जकरबर्ग का स्वार्थ: डिजिटल इंडिया के बहाने internet.org का प्रमोशन
लाखों लोगों ने मोदी सरकार के डिजिटल इंडिया के प्रति समर्थन जताने के लिए अपनी प्रोफाइल पिक को रंगना शरू कर दिया. लेकिन एचटीएमल कोड में internet.org दिखने से बवाल हो गया और...
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पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान फेसबुक के फाउंडर मार्क जकरबर्ग ने डिजिटल इंडिया को सपोर्ट करने के लिए जैसे ही फेसबुक पर अपना प्रोफाइल पिक्चर तिरंगे के रंग में अपडेट किया, लोगों के बीच भी अपनी प्रोफाइनल पिक को अपडेट करने की होड़ लग गई.
भारत में लोगों ने ऐसा मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट का समर्थन करने के लिए किया. लेकिन ऐसा करने वालों को यह नहीं पता था कि वह अपनी प्रोफाइल पिक बदलकर दरअसल डिजिटल इंडिया को नहीं बल्कि फेसबुक के एक विवादित अभियान का समर्थन कर रहे हैं? बस इसके बाद फेसबुक आलोचकों के निशाने पर आ गया. जिसके बाद फेसबुक को खुद सफाई देनी पड़ी कि प्रोफाइल पिक बदलने का मकसद डिजिटल इंडिया को सपोर्ट करना ही है और इसके पीछे फेसबुक की कोई छिपी मंशा नहीं है. आइए जानें प्रोफाइल पिक बदलने को लेकर क्यों मचा बवाल और फेसबुक पर लगे क्या आरोप?
डिजिटल इंडिया के नाम पर internet.org का सपोर्ट?
भारत में लाखों लोगों ने बिना कुछ सोचे-समझे मोदी सरकार के डिजिटल इंडिया के प्रति अपना समर्थन जताने के लिए अपनी प्रोफाइल पिक को रंगना शरू कर दिया. लेकिन फिर पता चला कि जब आप इस अभियान के लिए अपनी प्रोफाइल पिक बदलते हैं तो इसके एचटीएमल कोड में internet.org दिखता है. जिससे इस बात की चर्चा गर्म हुई कि डिजिटल इंडिया को सपोर्ट के बहाने फेसबुक अपने internet.org के लिए समर्थन जुटा रहा है. जिसके बाद प्रोफाइल पिक बदलने के फेसबुक के अभियान को लेकर विवाद खड़ा हो गया.
फेसबुक ने दी सफाई और आरोप को गलत बतायाः
फेसबुक ने इस विवाद के बाद अपनी सफाई में कहा, 'डिजिटल इंडिया के लिए आपकी प्रोफाइल पिक्चर को अपडेट करने और internet.org के बीच कोई संबंध नहीं हैं. एक इंजीनियर ने गलती से कोड के लिए 'internet.org profile picture' को संक्षिप्त नाम के रूप में प्रयोग कर दिया. लेकिन इस प्रॉडक्ट का उद्देश्य किसी भी तरह से internet.org से संबंधित नहीं है या उसके लिए सपोर्ट हासिल करना नहीं है. हम आज ही इस कोड को किसी भी तरह के भ्रम से बचने के लिए हटा रहे हैं.' हालांकि फेसबुक की इस सफाई के बाद स्थिति स्पष्ट तो हो गई लेकिन तब तक फेसबुक की मंशा और उसके internet.org को लेकर अच्छा-खासा विवाद हो चुका था.
क्या है फेसबुक का internet.org: फेसबुक का यह विवादित और बहुचर्चित प्रोजेक्ट अपने लॉन्च के समय से ही चर्चा में रहा है. internet.org के जरिए फेसबुक दुनिया के उन अरबों लोगों को मुफ्त में इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराना चाहता है जो अभी तक इसकी पहुंच से दूर हैं. भारत में ऐसे लोगों की तादाद तकरीबन सौ करोड़ है. फेसबुक ने 2013 में internet.org प्रोजेक्ट लॉन्च किया था. इस प्रोजेक्ट के लिए फेसबुक ने छह कंपनियों सैमसंग, एरिक्सन, मीडिया टेक, ओपेरा सॉफ्टवेयर, नोकिया और क्वॉलकॉम के साथ करार किया है. internet.org के तहत फेसबुक का लक्ष्य इंटरनेट से वंचित दुनिया के विकासशील देशों के अरबों लोगों को मुफ्त में कुछ चुनिंदा वेबसाइट्स तक पहुंच की सुविधा उपलब्ध कराना है. यही कारण है कि इसे अब तक भारत सहित जाम्बिया, तंजानिया, केन्या, कोलंबिया और घाना सहित उन छह देशों में लॉन्च किया गया जहां की आबादी गरीब है और इंटरनेट की पहंच से दूर है.
