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Updated: 03 अगस्त, 2022 04:12 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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आस्था भले ही एक बेहद निजी मसला हो. मगर जब बात आराध्य की हो तो तर्कों पर भावनाएं भारी पड़ जाती हैं. व्यक्ति कुछ न कुछ ऐसा कह देता है जिससे विवाद का श्री गणेश होता है लोगों को बहस में पड़ने का मौका मिलता है. ऐसी ही एक बहस हनुमान जन्मस्थान को लेकर फिर शुरू हुई है. जो दावा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने किया है, इस बात में कोई शक नहीं है कि वो अब तक का सबसे मजबूत दावा है. भगवान हनुमान के जन्मस्थान को लेकर बोम्मई ने कहा है कि, ‘भगवान हनुमान का जन्म अंजनाद्री पहाड़ियों में हुआ था.’ ध्यान रहे भगवान हनुमान जन्मभूमि को लेकर बोम्मई का दावा उस वक़्त हुआ है जब पहले ही महाराष्ट्र, हरियाणा, और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य डंके की चोट पर इस बात को दोहरा चुके हैं कि हनुमान जी का जन्म उन्हीं के राज्य में हुआ है.

Hanuman, basavaraj Bommai, Karnataka, Chief Minister, Birth, Controversy, Argument, Andhra Pradesh, Maharashtraहनुमान जन्मभूमि को लेकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने विवाद का श्री गणेश कर दिया है

कर्णाटक के मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा है कि, ‘भगवान हनुमान का जन्म अंजनाद्री पहाड़ियों में हुआ था. किष्किंधा (हम्पी) इसका प्रमाण है. वहीं जो डिबेट हनुमान जन्मभूमि को लेकर चल रही है उसपर अपनी स्पष्ट राय देते हुए बोम्मई ने ये भी कहा कि हनुमान यहां पैदा हुए थे, वहां पैदा हुए थे, ये विवादास्पद कथन हो सकते हैं लेकिन मूल रूप से यह (किष्किंधा) वही स्थान था जहां हनुमान का जन्म हुआ था. बजरंगबली अंजनाद्री हिल्स और किष्किंधा में पैदा हुए, इसमें कोई भ्रम नहीं है.

जैसा कि हम ऊपर ही स्पष्ट कर चुके हैं श्री हनुमान जन्मभूमि को लेकर तमाम राज्यों के अपने तर्क हैं और कोई हनुमान को अपने से जोड़ने का आतुर दिख रहा है इसलिए विवाद को सुलझाने के लिए श्री मंडलाचार्य पीठाधीश्वर के महंत स्वामी अनिकेत शास्त्री देशपांडे महाराज ने बीती 31 मई 2022 को नासिक में धर्म संसद बुलाई थी. वहां बात नहीं बनी और चर्चा ने बहस का रूप ले लिया था. वहां भी किष्किंधा मठधिपति स्वामी गोविंदानंद सरस्वती अपनी बात पर अड़े रहे और तमाम दावों को ख़ारिज करते हुए उन्होंने भी इस बात पर बल दिया था किभगवान हनुमान का जन्म किष्किंधा (कर्नाटक) में ही हुआ था.

हनुमान जी के जन्मस्थान को लेकर कब से चल रहा है विवाद

यूं तो विवाद काफी पुराना है मगर इसे हवा तब मिली जब अभी कुछ दिनों पहले जब तिरुपति तिरुमला में आंजनेद्री पर्वत पर भगवन हनुमान की भव्य प्रतिमा लगाने और मंदिर बनाने की बात हुई. विवाद शुरू हो गया था इसलिए आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति तिरिमला देवस्थानम ने कहा था कि हनुमान जी का जन्म आकाशगंगा झरने के नजदीक जपाली तीर्थम में हुआ है. तब भी आंध्र प्रदेश के इस दावे को कर्नाटक ने ख़ारिज किया था और दिलचस्प ये कि बहस ने जल्द ही विवाद का रूप लिया जिसे कोर्ट ले जाया गया.

भले ही मामला बीते कुछ वक़्त से सन्नाटे में हो लेकिन अब जबकि कर्नाटक के मुख्यमंत्री खुद इस विवाद में कूदे हैं इसलिए माना यही जा रहा है कि एक बार फिर भगवान हनुमान जन्मभूमि मेन स्ट्रीम मीडिया के अलावा सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनेगी. लोग इसपर अपने तर्क देंगे और फिर से अलग अलग राज्य हनुमान जी को अपना बताने के लिए अपनी समझ के अनुरूप अपने तर्क रचेंगे.

हम इस बात को फिर कह रहे हैं कि भगवान हनुमान का जन्म कहां हुआ? ये प्रश्न आज भी जनता के लिए किसी अनसुलझी पहेली से कम नहीं है लेकिन चूंकि आस्था हमेशा ही तर्कों पर भारी पड़ती है इसलिए ये कहना भी गलत नहीं है कि एक मुख्यमंत्री होने के नाते बोम्मई ने जिस आग को हवा दी है उसकी लपटें काफी दूर तक फैलेंगी.

बोम्मई का दावा विवाद का रूप लेता है या फिर लोगों का एक बड़ा वर्ग उनकी कही बातों पर संतुष्ट हो जाता है? सवाल तो कई हैं, जिनके जवाब वक़्त की गर्त में छिपे हैं मगर बोम्मई की बातों ने उन राज्यों को आधार दे दिया है जिन्होंने हनुमान जमभूमि को लेकर दावे तो किये लेकिन क्योंकि इनके दावे कमजोर थे इसलिए कभी इनकी बातों को न तो बहुत ज्यादा आधार ही मिला न ही किसी ने इनपर कोई खास तवज्जो दी.

बहरहाल, सवाल जनता से है. जनता बताए कि हनुमान जन्मभूमि को जिस तरह बोम्मई ने कर्नाटक के किष्किन्दा से जोड़ा है क्या वो सही है या फिर इसे लेकर धर्म का मत अलग और सही तर्क कुछ और हैं?

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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