नोटबंदी के डेढ़ साल बाद भी RBI के सामने कायम है 1000-500 के नोट का रहस्य
आरबीआई ने 15.28 लाख करोड़ रुपये के नोटों की गिनती के लिए आठ महीने का समय लिया. और पिछले एक साल में, वो बाकी बचे 0.16 लाख करोड़ नोटों की गिनती नहीं कर पाई है.
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30 अगस्त 2017 को, भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट (2016-17) में घोषित किया कि नोटबंदी में बंद किए गए 500 और 1000 के लगभग 99 प्रतिशत नोट बैकिंग सिस्टम में वापस आ गए. 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी लागू की गई थी. इस वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 30 जून 2018 के भीतर 15.44 लाख करोड़ रुपये की कीमत के 500, 1000 के नोटों में से 15.28 लाख करोड़ रुपये बैंकिंग सिस्टम में लौट आई.
लगभग एक साल बाद, केंद्रीय बैंक इससे आगे गिन ही नहीं पा रहा है.
RBI को क्या हो गया?
इंडिया टुडे द्वारा पूछे गए सूचना का अधिकार (आरटीआई) के बाद आरबीआई के जवाब से तो यही निष्कर्ष निकलता है. सिस्टम में 1000 और 500 रुपए के कितने नोट वापस आए? आरबीआई से यही सवाल पूछा गया था.
"सत्यापन प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होने वाले भविष्य में सुधारों के अधीन 30 जून, 2017 तक प्राप्त एसबीएन (निर्दिष्ट बैंक नोट) का अनुमानित मूल्य 15.28 ट्रिलियन है". आरबीआई का ये जवाब है.
इंडिया टुडे द्वारा आरटीआई के हवाले से मांगी गई जानकारी पर आरबीआई ने जवाब देने से इंकार कर दिया
आरबीआई ने 15.28 लाख करोड़ रुपये के नोटों की गिनती के लिए आठ महीने का समय लिया. और पिछले एक साल में, वो बाकी बचे 0.16 लाख करोड़ नोटों की गिनती नहीं कर पाई है. हालांकि ये भी हो सकता है कि बाकी की राशि सिस्टम में वापस ही नहीं आई है. इस मुद्दे पर आरबीआई की चुप्पी काफी दिलचस्प है.
नेपाल और भूटान दोनों ही देशों में भारतीय मुद्रा का भरपूर उपयोग है और भंडार ही है.
हालांकि नेपाल में वित्तीय लेनदेन के लिए भारतीय रुपया कानूनी निविदा नहीं है. लेकिन फिर भी देश में इसका व्यापक रूप से उपयोग होता है. पिछले महीने, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की नेपाल यात्रा के दौरान, ये मुद्दा ऱिक चर्चा में आया था. नेपाल के प्रधान मंत्री केपी शर्मा ओली ने मांग की कि भारत को नेपाल के बैंकिंग सिस्टम में फंसे 950 करोड़ रुपये के पुराने 500- 1000 के नोटों को बदलना चाहिए. लेकिन इन नोटों का आदान-प्रदान कैसे करेंगे इस पर कोई समझौता नहीं हुआ है.
नेपाल को आरबीआई ने कोर आश्वासन ही दिया
नेपाल राष्ट्र बैंक के अधिकारियों के अनुसार, मार्च में हुई एक बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक ने हर नेपाली को 4,500 रुपये के भारतीय बैंक नोटों के बदलने की मौखिक सहमति व्यक्त की थी. लेकिन कुछ भी जमीनी तौर पर नहीं हो पाया.
आरटीआई में इंडिया टुडे ने आरबीआई से ये भी पूछा कि नेपाल में पुराने 500-1000 के भारतीय मुद्रा की संख्या / राशि कितनी पड़ी हुई है.
आरबीआई ने जवाब दिया, "मांगी गई जानकारी हमारे पास उपलब्ध नहीं है."
क्या नेपाल राष्ट्र बैंक ने 1000-500 के नोटों मूल्यांकन दिया है?
अब तक, इन पुराने नोटों में से कितने भारत द्वारा परिवर्तित कर दिए गए हैं?
ये कुछ अन्य प्रश्न पूछे गए हैं. आरबीआई ने इनमें से किसी भी सूचना का जवाब देने से मना कर दिया. उन्होंने ये कहा कि ये सारे सवालों का जवाब देने पर आरटीआई एक्ट के अधिनियम के तहत छूट दी गई है.
साथ ही केंद्रीय बैंक ने यह भी खुलासा करने से इंकार कर दिया कि भूटान के पास 1000-500 की कितनी मुद्रा है.
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