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Updated: 21 अप्रिल, 2022 03:44 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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'अगर कोई आपके एक रुपये को दो बनाने की बात कर रहा है, तो वो आपसे एक रुपया छीनना चाहता है.' कहीं पढ़ा था या किसी ने कहा था ये मुझे याद नहीं है. लेकिन, इस बात को कभी भूला नहीं, तो उसकी वजह नेटवर्क मार्केटिंग के आधार पर लोगों को चूना लगाने वाली सैकड़ों कंपनियां हैं. जिन्होंने मेरे इस विश्वास को कभी टूटने नहीं दिया. वैसे, लोगों को लाखों-करोड़ों रुपये के मालिक बनने का सपना बेचने वाली ये कंपनियां देर से ही सही, लेकिन लोगों के पैसे लेकर फुर्र हो ही जाती हैं. और, फिलहाल इस फेहरिस्त में एक नया नाम एमवे इंडिया (Amway India) का भी जुड़ गया है.

मल्टी लेवल मार्केटिंग या पिरामिड सेलिंग के फॉर्मूला पर काम करने वाली अमेरिकी कंपनी ने 1998 में भारत में कदम रखा था. एमवे इंडिया एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के नाम से भारत में आई इस कंपनी के नाम में जुड़े एमवे का फुल फॉर्म 'अमेरिकन वे' है. हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी एमवे की 757.77 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है. ईडी ने एमवे पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाते हुए इसे पिरामिड फ्रॉड (Pyramid Fraud) का नाम दिया है. आइए जानते हैं कि मल्टी लेवल मार्केटिंग में Amway का 'धोखा' मनी लॉन्ड्रिंग तक जा पहुंचा...

Amway Manoy Laundering Caseएमवे इंडिया अन्य कंपनियों की तरह ही न्यूट्रीशिन, पर्सनल केयर, होम एंड लिविंग, ब्यूटी कैटेगरी के कई हाई क्वालिटी प्रॉडक्ट्स की बिक्री करती है.

क्या होती है मल्टी लेवल मार्केटिंग?

मल्टी लेवल मार्केटिंग (Multi Level Marketing) को पिरामिड सेलिंग भी कहा जाता है. क्योंकि, मल्टी लेवल मार्केटिंग पूरी तरह से पिरामिड के ही आकार की तरह होती है. ऊपर केंद्र में बैठा व्यक्ति सबसे ज्यादा फायदा कमाता है. और, नीचे की ओर फैलते पिरामिड में अपने नीचे बहुत से लोगों को जोड़ता जाता है. केंद्र में बैठे शख्स के नीचे जुड़े लोग भी ज्यादा फायदा कमाने के लिए अपने नीचे और लोगों को जोड़ने की कोशिश करते हैं. जितने ज्यादा लोग जुड़ते हैं, फायदा उतना ही बढ़ता है. एमवे की मल्टी लेवल मार्केटिंग में बिजनेस से जुड़ने वाले लोगों को उपभोक्ता बनाया जाता है.

एमवे लोगों को डिस्ट्रीब्यूटर्स यानी इंडिपेंडेंट बिजनेस ओनर्स (IBO) बनाती है. जो मल्टी लेवल मार्केटिंग के तहत संभावित ग्राहकों को कंपनी के उत्पादों की मार्केटिंग करते हैं. ये इंडिपेंडेंट बिजनेस ओनर्स अन्य लोगों को भी आईबीओ बनाते हैं. खुद के द्वारा की गई उत्पादों की बिक्री के अलावा इन आईबीओ को अपने द्वारा 'चेन सिस्टम' में जोड़े गए आईबीओ की बिक्री पर भी बोनस दिया जाता है. आमतौर पर एमवे इंडिया जैसी नेटवर्क मार्केटिंग कंपनियों से जुड़े लोग अपने घर-परिवार और दोस्तों को ही सदस्य बनाते हैं. और, शायद ही ऐसा हुआ, हो कि आप कभी एमवे के किसी आईबीओ से न टकराए हों.

हाई क्वालिटी प्रॉडक्ट के नाम पर 'धोखा'?

एमवे इंडिया अन्य कंपनियों की तरह ही न्यूट्रीशिन, पर्सनल केयर, होम एंड लिविंग, ब्यूटी कैटेगरी के कई हाई क्वालिटी प्रॉडक्ट्स की बिक्री करती है. क्योंकि, एमवे कंपनी के प्रॉडक्ट्स में हाई क्वालिटी जुड़ी हुई है, तो लिखी सी बात है कि उनके दाम भी अन्य कंपनियों से 'हाई' ही होंगे. ईडी ने भी एमवे पर यही आरोप लगाया है कि 'कंपनी द्वारा पेश किए गए अधिकांश उत्पादों की कीमतें बाजार में उपलब्ध अन्य प्रतिष्ठित निर्माताओं के वैकल्पिक लोकप्रिय उत्पादों की तुलना में बहुत ज्यादा थीं.' ईडी के अनुसार, एमवे कंपनी में जुड़ रहे नए सदस्य इसके उत्पादों को इस्तेमाल करने के लिए नहीं खरीद रहे हैं. बल्कि, वो 'चेन सिस्टम' में अपने नीचे और लोगों को जोड़ कर लाभ कमाने की कोशिश कर रहे हैं. और, इसके लिए नए सदस्य वही 'सपने' बेचते हैं, जो पिरामिड सेलिंग सिस्टम में उसके ऊपर जुड़े सदस्य ने उसे दिखाया था. और, कंपनी के उत्पादों की ज्यादा कीमतें असल में कमीशन के इसी चेन सिस्टम की वजह से बढ़ती हैं.

ईडी ने लगाए हैं क्या आरोप?

इंडिया टुडे की खबर के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने एमवे इंडिया की धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत 757.77 करोड़ रुपये की संपत्ति अस्थायी रूप से जब्त की है. इसमें अचल और चल संपत्ति 411.83 करोड़ रुपये की है. वहीं, एमवे कंपनी के 36 बैंक खातों में जमा 345.94 करोड़ रुपये की राशि भी जब्त की गई है. ईडी ने कहा है कि कंपनी ने 2002-03 से 2021-22 के दौरान अपने कारोबार से कुल 27,562 करोड़ रुपये की राशि एकत्र की. और, इसमें से भारत और अमेरिका में अपने वितरकों और सदस्यों को 7,588 करोड़ रुपये का 'भुगतान' किया.

ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) जांच में खुलासा हुआ कि एमवे ने मल्टी-लेवल मार्केटिंग नेटवर्क और डायरेक्ट सेलिंग की आड़ में पिरामिड फ्रॉड किया है. माना जा रहा है कि एमवे ने मल्टी लेवल मार्केटिंग यानी पिरामिड सेलिंग में उत्पादों के सहारे इस धोखाधड़ी को छिपाने की कोशिश की है. ईडी की कार्रवाई पर एमवे इंडिया ने बयान जारी करते हुए कहा है कि 'अधिकारियों की कार्रवाई 2011 के एक मामले की जांच के बारे में है. एमवे ईडी के अधिकारियों का सहयोग करना जारी रखेगी.'

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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