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Updated: 30 अप्रिल, 2018 09:39 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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एक जमाना था जब प्लेन से जाना अपवाद माना जाता था. वो दौर जब कभी-कभी प्लेन उड़ते हुए दिख जाता था तो बच्चे उसे देखने के लिए खिड़की के पास या दरवाज़े के बाहर भागते थे. अब ये दृश्य अपवाद हो गया है क्योंकि अब एयर ट्रैफिक बहुत बढ़ गया है. अब लोगों के लिए एयरलाइन में ट्रैवल करना बहुत आसान हो गया है इसे समय की बचत से देखा जाता है. एयर ट्रैफिक जितना बढ़ गया है उतनी ही एयरलाइन्स से जुड़ी समस्याओं में भी इजाफा हुआ है.

फ्लाइट और एयरलाइन से जुड़ी बहुत सारी समस्याओं में से एक है एयरलाइन कैंसिलेशन पॉलिसी. कई बार एयरलाइन टिकट कैंसिलेशन चार्ज इतना ज्यादा हो जाता है कि हज़ारों की टिकट में से सिर्फ कुछ सौ रुपए ही वापस आते हैं.

ये बात तो सौ फीसदी सच है. कई लोगों की ये शिकायत होती है कि एयरलाइन टिकट से ज्यादा महंगा कभी-कभी टिकट कैंसिलेशन चार्ज लग जाता है.

आम नियम..

एक आम नियम इसमें लागू किया जाता है. पिछले साल DGCA (Directorate General of Civil Aviation) के दख्ल के बाद 3000 रुपए फ्लैट कैंसिलेशन फीस लगाने को लेकर नए नियम आए थे. इसके पहले अगर 2500 रुपए की भी टिकट थी तो उसे कैंसिल करवाने के लिए कैंसिलेशन चार्ज 3000 लिए जाते थे. पिछले साल दिसंबर के बाद से अब सभी एयरलाइन्स ने इस नियम को खत्म कर दिया है!

फ्लाइट, प्लेन, यात्री, हवाई जहाज, टिकटकई बार टिकट से महंगा कैंसिलेशन चार्ज लगता है

अब बेस फेयर और फ्यूल सरचार्ज या फिर 3000 रुपए जो भी कम होगा उसे चार्ज किया जाएगा. कुछ एयरलाइन इसमें पैसेंजर सर्विस फीस और सर्विस टैक्स भी जोड़ती हैं जो 229 रुपए और 103 रुपए होता है. जब भी कोई इंसान एयर टिकट बुक करता है वो फ्लाइट के साथ-साथ कुछ एयरपोर्ट सर्विसेज और चार्ज भी दे रहा होता है. ऐसे में अगर ट्रिप कैंसिल होती है तो सर्विसेज चार्ज फालतू चला जाता है.

एक पेंच जो यात्रियों की नाक में दम करता है..

अब एक बार कैंसिलेशन पॉलिसी को थोड़ा ध्यान से देखते हैं. 3000 या फिर बेस फेयर और फ्यूल सरचार्ज जो भी कम होगा वो कैंसिलेशन फीस के तौर पर लिया जाएगा. ये सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए फायदेमंद है जिन्होंने टिकट 3000 रुपए से कम का करवाया है. जिन्होंने ये ज्यादा का करवाया है उनके लिए भले ही 3100 का टिकट हो कैंसिलेशन 3000 का ही होगा और 100 रुपए रिफंड होगा.

क्योंकि ये आम कैंसिलेशन पॉलिसी है और इंटरनेशनल टिकट काफी महंगी होती हैं इसीलिए इंटरनेशनल टिकट के समय कैंसिलेशन चार्ज टिकट की कीमत से 20-30% ही समझ आता हौ लगता है और डोमेस्टिक टिकट कैंसिलेशन के समय टिकट का 50 से 90% हिस्सा कट जाता है.

कितना लगता है टिकट कैंसिलेशन चार्ज...

इंडिगो एयरलाइन्स ने कुछ समय पहले अपना कैंसिलेशन चार्ज कम करके 2250 रुपए कर दिया था. डोमेस्टिक एयरलाइन के लिए ये 2500 रुपए हो गया था. ये कैंसिलेशन चार्ज अधिकतर एयरलाइन्स लागू करती हैं. अगर फ्लाइट उड़ने के 2 घंटे पहले तक फ्लाइट कैंसिल करवाई है तो ही पैसे रिफंड होंगे नहीं तो नहीं. ये अधिकतर एयरलाइन्स का नियम है.

