भारत से अमीरों का भी पलायन!
अब तक ब्रेन ड्रेन यानी प्रतिभा पलायन की ही बात हो रही थी, अब लीजिए एक और पलायन आ गया. अमीरों का पलायन. विदेशों की नागरिकता ले रहे भारतीयों की तादाद दुनिया में चीन के बाद दूसरे नंबर पर है.
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रिसर्च फर्म न्यू वर्ल्ड वेल्थ के अध्ययन से पता चला है कि सबसे ज्यादा चीन के रईस दूसरे देशों में जाकर बस रहे हैं. उसके बाद क्रम है भारतीयों का. क्या है ये पूरा ट्रेंड, जानने के लिए पढि़ए-
- दुनियाभर से नागरिकता या स्थाई आवास के लिए सर्वाधिक पलायन यूनाइटेड किंगडम के लिए हो रहा है.
- रिसर्च के मुताबिक सर्वाधिक पलायन यूरोप, रूस, चीन, भारत, खाड़ी देश और अफ्रीका से हो रहा है.
- अमेरिका पहुंच रहे ज्यादातर लोग चीन से आ रहे हैं. वहीं यूनाइटेड किंगडम, भारत और रूस से भी बड़ी संख्या में लोग अमेरिका पहुंच रहे हैं.
- सिंगापुर में चीन, भारत और इंडोनेशिया से बड़ी संख्या में अमीर नागरिकों का पलायन हो रहा है.
- ऑस्ट्रेलिया में भारत, चीन, इंडोनेशिया और साउथ अफ्रीका से अमीरों नागरिकों का पलायन हो रहा है.
- हांग कांग के लिए बड़ी में चीन के अमीर नागरिक पलायन कर रहे हैं.
- कनाडा के लिए यूरोप, यूके और उत्तरी अफ्रीका से अच्छी संख्या में नागरिक पलायन कर रहे हैं.
- चीन के ज्यादातर करोड़पती नागरिक अमेरिका, हांग कांग और सिंगापुर के लिए पलायन कर रहे हैं.
- भारत के ज्यादातर करोड़पति नागरिक संयुक्त अरब अमीरात, यूके, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के लिए पलायन कर रहे हैं.
- पलायन करने के लिए फ्रांस और इटली के अमीर नागरिकों की सबसे लोकप्रिय पसंद यूके, स्विटजरलैंड और लक्जमबर्ग है.
- रूस से पलायन कर रहे ज्यादातर अरबपति यूके, यूरोप और अमेरिका को अपना गंतव्य बना रहे हैं.
- साल 2000 से 2014 तक चीन से लगभग 91,000 करोड़पति पलायन कर चुके हैं, वहीं इस दौरान 61,000 भारतीय करोड़पति पलायन कर चुके हैं.
इस सदी में बिक रही है नागरिकता भी
किसी देश की नागरिकता आमतौर पर उस देश में जन्म होने से तय होती है. इसके अलावा यदि आप अपने मूल देश को छोड़कर किसी अन्य देश में प्रवास कर रहे हैं और वहां की नागरिकता लेने के इक्छुक हैं, तो आम धारणा है कि वहां कि नागरिकता लेने के लिए आपको कुछ शर्तों का पालन करना होगा. इन शर्तों में सबसे अहम है कि नए देश में आपका प्रवास एक निश्चित समय सीमा का होना चाहिए. हालांकि, 21वीं सदी में प्रवेश करने के साथ ही ग्लोबलाइजेशन के बढ़ते चलन में नया मसौदा नागरिकता खरीदने का भी तेजी से बढ़ रहा है. दुनिया में कुछ ऐसे देश हैं जो किसी भी देश के अमीर नागरिकों को पलायन करने के लिए तुरंत नागरिकता प्रदान कर रहे हैं.
क्यों बढ़ रहा है 21वीं सदी में पलायन
-विश्व निवास और नागरिकता संस्था एलआईओ ग्लोबल के मुताबिक बड़ी संख्या में अमीर नागरिकों का अपने मूल देश से किसी अन्य देश में पलायन 21वीं सदी का चलन है.
-संस्था के मुताबिक, दुनियाभर में धनाढ़्य लोगों का पलायन या दूसरे देश की नागरिकता लेने के पीछे दुनियाभर में कहीं भी निवास करने का अधिकार लेने के लिए हो रहा है.
-रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर के ज्यादातर अमीर नागरिक यह पलायन अपनी और अपनी संपत्ति की सुरक्षा के लिए कर रहे हैं.
-रिपोर्ट का कहना है कि ज्यादातर लोग अपने परिवार के बेहतर भविष्य और बच्चों की क्वालिटी शिक्षा के लिए पलायन कर रहे हैं.
कैसे बदल रही है नागरिकता की परिभाषा
दुनियाभर से अमीर लोगों के पलायन को देखते हुए कई देश इन्हें लुभाने के लिए अपने नागरिकता नियमों में बदलाव कर रहे हैं. अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देश संपत्ति के आकार को आधार बनाकर पर्मानेंट वीजा दे रहे हैं जो कुछ देश सीधे नागरिकता खरीदने का प्रावधान कर रहे हैं. उदाहरण के लिए साइप्रस और माल्टा जैसे देश महज संपत्ति देखकर सीधे नागरिकता प्रदान कर रहे हैं. इन देशों ने अपना यहा नागरिकता के लिए रेजिडेंस और प्रवास की न्यूनतम सीमा के प्रावधान को हटा दिया है. वहीं पुर्तगाल और हंगरी जैसे देश संपत्ति के साथ-साथ बाहर से आ रहे अमीर लोगों से अपने देश में निवेश करने की शर्त रख रहे हैं जिसे पूरा करने पर वह सीधे नागरिकता प्रदान कर रहे हैं. इसके अलावा, एंटिगुआ, बारबूडा और ग्रेनाडा जैसे देश मात्र 6 महीने के प्रवास पर सीधे नागरिकता दे रहे हैं.
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