर गए हैं.
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प्रधानमंत्री मोदी ने दुर्गा अष्टमी पर देशवासियों को दुर्गा पूजा की शुभकामनाएं दीं. साथ में दो तस्वीरें भी थीं जिसमें प्रधानमंत्री मोदी मां काली की पूजा करते दिखाई दे रहे हैं.
Greetings on the auspicious occasion of Durga Ashtami. May Maa Durga fulfil everyone’s aspirations, further the atmosphere of joy and eliminate all evil from our society.
Have a blessed Durga Puja! pic.twitter.com/gEo6Fw8URW
— Narendra Modi (@narendramodi) October 17, 2018
लेकिन उनकी इस पोस्ट पर लोगों ने इस बात पर आपत्ति जताई कि प्रधानमंत्री को मां दुर्गा और मां काली में फर्क नहीं पता. तो जान लीजिए कि मां काली और मां दुर्गा में फर्क क्या है.
दुर्गा:
देवी का जन्म सबसे पहले दुर्गा के रूप में ही माना जाता है जिसे राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए जन्म दिया गया था. यही कारण है कि उन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार देवताओं को भगा कर महिषासुर ने स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था. उसे यह वरदान था कि वह किसी पुरुष के हाथों मारा नहीं जाएगा. ऐसे में सभी देवता मिलकर समाधान के लिए त्रिमूर्ति के पास गए. ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपने शरीर की ऊर्जा से एक स्त्री की आकृति बनाई और सभी देवताओं ने अपनी शक्तियां उस आकृति में डाली. इस तरह देवी दुर्गा का जन्म हुआ, जिन्हें शक्ति भी कहा जाता है. क्योंकि सभी देवताओं ने मिलकर उन्हें शक्ति दी इसलिए दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वोच्च देवता माना जाता है. महिषासुर वध के दौरान उनके रौद्र रूप को देखकर उन्हें चंडी की संज्ञा भी दी जाती है.
राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने जन्म लिया था
दुर्गा असल में शिव की पत्नी आदिशक्ति का एक रूप हैं. शिव की उस पराशक्ति को प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकाररहित बताया गया है. उस आदि शक्ति देवी ने ही सावित्री (ब्रह्मा जी की पहली पत्नी), लक्ष्मी, और पार्वती(सती) के रूप में जन्म लिया और उसने ब्रह्मा, विष्णु और महेश से विवाह किया था. तीन रूप होकर भी दुर्गा एक ही है.
सावित्री, लक्ष्मी और पार्वती से अलग देवी दुर्गा के कई रूप हैं. जैसे- शैल-पुत्री, ब्रह्मचारिणि, चंद्रघंटा, कूषमाण्डा, स्कन्दमाता, कात्यानी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री. लेकिन उनका मुख्य रूप 'गौरी' है, अर्थात शान्त, सुन्दर और गोरा रूप. और उनका सबसे भयानक रूप 'काली' है, अर्थात काला रूप.
दु्गा का सबसे सुंदर रूप महागौरी है
कब होती है मां दुर्गा की पूजा-
नवरात्रि यानी 'नौ रातें'. इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति यानी मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. इन्हें नवदुर्गा कहते हैं. और दसवां दिन दशहरा के नाम से जाना जाता है. दुर्गा मां के नौ रूप हैं- शैल-पुत्री, ब्रह्मचारिणि, चंद्रघंटा, कूषमाण्डा, स्कन्दमाता, कात्यानी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री. जबकि बंगाल में नवरात्रि में तीन देवियों- महालक्ष्मी, महासरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है.
काली
यह सुन्दरी रूप वाली भगवती दुर्गा का काला और भयप्रद रूप है. माना जाता है कि दुष्टों के संघार के लिए माँ दुर्गा ने काली स्वरुप लिया था. काली यानी काल जो सबको अपना ग्रास बना लेता है. मां का यह रूप नाश करने वाला है पर यह रूप सिर्फ उनके लिए है जो दानवीय प्रकृति के हैं. मां काली को महाकाली भी कहते हैं.
काली मां दुर्गा की ही एक रूप है
कब होती है मां काली की पूजा-
कार्तिक मास की अमावस्या पर जहां लोग दिवाली मनाते हैं और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं, वहीं भारत के बहुत से राज्यों में इस दौरान काली पूजा की जाती है. पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम और झारखंड में काली पूजा बड़ी धूम-धाम से मनाई जाती है. काली पूजा दिवाली के दिन मध्यरात्रि में की जाती है. बड़े-बड़े पंडालों में काली मां की मूर्तियां लगाई जाती हैं और उनकी पूजा की जाती है.
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