एयर विस्तारा के CSCO संजीव कपूर साहब का इसमें एक अलग प्वाइंट है. उनका कहना है कि कैंसिलेशन फीस अगर कम होगी तो इसका असर रेवेन्यू कॉस्ट पर पड़ेगा और कुल मिलाकर इससे एयलाइन्स को मजबूरन टिकट के दाम बढ़ाने पड़ेंगे.

लगभग कितना रेवेन्यू...

जेट एयरवेज ने अपने 31 मार्च 2017 तक की फाइनेंशियल इयर रिपोर्ट में ये जानकारी दी है कि सिर्फ टिकट कैंसिलेशन से कंपनी को 621.1 करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिला है. इसे सभी एयरलाइन्स के लिए एक बेस मार्क माना जा सकता है.

एयरलाइन्स अपने कैंसिलेशन चार्ज लगातार 2016 से बढ़ाती जा रही हैं. एक समय पर ये चार्ज 1800 रुपए होते थे, लेकिन 2016 में UDAN (उड़े देश का आम नागरिक) स्कीम आने के बाद से जहां एयर टिकट की कीमतें कम हो रही हैं वहीं इसी के साथ, कैंसिलेशन चार्ज और दुनिया भर के अन्य चार्ज बढ़ रहे हैं. एक तरह से देखा जाए तो इसे रेवेन्यू का एक साधन ही बनाया जा रहा है. 1800 से 3000 तक बढ़ गए थे चार्ज और उसके बाद DGCA के दख्ल के साथ अब ये 2250 से 2500 के बीच आए हैं.

OTA की अलग कहानी...

OTA यानी ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसी के जरिए अगर किसी ने टिकट बुक करवाया है तो उस टिकट का दाम यकीनन कम हो सकता है, पर अगर उसे कैंसिल करवाना है तो एयरलाइन कैंसिलेशन चार्ज के साथ-साथ उस ट्रैवल एजेंसी का चार्ज भी देना होगा.

 

 

सस्ते दाम और फ्लेक्सिबल टिकट का मतलब कैंसिलेशन चार्ज ज्यादा...

फ्लेकि फेयर यानी यूजर की जरूरत के हिसाब से दम कम ज्यादा करना. ऐसे केस में कैंसिलेशन चार्ज एयरलाइन्स की उन टर्म्स एंड कंडीशन के हिसाब से होते हैं जिन्हें कोई भी यूजर पढ़ता नहीं है. कायदे से देखें तो यूजर के पास ऐसा कोई ऑप्शन भी नहीं है कि अगर वो एयरलाइन वालों की बात न माने तो क्या करे.

 

कैंसिलेशन चार्ज के बाद रिफंड..

DGCA की डोमेस्टिक एयर ट्रैफिक रिपोर्ट के अनुसार रिफंड से जुड़ी समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं. ये जनवरी में 7.3 प्रतिशत थीं. फरवरी में थोड़ा कम हुआ जो 6.9 प्रतिशत हुआ और मार्च में ये 8.1 प्रतिशत हो गया था.

 

कैंसिलेशन चार्ज के बाद रिफंड के तौर पर सभी सरकारी टैक्स रिफंड कर दिए जाते हैं. ये उस केस में भी होता है जब कोई इंसान टिकट कटवाने पर भी यात्रा नहीं करता. टैक्स उस समय भी रिफंड किए जाते हैं. इसलिए अगर टिकट की कीमत से ज्यादा फीस कैंसिलेशन चार्ज में लग रही है (जैसे सेल वगैराह में 1000 रुपए से लेकर 2200 तक की टिकट कटवा ली है) तो भी रिफंड के मामले में कुछ सौ रुपए आएंगे.

ट्रैवल करने के मामले में सबसे बेहतर ये है कि प्लेन में रिफंडेबल टिकट का ऑप्शन सिलेक्ट करें. ऐसे में मिनिमम (एयरलाइन के हिसाब से) चार्ज लेकर काफी पैसा रिफंड आ जाता है.

कुल मिलाकर एयरलाइन्स वालों का कैंसिलेशन चार्ज का गणित सीधा सा है. ये उनके रेवेन्यू का एक बहुत बड़ा हिस्सा है जिसे कंपनियां अपने सालाना प्रॉफिट का हिस्सा बनाती हैं.

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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