2013 में इसकी लॉन्चिंग के बाद फेसबुक के फाउंडर मार्क जकरबर्ग ने कहा था कि इंटरनेट की सुविधा हासिल करना लोगों का मूलभूत अधिकार है और यह लोगों के लिए वैसे ही उपलब्ध होना चाहिए जैसे कि 911 नंबर (भारत के लिए 100) पर कॉल करने पर मुफ्त में पुलिस सेवा मिलती है. फिलहाल internet.org में फेसबुक, न्यूज, स्पोर्ट्स, रोजगार, मौसम की कुल 38 वेबसाइट्स को शामिल किया गया हैं, जिन्हें intenet.org का इस्तेमान करने वाला यूजर मुफ्त में एक्सेस कर सकता है. भारत में फरवरी 2015 में फेसबुक ने internet.org को लॉन्च किया और इसके लिए रिलायंस के साथ पार्टनरशिप की है. इसका उद्देश्य दुनिया की उस आबादी को टारगेट करना है जोकि या तो इंटरनेट के फायदों से अनजान है या डेटा चार्ज का खर्च न उठा पाने के कारण इंटरनेट से दूर है.
क्यों है internet.org पर विवादः आलोचकों ने फेसबुक के internet.org को नेट न्यूट्रिलिटी (नेट निरपेक्षता या नेट तटस्ता) के सिद्धांतों के खिलाफ बताया है. आलोचकों का कहना है कि फेसबुक इससे कोई चैरिटी का काम नहीं कर रहा है बल्कि वह एक गेटकीपर बनना चाहता है जोकि यूजर के नेट यूज करने पर निगरानी रखेगा और उन्हीं साइटों का एक्सेस देगा जिनका उसके साथ करार है. यह नेट तटस्थता के उस सिद्धांत के खिलाफ है जिसके मुताबिक कोई भी इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली कंपनी यूजर, कंटेंट, साइट, या संचार के साधन के आधार पर बिना भेदभाव किए या अतिरिक्त चार्ज लिए, इंटरनेट पर हर तरह के डेटा को एक जैसा दर्जा देगी. एक डर इस बात का भी है कि भविष्य में internet.org का प्रयोग करने वाले लोग फेसबुक पर इस कदर निर्भर हो जाएंगे कि वह बाकी वेबसाइट्स पर जाना ही बंद कर देंगे. साथ ही इससे उन छोटी कंपनियों को नुकसान होगा जोकि बड़ी रकम चुकाकर फेसबुक के इस प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं बन सकती हैं. इससे फेसबुक आने वाले समय में इंटरनेट यूजर्स के एक बड़े तबके पर अपना एकछत्र राज स्थापित करना चाहता है जोकि इंटरनेट पर वही देख पाएंगे जोकि फेसबुक उन्हें दिखाएगा.
कैसे काम करता है internet.org:
internet.org कुछ चुनिंदा वेबसाइट्स को ही फ्री में उपलब्ध कराता है. उदाहरण के तौर पर भारत में रिलायंस के साथ लॉन्च किए गए इस प्रोजेक्ट में रिलायंस के यूजर को 40 वेबसाइट्स को फ्री में एक्सेस करने की सुविधा मिलती है, जिसमें फेसबुक, इसके मैसेंजर, विकीपीडिया, न्यूज, स्पोर्ट्स और वेदर साइट्स शामिल हैं. अगर कोई यूजर internt.org का इस्तेमाल करता है तो उसे ओपेरा मिनी या यूसी ब्राउजर से internet.org को लॉग इन करना होगा. एंड्रॉयड डिवाइसज वाले भी internet.org ऐप से इसकी फ्री साइट्स एक्सेस कर सकते हैं. लेकिन अगर आप किसी ऐसी साइट को खोलना चाहेंगे जोकि internet.org का हिस्सा नहीं है तो इसके लिए आप जो डेटा खर्च करेंगे उस पर चार्ज लगेगा. जैसे ही आप किसी ऐसी साइट्स को विजिट करेंगे जोकि internet.org का हिस्सा नहीं है तो आपको मुफ्त सेवा छोड़ने के बारे में एक चेतावनी भरा मेसेज आएगा. अगर आप रिलांयस के कस्टमर नहीं हैं तो internet.org को एक्सेस करने की कोशिश करने पर एक एरर मेसेज आएगा और आपसे इसके प्रयोग के लिए रिलांयस सिम लेने के लिए कहेगा.
फेसबुक के प्रोफाइल पिक बदलने के अभियान का मकसद भले ही डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट को सपोर्ट करना रहा हो लेकिन इसी बहाने कम से कम एक बार फिर से internet.org के उस महत्वपूर्ण विषय पर बहस तो छिड़ी जो कि आने वाले समय में दुनिया पर व्यापक प्रभाव डालने वाल है. खैर, आप चाहें तो बिना किसी झिझक के अब डिजिटल इंडिया के समर्थन में अपनी प्रोफाइल पिक को तीन रंगों में रंग सकते हैं!
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