सरकार अपना खजाना भरने के लिए बजट में बढ़ा सकती है ये 4 टैक्स
पिछले साल जुलाई में मोदी सरकार ने जीएसटी लागू किया था, जिसके बाद सरकार की कमाई पहले के मुकाबले काफी हद तक घट गई है. इस बार के बजट में उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार इन 4 टैक्स को बढ़ा सकती है.
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बजट से न सिर्फ जनता को उम्मीदें रहती हैं, बल्कि सरकार भी इसी के जरिए अपने राजस्व को बढ़ाने की रणनीति बनाती है. बजट की घोषणाएं करते समय सरकार जनता को फायदा पहुंचाने के साथ-साथ अपनी कमाई का भी ध्यान रखती है. पिछले साल जुलाई में मोदी सरकार ने जीएसटी लागू किया था, जिसके बाद सरकार की कमाई पहले के मुकाबले काफी हद तक घट गई है. इसकी वजह से मोदी सरकार के लिए यह बजट बेहद अहम है. इस बार के बजट में उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार इन 4 टैक्स को बढ़ा सकती है, ताकि अपने खजाने को भर सके.
1- लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स
सरकार की तरफ से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर लगने वाले टैक्स को बढ़ाया जा सकता है. मौजूदा समय में लिस्टेड इक्विटी (जो भारत में लिस्टेड हैं) पर हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स नहीं लगता है, जबकि अनलिस्टेड इक्विटी (जो विदेशी शेयर बाजार में लिस्टेड हैं) से हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स (Long term capital gain tax on equities) लगता है. हो सकता है कि सरकार इस अंतर को खत्म करते हुए हर तरह के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स लगाने का प्रावधान ले आए. आपको बता दें कि अगर आप किसी शेयर को 12 महीने बाद बेचते हैं तो उससे हुआ फायदा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहलाता है, जबकि इससे पहले बेचने पर हुआ फायदा शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन कहलाता है.
आप पर असर
इससे उन लोगों पर टैक्स का बोझ बढ़ेगा, जो शेयर बाजार में निवेश करते हैं. साथ ही विदेशी निवेश भी घट सकता है, क्योंकि बहुत से देशों में कैपिटल गेन पर टैक्स नहीं लगता है और वे लोग भारत में शेयर बाजार में निवेश करते हैं, ताकि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर फायदा कमा सकें.
2- सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स
लिस्टेड शेयर्स पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स लगाने से विदेशी निवेश के घटने के खतरे को कम करने के लिए सरकार सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (Increase in securities transaction tax) बढ़ा सकती है. मौजूदा समय में यह टैक्स करीब 0.1 फीसदी है. इस टैक्स को सरकार लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर लगने वाले टैक्स के विकल्प के रूप में लागू कर सकती है.
आप पर असर
अगर यह टैक्स बढ़ता है तो इससे उन निवेशकों पर अधिक असर पड़ेगा जो छोटी अवधि के लिए निवेश करते हैं. हालांकि, जो लोग लंबे समय के लिए निवेश करते हैं, उन पर इसका असर काफी कम होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि यह टैक्स हर बार ट्रांजैक्शन करने पर लगेगा, जो शॉर्ट टर्म वाले को बार-बार देना पड़ेगा, लेकिन लंबी अवधि वाले को काफी दिनों या सालों बाद देना पड़ेगा.
3- कस्टम ड्यूटी
जब से सरकार ने जीएसटी लागू किया है, अधिकतर अप्रत्यक्ष कर जीएसटी में शामिल हो चुके हैं. ऐसे में सरकार के पास कमाई के लिए कस्टम ड्यूटी एक बड़ा हथियार है. टैक्स से होने वाली कमाई को बढ़ाने के लिए और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए सरकार कस्टम ड्यूटी (customs duties) में बढ़ोत्तरी कर सकती है.
आप पर असर
यहां आप पर पड़ने वाला असर अप्रत्यक्ष होगा. जैसे कि जब मोबाइल कंपनियों पर कस्टम ड्यूटी अधिक लगेगी तो वह प्रोडक्ट के दाम बढ़ा देंगे और वह आपको महंगा मिलेगा. इसी तरह से सोलर पर कस्टम ड्यूटी बढ़ने से सोलर से पैदा होने वाली बिजली महंगी हो जाएगी.
4- इनहेरिटेंस टैक्स
टैक्स से होने वाली कमाई को बढ़ाने के लिए सरकार एक बार फिर से इनहेरिटेंस टैक्स (inheritance tax) ला सकती है, जिसे पहले एस्टेट ड्यूटी के नाम से जाना जाता था.
आप पर असर
अगर सरकार यह टैक्स लाती है तो इससे छोटे टैक्सपेयर्स को तो फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन बड़े टैक्सपेयर को फर्क पड़ेगा, क्योंकि सरकार यह टैक्स बड़े वैल्थ ट्रांसफर पर ही लगाएगी. जैसे 5 करोड़ रुपए से अधिक की वैल्थ ट्रांसफर करने पर टैक्स.
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