GST लगने के बाद क्रेडिट कार्ड पड़ेगा महंगा, जानिए और कहां कहां कटेगी जेब...
जीएसटी के अंतरगत आने वाली लगभग सभी फाइनेंशियल सर्विसेज पर असर पड़ेगा और ये सर्विसेज थोड़ी बदल जाएंगी. तो आपकी जेब पर इसका क्या असर होगा चलिए देखते हैं...
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GST से जुड़ी अहम जानकारियां आईचौक आपको लगातार बताता रहा है. एक बार फिर से जीएसटी से जुड़ी अहम जानकारी लेकर हम आए हैं. जीएसटी के अंतरगत आने वाली लगभग सभी फाइनेंशियल सर्विसेज पर असर पड़ेगा और ये सर्विसेज थोड़ी बदल जाएंगी. इनमें सबसे ज्यादा फर्क अगर देखा जाए तो बैंकिंग और इंश्योरेंस सर्विसेज पर क्योंकि ये सर्विसेज मास कंजम्पशन की हैं. ऐसे ही म्यूचुअल फंड्स पर भी असर पड़ेगा.
क्या हुआ है बदलाव...
बदलाव की बात करें तो फाइनेंशियल सर्विसेज जो पहले 15% (कृषि कल्यान सेस आदि मिलाने के बाद) टैक्स स्लैब में आती थीं अब वो 18% टैक्स स्लैब में आ जाएंगी. इसका मतलब 3% की बढ़त. तो बैंकिंग ट्रांजैक्शन करने वाले हर 100 रुपए टैक्स पर आपको 3 रुपए 1 जुलाई के बाद ज्यादा देने होंगे.
जीएसटी लगने के बाद सभी बैंक ट्रांजैक्शन महंगे हो जाएंगे
3% की बढ़त भले ही देखने में कम लग रही हो, लेकिन ये है बहुत ज्यादा. ये कुछ-कुछ वैसा ही है जैसे 1000 रुपए के बिल पर आप 150 रुपए टैक्स दे देते हैं किसी रेस्त्रां में जो अब 150 की जगह 180 रुपए देना होगा. बैंकिंग में भी ऐसा ही होगा.
कई सर्विसेज अब 18% के टैक्स स्लैब में आ गई हैं. इनमें बैंकिंग, इंश्योरेंस, टेलिकॉम, आईटी, एसी रेस्त्रां (जहां शराब मिलती है) आदि इसी स्लैब में हैं.
आप पर क्या असर पड़ेगा...
देखिए आप पर उन सभी मामलों में असर पड़ेगा जहां आप किसी भी तरह की फाइनेंशियल सर्विसेज का इस्तेमाल करते हैं. इसमें चेक बुक इशू करवाने से लेकर क्रेडिट कार्ड के पेमेंट तक सब कुछ महंगा हो जाएगा.
कहां-कहां पड़ेगा सबसे ज्यादा असर...
1. क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल...
क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने की आदत अगर आपकी है तो अब आने वाले समय में क्रेडिट कार्ड महंगा हो जाएगा. कारण ये है कि क्रेडिट कार्ड के जरिए होने वाले अधिकतर ट्रांजैक्शन पर सर्विस टैक्स वसूला जाता है. ऐसे में जो अभी तक आप 14% दे रहे थे वो अब 18% होगा. आम तौर पर आपके क्रेडिट कार्ड के आउटस्टैंडिंग बैलेंस (यानी जितनी रकम देनी बाकी है.) पर जो भी इंट्रेस्ट चार्ज होगा उसपर जीएसटी लगाया जाएगा.
अब देखिए इस मामले में अगर आप सिर्फ मिनिमम ड्यू पेमेंट करके बाकी आउटस्टैंडिंग में आप छोड़ देते हैं तो वो आपके लिए खतरनाक साबित होगा. मतलब अब पहले से ज्यादा पेमेंट आपको करनी होगी. बेहतर है कि अगर आप पूरा पैसा नहीं दे पा रहे हैं एक बार में तो भी मिनिमम ड्यू से ज्यादा चुकाने की कोशिश करें. ज्यादातर कार्ड होल्डर एनुअल फीस, कार्ड रिनिवल फीस, एड ऑन फीस पर ध्यान देते हैं, लेकिन इंट्रेस्ट पर जो पैसा वो एक्सट्रा दे रहे हैं उसपर ध्यान ही नहीं दिया जाता. मतलब अगर मेरा इंट्रेस्ट 1200 रुपए है तो उसका पहले 14% मुझे टैक्स के रूप में देना पड़ता था जिसका अब 18% देना होगा.
ब्रांच से पैसा निकालें या एटीएम से तय लिमिट के बाद ये महंगा ही पड़ेगा.
2. एटीएम से पैसे निकालना...
जी हां, अपने पैसे निकालने ही एटीएम से महंगे हो सकते हैं. पहले जहां इसका चार्ज 15% होता था वो अब 18% लगेगा. अभी 5 ट्रांजैक्शन फ्री हैं और अन्य बैंक से 3 ट्रांजैक्शन फ्री उसके बाद 20 रुपए प्रति ट्रांजैक्शन लगता है. आने वाले समय में जीएसटी के बाद ये भी महंगा हो सकता है. ऐसे में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन थोड़े फायदेमंद साबित होंगे भले ही पैसे उसमें भी कटेंगे, लेकिन ये एटीएम से पैसे निकालने से बेहतर होंगे.
3. ब्रांच ट्रांजैक्शन...
एसबीआई में आप तीन बार से ज्यादा बैंक से पैसे नहीं निकाल सकते हैं. उसके बाद वैसे भी आपको चार्ज देना पड़ता है. पहले जहां 50 रुपए हर ट्रांजैक्शन के देने पड़ते थे आने वाले समय में ये चार्ज भी महंगा हो जाएगा.
4. चेकबुक इशू करवाना...
चेकबुक इशू करवाने के लिए भी आपको सर्विस चार्ज देना पड़ता है. अब 1 जुलाई के बाद ये चार्ज भी बढ़ जाएगा. इसी के साथ डिमांड ड्राफ्ट्स भी महंगे हो जाएंगे.
तो कुल मिलाकर आपके लिए काफी कुछ ऐसा है जो महंगा हो सकता है. ज्यादा कैशलेस ट्रांजैक्शन करें और क्रेडिट कार्ड की जगह डेबिट कार्ड से पेट्रोल आदि भरवाएं क्योंकि भले ही पेट्रोल जीएसटी की रेंज से बाहर है लेकिन अगर आप क्रेडिट कार्ड से पेमेंट कर रहे हैं तो वो जीएसटी के अंतरगत 18% टैक्स के आधीन हो जाएगा. ये आपके लिए थोड़ा फायदेमंद साबित हो सकता है.
वीडियो के जरिए समझें पूरी बात...
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