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Updated: 25 नवम्बर, 2015 07:34 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
  @rmisra
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गुरूवार से संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हो रही है. इससे पहले मानसून सत्र में आर्थिक रिफॉर्म के पहिए को घुमाने की केन्द्र सरकार की सभी कोशिश विपक्ष के विरोध ने धता कर दी थी. एक बार फिर जहां केन्द्र सरकार बिहार के चुनावों में मिली करारी हार से बैकफुट पर है वहीं विपक्ष के पास सरकार को घेरने के लिए नए मसौदे हैं, ऐसे में देखना है कि इन एक दर्जन से अधिक महत्वपूर्ण लंबित बिल को पास कराने के लिए क्या शीतकालीन सत्र काम करता है या फिर इस सरकार के आर्थिक रिफॉर्म के पहिए को घूमने में अभी और वक्त लगेगा.

जीएसटी बिल- 122वां संविधान संशोधन बिल, 2014 को लोकसभा से पारित किया जा चुका है. अब 26 अप्रैल 2016 से देशभर में जीएसटी लागू करने के लिए इस बिल को राज्यसभा से पास कराया जाना है.

चेक बाउंस बिल- देश में चेक बाउंस की शिकायतों के 18 लाख से अधिक मामलों के देखते हुए लोकसभा ने कानून पारित किया है कि चेक बाउंस का मुकदमा अब चेक प्राप्त करने वाले के शहर में दर्ज किया जा सकेगा, हालांकि यह कानून राज्यसभा में लंबित है और इसे ऑर्डिनेंस के सहारे चलाया जा रहा है. इस कानून की जरूरत इसलिए है क्योंकि पहले के कानून के मुताबिक ज्यादातर मामलों में चेक प्राप्तकर्ता को चेक जारी करने वाले के शहर में जाकर मुकदमा करना पड़ता था.

उपभोक्ता संरक्षण बिल- देश में बाजार के बदलते स्वरूप और ई-रीटेल की बढ़ती लोकप्रियता के चलते इस बिल को लोकसभा में अगस्त 2015 में पेश किया गया था. इस बिल के प्रावधानों में उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए कानून के दायरे का विस्तार किया गया है. इसके साथ ही ऑफलाइन और ऑनलाइन रीटेल में धोखाधड़ी के खिलाफ कानून को मजबूत करते हुए रीटेलर समेत मैन्यूफैक्चरर के खिलाफ कड़े प्रावधान किए गए हैं.

बीआईएस बिल- इस बिल के जरिए केन्द्र सरकार 29 साल पुराने ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड एक्ट को बदलने जा रही है. नए एक्ट में क्वॉलिटी सर्टिफिकेशन के लिए सामग्रियों की संख्या को बढ़ाया जाएगा जो कि मौजूदा समय में 98 है. इसके साथ ही इस कानून से देश में इंस्पेक्टर राज को पूरी तरह से खत्म करने की कोशिश की जाएगी. इस कानून का सबसे ज्यादा फायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा क्योंकि इससे बाजार में महज क्वालिटी उत्पादों की बिक्री की जा सकेगी.

रियल स्टेट बिल- इस बिल को केन्द्र सरकार रियल ने स्टेट मार्केट में व्याप्त अनियमितताओं को हटाने के लिए पेश किया है. इस बिल में शेयर मार्केट (सेबी) की तर्ज पर रियल स्टेट मार्केट में रेग्युलेटर बैठाने का प्रावधान है. इसके अलावा इस बिल में बायर और सेलर के बिच हो रहे अनुबंध को अधिक पारदर्शी किया जा सकेगा और इस क्षेत्र में ब्लैकमनी के इस्तेमाल पर रोक लगाया जा सकेगा. इसके साथ ही इस नए कानून में घर खरीदने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं और रिहायशी प्रोजेक्ट में देरी होने पर ग्राहकों को उचित मुआवजा दिए जाएगा.

भूमि अधिग्रहण बिल- इस बिल के जरिए केन्द्र सरकार 2013 में यूपीए सरकार द्वारा पारित कानून में संशोधन करना चाहती है. केन्द्र सरकार की कोशिश भूमि अधिग्रहण की जटिल प्रक्रिया को डेवलपमेंट के अहम प्रोजेक्ट्स के रास्ते में आने से रोकने की है. इसके लिए इस बिल के माध्यम से उसकी कोशिश है कि पांच तरह के प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन अधिग्रहण करने की प्रक्रिया को सरल कर दिया जाए जिससे देश आर्थिक गतिविधियों को तेज किया जा सके. हालांकि, विपक्ष के भारी विरोध के चलते केन्द्र सरकार ने इस बिल से संबंधित ऑर्डिनेंस को दोबारा पारिच नहीं कराया और फिलहाल यह बिल दोनों सदनों की सेलेक्ट कमेटी के पास लंबित पड़ा है.

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट जजों की सैलरी संबंधी बिल- इस बिल को केन्द्र सरकार ने अगस्त 2015 में लोकसभा में पेश किया था. इस बिल में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की सैलरी संबंधित सुधार, छुट्टी अलाउंस और पेंशन संबंधी परिवर्तन किए जाने हैं.

घरेलू कालेधन पर लगाम- बेनामी लेन-देन रोधक कानून की मदद से केन्द्र सरकार देश में बेनामी लेन-देन पर लगाम लगाने की कोशिश करेगी. इससे घरेलू स्तर पर कालेधन के खिलाफ लड़ाई को तेज किया जा सकेगा. इस बिल में बेनामी लेन-देन की शिकायतों के जल्द निपटारे और पेनाल्टी का प्रावधान किया गया है.

इलेक्ट्रिसिटी संशोधन बिल- इस बिल से 2003 के एक्ट में सुधार करने की कोशिश है. नए कानून से केन्द्र सरकार की कोशिश इलेक्ट्रिसिटी प्रोडक्शन और इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन के काम को अलग करने की है. इसके साथ ही इस बिल में बाजार में इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन के लिए एक से अधिक लाइसेंस देने का प्रावधान है. केन्द्र सरकार का मानना है कि पुराने कानून में प्रस्तावित संशोधन देश के पॉवर सेक्टर में सुधार की शुरुआत होगी और इन कदमों से साल 2022 तक देश के सभी गांवों में बिजली सप्लाई को सुनिश्चित किया जा सकेगा.

भ्रष्टाचार निरोधक कानून- इस बिल से 1988 के भ्रष्टाचार निरोधक कानून में परिवर्तन करते हुए भ्रष्टाचार को संगीन जुर्म करार दिया जाएगा. इसके साथ ही इस बिल में भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों (घूस लेने और देने वाले) के लिए लंबी अवधि की सजा का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा इस नए कानून में भ्रष्टाचार संबंधी मामलों का निस्तारण करने के लिए दो साल की समय सीमा तय कर दी जाएगी.

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लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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