ऑनलाइन शॉपिंग को लेकर नए नियम लोगों का दिल तोड़ सकते हैं
सरकार जल्द ही एक ऐसी पॉलिसी लाने वाली है जो ऑनलाइन शॉपिंग डिस्काउंट का फायदा कम कर देगी. ई-कॉमर्स पर एक ड्राफ्ट तैयार किया है जिसमें 'deep discounting' (निश्चित कीमत से बहुत ज्यादा डिस्काउंट देने की पॉलिसी) को खत्म करने की बात कही गई है.
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अगर आपसे पूछा जाए कि ऑनलाइन शॉपिंग का सबसे बड़ा फायदा क्या होता है तो आप क्या कहेंगे? शायद हर ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले का यही जवाब होगा कि इसका सबसे बड़ा फायदा होता है. किसी फेस्टिव सेल के दौरान तो और भी ज्यादा बेहतर होता है क्योंकि लोगों के लिए 80% तक डिस्काउंट पर चीज़ें उपलब्ध हो जाती हैं. पर अब कुछ ऐसा होने वाला है कि ऑनलाइन शॉपर्स की ये खुशी छिनने वाली है.
सूत्रों की मानें तो सरकार जल्द ही एक ऐसी पॉलिसी लाने वाली है जो ऑनलाइन शॉपिंग डिस्काउंट का फायदा कम कर देगी. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने ई-कॉमर्स पर एक ड्राफ्ट तैयार किया है जिसमें 'deep discounting' (निश्चित कीमत से बहुत ज्यादा डिस्काउंट देने की पॉलिसी) को खत्म करने की बात कही गई है.
ऐसा बताया जा रहा है कि इस पॉलिसी में किसी निश्चित तारीख से डीप डिस्काउंटिंग की पॉलिसी बंद कर दी जाएगी.
क्यों किया जा रहा है ऐसा?
सरकार का प्लान है कि कई चीज़ें जैसे एफडीआई, लोकल डेटा स्टोरेज, कंज्यूमर सर्विस आदि सब छोटे और मीडियम स्केल बिजनेस को मिल जाए. सरकारी पॉलिसी के अनुसार बड़े ई-कॉमर्स प्लेयर्स जैसे अमेजन और फ्लिपकार्ट बड़े डिस्काउंट देकर फायदा उठा लेते हैं और छोटी ई-कॉमर्स कंपनियां और रिटेल स्टोर्स कुछ नहीं कर पाते. ऐसे में अगर डिस्काउंट देने की एक तय रणनीति बना दी जाएगी तो यकीनन छोटे वेंडर्स का डिस्काउंट भी लोग देख पाएंगे.
इससे भारतीय कंपनियों को फायदा दिलाने का प्लान बनाया जा रहा है
ई-कॉमर्स कंपनियां आधिकारिक तौर पर कहती हैं कि विक्रेता छूट प्रदान करते हैं, न कि ऑनलाइन मार्केटप्लेस, लेकिन अधिकारियों के अनुसार ये पूरी तरह से संभव नहीं हैं. ऑनलाइन डिस्काउंट्स के चलते लोकल शॉप्स को बहुत ज्यादा नुकसान होता है और ये सही नहीं है. सरकार ऐसे तरीके ढूंढ रही है जिससे बिना इंटनेशनल बिजनेस को नुकसान पहुंचाए भारतीय मेक इन इंडिया मूवमेंट को सहारा मिल सके. ड्रॉफ्ट की गई पॉलिसी के अनुसार इससे भारतीय कंपनियों को बढ़ावा मिल सकता है.
किस-किस को नुकसान..
खबरों की मानें तो ये पॉलिसी सिर्फ ऑनलाइन शॉपिंग दिग्गज जैसे फ्लिपकार्ट और अमेजन को ही नहीं कवर करेगी बल्कि इसके अंतरगत Swiggy और जोमैटो जैसी फूड डिलिवरी साइट्स भी शामिल होंगी. इसी के साथ, सर्विस एप्स जैसे अर्बन क्लैप और फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स जैसे फ्रीचार्ज और पेटीएम भी शामिल होंगे. यानि कुल मिलाकर ऑनलाइन शॉपिंग एप्स के साथ-साथ सभी सर्विस एप्स पर भी गाज गिर सकती है.
भारत का ई-कॉमर्स सेक्टर तेज़ी से बढ़ रहा है और इसके जल्द ही 200 बिलियन डॉलर इंडस्ट्री बनने की गुंजाइश है. फ्लिपकार्ट, अमेजन, पेटीएम जैसे प्लेटफॉर्म्स में विदेशी इन्वेस्टमेंट काफी ज्यादा है. ऐसे में अगर सरकार ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर लगाम लगा देती है तो यकीनन ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए ये नुकसानदेह बात होगी क्योंकि ऐसे में कस्टमर बेस को नुकसान पहुंचेगा.
इसके अलावा, सबसे बड़ा घाटा कंज्यूमर का होगा. आज के दौर में अगर एक फोन भी खरीदना है तो रिटेल स्टोर्स पर देखने के बाद ऑनलाइन शॉपिंग की जाती है ताकि हमें कोई सामान सस्ता मिल सके. लेकिन अगर ये भी बंद हो गया तो ऑनलाइन शॉपिंग का कोई फायदा ही नहीं रह पाएगा.
चाहें होटल बुक करवाना हो, चाहें घर पर किराना सामान मंगवाना हो, चाहें किसी को फिल्म की टिकट बुक करवानी हो हर काम के लिए ऑनलाइन एप्स का इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, अभी ये पॉलिसी पब्लिक नहीं की गई है, लेकिन इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि अगर ये पॉलिसी अमल में आ गई तो यूजर्स को कितना नुकसान होगा.
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