बड़ी धांधली से अछूता नहीं हमारा ऑनलाइन बाजार
भारत में तेजी से बढ़ते ऑनलाइन शॉपिंग के नियमों को दुरुस्त करने की जरूरत है. ऐसा नहीं किया गया तो जल्द ही हमारे यहां भी चीन की तरह यह प्लैटफॉर्म नकली और घटिया क्वालिटी के घरेलू उत्पादों का अड्डा बन जाएगा.
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चीन में ऑनलाइन रीटेल दिग्गज अलीबाबा जैसी कंपनियों को बड़ा धक्का लगा है. चीन सरकार की नई रिपोर्ट के मुताबिक देश में 40 फीसदी से ज्यादा ऑनलाइन शॉपिंग में नकली और घटिया क्वॉलिटी का सामान डेलिवर हो रहा है. यह हमारे लिए जानना जरूरी है क्योंकि अमेरिका को पीछे छोड़ चीन दुनिया का सबसे बड़ा ई-कॉमर्स मार्केट बन चुका है. भारत इस क्षेत्र में डबल डिजिट ग्रोथ देख रहा है और अगले एक दशक में भारत दुनिया के टॉप फाइव ऑनलाइन मार्केट में शुमार हो जाएगा. इस ग्रोथ में अमेरिकी ऑनलाइन कॉमर्स दिग्गज अमेजन और घरेलू दिग्गज फ्लिपकार्ट के साथ-साथ चीन की दिग्गज कंपनी अलीबाबा भी भारतीय ई-कॉमर्स मार्केट का बड़ा खिलाड़ी बनने के लिए तैयार हो रहे है.
चीन सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक उसके पास पिछले साल लगभग 77,800 शिकायतें दर्ज हुई थी जहां ऑनलाइन शॉपिंग में घटिया और नकली प्रोडक्ट डेलिवर किए गए थे. एक साल के अंतराल में ऑनलाइन शॉपिंग में धोखाधड़ी लगभग 357 फीसदी बढ़ गई है. इस रिपोर्ट को आधार मानकर सरकार जल्द ही कड़े कदम उठाने जा रही है. गौरतलब है कि चीन की ऑनलाइन रीटेल मार्केट 442 बिलियन डॉलर की है और अमेरिका 300 बिलियन डॉलर की मार्केट के साथ दूसरे नंबर पर है.
भारत में इस क्षेत्र का तेजी से विस्तार हो रहा है. देश के इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन आईएएमएआई के मुताबिक 2014 में देश का ऑनलाइन रीटेल मार्केट 13.5 बिलियन डॉलर पहुंच गया है और 2015 के अंत तक यह बाजार 16 बिलियन डॉलर हो जाने का अनुमान है. देश में ऑनलाइन रीटेलिंग कुल रीटेलिंग का लगभग 16 फीसदी है. देश में स्मार्टफोन बिक्री और मोबिल इंटरनेट इस्तेमाल में दर्ज हो रही तेज ग्रोथ का सीधा असर ऑनलाइन शॉपिंग के आंकड़ों पर भी पड़ना तय है.
आईएएमएआई के मुताबिक भारत में ऑनलाइन शॉपिंग के विस्तार में सबसे भूमिका स्मार्टफोन और मोबाइल एक्सेसरीज क्षेत्र में देखने को मिल रही है. रेडीमेड कपड़े, फुटवियर और पर्सनल आइटम के सेल फिगर में भी अच्छी बढ़त है. इसके साथ ही भारत के टियर टू और टिर थ्री शहरों में तेजी से हो रहे मोबाइल विस्तार से इन क्षेत्रों में इंटरनेट शॉपिंग में अच्छी ग्रोथ की उम्मीद है. जानकारों के मुताबिक इन क्षेत्रों में बढ़ रही डिमांड देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बूस्ट देगी. लिहाजा, आने वाले दिनों में इस प्लैटफार्म पर चीन में निर्मित प्रोजक्ट के साथ-साथ देश में ही मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट की सेल में इजाफा देखने को मिलेगा.
हालांकि सरकारी आंकड़ो के मुताबिक ऑनलाइन रीटेल कंपनियों के खिलाफ शिकायतें न के बराबर है. जानकारों का मानना है कि यह इन रीटेल कंपनियों की एग्रेसिव नीतियों का नतीजा है कि वह कंज्यूमर की शिकायतें को दर्ज होने से रोक ले रहे हैं. मिसाल के तौर पर कई ई-रीटेल प्लैटफॉर्म कंपनियों का प्रोडक्ट बेचने में किसी तरह का रिस्क अपने ऊपर नहीं रखती. लिहाजा,शिकायत मिलने पर उसे मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी के ऊपर डाल देती हैं. इसके अलावा देश का ऑनलाइन शॉपर अभी युवा है और वह ऑनलाइन शॉपिंग में निहित खतरों से वाकिफ नहीं है. ज्यादातर ऐसे शॉपर्स हैं जिन्हें उनके साथ हुई धांधली को रिपोर्ट करने की प्रक्रिया भी नहीं मालूम है.
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