एप्पल ने जब स्टीव जॉब्स को कहा गुडबाय
एप्पल ने चीन और भारत के बड़े बाजार में मिडिल क्लास को लुभाने के लिए जोर-शोर से सस्ती दरों पर iPhone SE का लांच किया है. एप्पल ने उम्मीद संजोई है कि वह इस मिडिल सेग्मेंट के सहारे अपने मुनाफे को बरकरार रख पाएगा.
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एप्पल का नया स्मार्टफोन iPhone SE लॉच कर दिया गया है. iPhone SE लांच से दो बातें साफ हो चुकी है, पहला कि यह न तो स्टीव जॉब्स वाला एप्पल फोन है और दूसरा अब एप्पल को अपने उस रुतबे की भी जरूरत नहीं है जिससे वह मोबाइल और कंप्यूटिंग की दुनिया का बादशाह बना था.
बीते एक दशक में एप्पल ने एक के बाद एक अपने कई प्रोडक्ट्स लांच किए. हर लांच में सुर्खी यही रहती थी कि स्टीव जॉब्स ने क्रांतिकारी फीचर्स के साथ मार्केट में अनोखा प्रोडक्ट उतारा है. हर लांच में बाजार को बस एक इंतजार रहता था कि एप्पल मोबाइल और कंप्यूटिंग की दुनिया में क्या नया कीर्तिमान स्थापित करने जा रही हैं. वहीं कीमत को लेकर सभी आश्वस्त रहते थे कि एप्पल के बेजोड़ गैजेट्स की कीमत भी बाजार में बेजोड़ ही रहेगी, लिहाजा कीमत पर चर्चा नहीं होती थी. इन्हीं सुर्खियों से एप्पल ने मोबाइल, टैब और कंप्यूटर की दुनिया में अपने लिए एक एक्सक्लूजिव जगह बनाई या कह सकते हैं अपने लिए वह रुतबा पैदा किया जहां उसे चुनौती देने वाला कोई नहीं था.
इसके उलट iPhone SE का लांच सुर्खियों में एप्पल की चिर-परिचित रुतबे के लिए नहीं बल्कि इसलिए है कि यह उसका सबसे सस्ता आईफोन है. क्या इस लांच से दरकिनार होता एप्पल का रुतबा इस बात पर मुहर लगाता है कि यह स्टीव जॉब्स का एप्पल नहीं है? क्या बाजार में बने रहने के लिए अब एप्पल के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह अपने उन प्रतिद्वंदियों पर नजर रखे जो स्टीव जॉब्स के नक्शे-कदम पर चलने के लिए कभी मजबूर रहते थे.
गौरतलब है कि स्टीव जॉब्स के दौर में एप्पल की महज एक कोशिश रहती थी कि कैसे अपने प्रोडक्ट को इतना खास बनाया जाए कि यूजर प्रोडक्ट की कीमत पर गौर ही न करे. अब इसके लिए चाहे सबसे पहले स्टीव जॉब्स का हेलो बोलने वाला कंप्यूटर हो या फिर पांच उंगलियों पर चलने वाला टच स्क्रीन फीचर का गैजेट, स्टीव जॉब्स ने बखूबी एप्पल की इस साख को तैयार किया. हाई-एंड प्रोडक्ट चाहे वह आई-मैक हो या आईपैड-प्रो, स्टीव जॉब्स ने उनकी उंची कीमत रखते हुए दावा किया कि वे प्रोडक्ट्स एक खास वर्ग और प्रोफेश्नल क्लास के लिए तैयार किया गया है. हकीकत भी यही थी कि एप्पल का कोई भी नया प्रोडक्ट सबसे पहले उस खास वर्ग तक पहुंचता था जिसका जिक्र स्टीव जॉब्स करते थे.
अब से पांच साल पहले 2011 में स्टीव जॉब्स ने दुनिया को अलविदा कह दिया. इसके बाद बीते साल तक अपने आईफोन 6 एस लॉच में एप्पल की कोशिश स्टीव जॉब्स की बनाई इस रुतबे को भुनाने की रही. लेकिन इससे पहले एप्पल को यह समझ आता कि अब वह स्टीव जॉब्स के रुतबे से कंपनी को मुनाफा नहीं पहुंचा सकते, बाजार ने इस बात को समझ लिया. एप्पल के खास प्रोडक्ट आई-पैड को उम्मीद के मुताबिक ग्राहक नहीं मिले. आई फोन 6 एस लांच के बाद भी सेल में बढ़त नहीं दिखने पर कंपनी को आईफोन 5 की कीमतों में भारी कटौती करनी पड़ी. अब एप्पल ने चीन और भारत के बड़े बाजार में मिडिल क्लास को लुभाने के लिए जोर-शोर से सस्ती दरों पर iPhone SE का लांच किया है. एप्पल ने उम्मीद संजोई है कि वह मोबाइल और कंप्यूटिंग की दुनिया में अब वह इस मिडिल सेग्मेंट के सहारे अपने मुनाफे को बरकरार रख पाएगा. लिहाजा, अब यह कहने में कोई शक नहीं रह जाता कि यह स्टीव जॉब्स वाला वो एप्पल नहीं है जिसकी हनक उसकी ऊंची कीमत पर भी हावी रहती थी. यह तो महज एप्पल का एक स्मार्टफोन है जो अपने चीनी प्रतिद्वंदियों के मुकाबले बाजार में टिकने की कोशिश कर रहा है.
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