तो उर्दू में बात करते थे राम-रावण-हनुमान
सीता के पास आकर रावण कहता है - "अब भूल जा अपने शौहर को. मैं ही हूं तेरा शौहर." ये सुनकर गुस्से में सीता कहती हैं - "दगा-फरेब से मुझको ले आया तू. जलील शख्स. मनहूस इंसान. तू खाक हो जाएगा."
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आप चौंकिए मत ये सुनकर कि राम-रावण के बीच संवाद उर्दू में होता है. ये सच्चाई है. राजधानी से सटे फरीदाबाद में सेक्टर 15 में होने वाली श्रीद्धा रामलीला में संवाद खालिस उर्दू में राम,रावण,लक्ष्मण,सीता वगैरह बोल रहे हैं. रोज हजारों दर्शक उर्दू में होने वाली रामलीला का आनंद लेते हुए कह देते हैं, "बहुत खूब."
हालांकि अभी राम-रावण के बीच मंच पर संवाद चालू नहीं हुआ. लेकिन दोनों अभ्यास के दौरान उर्दू में संवाद बोल रहे हैं. तैयारी जारी है. जरा सुनिए. रावण को ललकारते हुए राम कहते हैं, "रावण,तुम शैतान हो... तुम जुल्म की निशानी हो... तुम्हें जीने का कोई हक नहीं है..."
अब जरा रावण का जवाब भी सुनिए- "मैंने मौत पर फतेह पा ली है, राम. पूरी कायनात में मेरे से ज्यादा बड़ा और ताकतवर शख्स कोई नहीं है... मेरे से फलक भी खौफ खाता है. तू जा अपना काम कर..."
रावण का किरदार निभा रहे श्रवण कहते हैं कि फरीदाबाद भरा हुआ पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के विभिन्न शहरों से 1947 के बाद आकर बसे लोगों से. उन्हें उर्दू में ही रामलीला का मंचन पंसद आता है. इसलिए हम कलाकारों के संवाद उर्दू में ही रखते हैं.
क्या नई पीढ़ी के दर्शक भी राम या हनुमान को उर्दू में बोलते हुए सुनना पसंद करते हैं? इस रामलीला की मैनेजिंग कमेटी के चीफ राकेश आहूजा कहते हैं, "बेशक. हमारी रामलीला में कुछ संवाद मुल्तानी-बन्नूवाल भाषा में भी रहते हैं. इसे देख-सुनकर नए-पुराने सभी लोग अपनी पुरखों की मिट्टी की खुशबू को महसूस करने लगते हैं."
राम और रामलीला की बात हो और हनुमान सामने न आएं ये कैसे मुमकिन है. तो सुन लीजिए हनुमान का भी उर्दू की चाशनी में मिला संवाद. वे सीता के पास पहुंचते हैं. सीता रावण की कैद में है. वे सीता के सामने नतमस्तक होकर अपना परिचय देने के बाद कहते है- "मां, मैं आपको बहिफाजत भगवान राम के पास ले जाऊंगा. आप कतई फिक्र मत करें. मुझे तो अभी भगवान राम का हुक्म नहीं है, अगर होता तो मैं आपको अभी वापस ले जाता इन शैतानों से दूर."
एक संवाद सीता का भी हो जाए. रावण आता है सीता के पास. सीता की तरफ मुखातिब होकर कहता है, "अब भूल जा अपने शौहर को. मैं ही हूं तेरा शौहर." ये सुनकर गुस्से में सीता कहती हैं- "दगा-फरेब से मुझको ले आया तू. जलील शख्स. मनहूस इंसान. तू खाक हो जाएगा."
लखनऊ यूनिवर्सिटी में उर्दू पढ़ा रहे डॉ. मसूद अहमद फलाई ने पिछले साल इस रामलीला को दो-तीन दिन देखा. वे कहते हैं कि मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ इतनी खालिस उर्दू में होने वाली रामलीला को इतने दर्शक पसंद करेंगे. कलाकारों का उर्दू उच्चारण भी बेहद शानदार होता है.
फरीदाबाद अपने आप में एनसीआर का खास औद्योगिक शहर है. इधर सैकड़ों छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं. यहां पर पाकिस्तान के मुल्तान, बन्नूवाल, झंग वगैरह के लोगों की तादाद खासी है. ये अब भी अपने घरों में अपने पुरखों की भाषा ही बोलना पसंद करते हैं.
एक बात और. इधर रामलीला के अंत में रोज गीत बजाया जाता है- ए मालिक तेरे बंदे हम, ऐसे हो हमारे करम, नेकी पर चले...
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