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Updated: 15 जुलाई, 2017 04:50 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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जीएसटी को लेकर इतने वर्षों से जो हलचल मची हुई थी वो इसके लागू होते ही थोड़ी थम सी गई है. जो लोग इसका विरोध भी कर रहे थे उन्हें भी अब ये नहीं समझ आ रहा कि आखिर बदलाव क्या आया? iChowk से कुछ लोगों के ये सवाल भी थे कि आखिर ये कैसे पता करें कि हमारे साथ धोखा तो नहीं हो रहा है?

1 जुलाई के बाद कई लोगों ने ट्विटर पर अपना गुस्सा जाहिर किया कि उनके बिलों में जीएसटी कुछ अलग ढंग से लगाया जा रहा है. कुछ ने कहा कि वैट, सर्विस चार्ज और जीएसटी तीनों टैक्स लगाए जा रहे हैं. इन सबके लिए CBEC (सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज और कस्टम) ने एक ट्वीट कर रेस्त्रां बिल का क्लैरिफिकेशन दिया है.

कैसे बदलता है रेस्त्रां का बिल...

1. खाने पर टैक्स..

आपका होटल/रेस्‍त्रां दो तरह के टैक्स स्लैब में आ सकता है. एसी और नॉन एसी... अगर वो पहले स्लैब में है तो 12% टैक्स लगेगा जिसमें 6% CGST और 6% SGST लगेगा. एसी रेस्त्रां पर 18% टैक्स लगेगा 9% CGST और 9% SGST.

2. नॉन एसी रेस्त्रां जो शराब सर्व करते हैं उन्हें 18% जीएसटी के दायरे में रखा गया है. इसके अलावा, प्री पैक्ड चीजें अगर कोई रेस्त्रां बेच रहा है जैसे हल्दीराम आदि तो वो 12% टैक्स स्लैब में आएगा.

3. कोई भी रेस्त्रां आपको 28% टैक्स स्लैब में नहीं मिलेगा इसलिए अगर कोई ऐसा चार्ज कर रहा है तो उसके झांसे में ना आएं.

जीएसटी के बाद भी वैट क्यों?

पेंच यहां ये है कि अगर आप किसी रेस्त्रां में जा रहे हैं और आपने एल्कोहॉल और खाना दोनों ऑर्डर किया है तो आपके बिल में जीएसटी के साथ-साथ वैट भी दिख सकता है. इस बात को लेकर ट्विटर पर कई लोगों ने कई सवाल किए हैं. आखिर क्यों जीएसटी के बाद भी बिल में वैट और सर्विस चार्ज और सर्विस टैक्स दिख रहा है?

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इसका जवाब बहुत सीधा सा है. कारण ये है कि जीएसटी सिर्फ खाने के आइटम पर लगा है और शराब जीएसटी के दायरे से बाहर है. यही कारण है कि शराब में जीएसटी नहीं वैट ही लग रहा है. तो अगर आपका रेस्त्रां शराब पर वैट लगा रहा है तो वो कोई गलत काम नहीं कर रहा क्योंकि वो बिल वैसा ही होगा.

बाकी चीजों के लिए भी रखें ध्यान...

सिर्फ रेस्त्रां बिल ही नहीं बल्कि कैब, ग्रॉसरी, ब्रांडेड कपड़े, शॉपिंग आदि सभी के मामले में ये चीज ध्यान रखनी जरूरी है कि कहीं आपके साथ कोई धोखा तो नहीं हो रहा... एक रेस्त्रां का बिल तो CBEC ने क्लियर कर दिया, लेकिन बाकी चीजों के लिए भी आपको ध्यान रखने की जरूरत है. तो कैसे डिकोड करें अपना GST बिल ... चलिए देखते हैं...

सबसे पहले चेक करें GST रेट...

आम तौर पर जिन लोगों को GST समझने की शिकायत है वो ये जरूर सोच रहे हैं कि जीएसटी का रेट कैसे लगेगा क्या होगा और क्यों उन्हें ज्यादा चार्ज किया जा रहा है. अगर आपको लग रहा है कि आपके साथ ऐसा कुछ हो रहा है तो आपको जीएसटी का रेट चेक कर लेना चाहिए. CBEC ने ऑफिशियल एप जीएसटी रेट फाइंडर की जानकारी दी है जहां आपको सभी चीजों से जुड़े जीएसटी रेट मिल जाएंगे.

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दो तरह के टैक्स से कन्फ्यूज ना हों....

CGST (central GST) और SGST (central GST) आपको बिल में ये दो तरह से टैक्स दिख जाएंगे. अगर किसी आइटम पर 12% जीएसटी लगा है तो वो स्टेट और सेंटर दो में विभाजित हो जाएगा और इसलिए आपको 6% और 6% टैक्स दिखेगा.

सर्विस चार्ज....

सर्विस चार्ज कहीं किसी जगह पर जीएसटी के अलावा भी लगाया जा सकता है, लेकिन सरकारी नियमों में ये शामिल नहीं है. आप सर्विस चार्ज के लिए मना भी कर सकते हैं. कई रेस्त्रां पहले से यूजर्स को बता देते हैं कि वो सर्विस चार्ज लगाएंगे. चाहें वो मेनु में लिखा हो या किसी अन्य जगह. ऐसे में खाना खाने के बाद आपको जीएसटी के अलावा, सर्विस चार्ज देना ही होगा. ऐसा होटल रूम, रेंटल सर्विस या किसी अन्य सर्विस के लिए भी हो सकता है.

वैट और जीएसटी...

अगर आपके बिल में कोई ऐसी चीज है जिसपर जीएसटी लागू नहीं होता है तो आपको वैट और जीएसटी दोनों देने होंगे.

वीडियो के जरिए आसानी से समझें ये गणित...

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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