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Updated: 01 फरवरी, 2019 10:45 AM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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बजट 2019 भले ही Interim Union Budget 2019 हो, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार इसे कुछ अलग बनाने की पूरी कोशिश करेगी. 2019 चुनाव की तैयारी के चलते ऐसा हो सकता है कि NDA सरकार इस बजट को मिडिल क्लास को लुभाने का एक जरिया बनाए. लंबे समय से चली आ रही टैक्स स्लैब (income tax slab) बदलने (income tax rebate) की चर्चा भी इस बजट का हिस्सा बन सकती है. पियूष गोयल जिन्हें तत्कालीन फाइनेंस मिनिस्टर बनाया गया है वो 1 फरवरी 2019 को बजट पेश करेंगे और ये बजट मोदी सरकार के लिए लोकसभा चुनाव 2019 का नया आयाम लिख सकता है.

पर आखिर Budget 2019 predictions हैं क्या-क्या और मिडिल क्लास टैक्स से जुड़ी कौन सी अपेक्षाएं रख रही है?

1. टैक्स स्लैब बढ़ाया जाएगा:

Union Budget income tax exemption में बदलाव की बात चल रही है और इसकी उम्मीद भी की जा रही है कि टैक्स छूट की लिमिट 5 लाख कर दी जाएगी. फिलहाल ये 3 लाख है और सीनियर सिटीजन के लिए 3.5 लाख रुपए. अगर टैक्स की लिमिट बढ़ा दी जाती है तो सरकार को नुकसान तो होगा, लेकिन ये मिडिल क्लास के लिए एक बहुत बड़ी राहत होगी. Economic Times की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर बजट की उम्मीद के हिसाब से टैक्स बेनि‍फिट दिए जाते हैं तो लगभग 75,252 करोड़ रुपए का नुकसान सरकार को हो सकता है.

मोदी सरकार कोई चूक इस बार नहीं करेगी इसलिए बजट 2019 बहुत खास हो सकता हैमोदी सरकार कोई चूक इस बार नहीं करेगी इसलिए बजट 2019 बहुत खास हो सकता है

इसमें सीनियर सिटीजन को मिलने वाली छूट, Income tax Slab घटाना, कई तरह के टैक्स फायदे देना, कंपनियों के टैक्स नियमों के बदलाव, GST में बदलाव शामिल हैं.

अगर टैक्स स्लैब की रकम में बदलाव नहीं किया गया तो टैक्स प्रतिशत में किया जा सकता है. जैसे अभी जिस स्लैब में 20% लिमिट है उसे कम कर 15% कर दिया जाए. 2.5-7 लाख कमाने वालों पर 5% टैक्स लगाया जाए. 7-12 लाख में 20% और 12 लाख से ऊपर को 30%.

अगर ऐसा होता है तो यकीनन मिडिल क्लास को फायदा ही मिलेगा.

2. सीनियर सिटिजन के लिए स्कीम:

मोदी सरकार के अंतरीम बजट में सीनियर सिटिजन के लिए भी कई स्कीम लागू की जा सकती हैं. सबसे बड़ी इसमें स्वास्थ्य सेवाएं होंगी. स्वास्थ्य से जुड़ी स्कीम, सस्ती दवाएं, आदि शामिल होंगी. दरअसल, अभी तक जितने भी मेडिकल एक्सपेंस टैक्स लिमिट के बाहर हैं उनसे ज्यादा समस्याएं सीनियर सिटिजन को होती हैं. ऐसी कई बीमारियां होती हैं जहां खर्च तो बहुत हो जाता है, लेकिन पैसे से जुड़ी कोई भी राहत उन्हें नहीं मिलती है. अगर टैक्स लिमिट में या फिर सीनियर सिटिजन के लिए मेडिकल बिल में छूट मिलने लगे तो ये काफी फायदे की बात होगी. सर्दी, बुखार, बीपी जैसी बीमारियां मेडिकल इंश्योरेंस में कवर तो नहीं होती हैं, लेकिन सीनियर सिटिजन को इससे बहुत नुकसान होता है.

3. इन्वेस्टमेंट की लिमिट बढ़ाना:

अगर बात टैक्स में छूट की हो रही है तो सिर्फ टैक्स स्लैब बढ़ाने की ही नहीं बल्कि इन्वेस्टमेंट ऑप्शन बढ़ाने की भी बात हो सकती है. जहां तक सेक्शन 80C का सवाल है तो उसमें अभी 1.5 लाख तक का इन्वेस्टमेंट किया जा सकता है, लेकिन अगर इस लिमिट को बढ़ाकर 2.5 या 3 लाख कर दिया जाएगा तो निवेश और बचत की गुंजाइश बहुत बढ़ जाएगी और साथ ही इन समस्याओं से भी छुटकारा मिल जाएगा.

हालांकि, अगर ऐसा होता है तो सरकार को नुकसान बहुत होगा. अगर 50 हज़ार भी लिमिट बढ़ाई गई और मान लीजिए 1 करोड़ लोगों ने इसका फायदा उठा लिया तो इसमें करीब 50 हज़ार करोड़ का नुकसान सरकार को सालाना आय में होगा.

पर दूसरी तरफ इससे निवेश की गुंजाइश बढ़ेगी और मार्केट में पैसा ज्यादा आएगा. साथ ही ये कई लोगों के लिए रिटायरमेंट अकाउंट की तरह हो जाएगा.

4. होम लोन की टैक्स लिमिट बढ़ाई जाए:

होम लोन के रेट दिन पर दिन बढ़ रही है और ऐसे में टैक्स में छूट की लिमिट सिर्फ 2 लाख है जो काफी नहीं है. होम लोन यानी EMI का बढ़ता हुआ भार सिर्फ 2 लाख तक की टैक्स लिमिट से काफी ज्यादा है और ऐसे में अगर इसे बढ़ाकर 3 लाख तक कर दिया जाता है तो होम लोन लेने वालों के ज्यादा सहूलियत मिलेगी. Union budget home loan के मामले को अगर सुलझा देता है तो इससे सबसे ज्यादा फायदा मिडिल क्लास को ही होना है. हां, लेकिन इससे भी सरकार को नुकसान तो होगा ही.

5. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की टैक्स लिमिट:

पिछले साल सरकार ने 10% टैक्स 1 लाख से ज्यादा इक्विटी शेयर और इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड की बिक्री पर लगाया था. Long term capital gains (LTCG) पर ये टैक्स लिमिट पहले नहीं थी. पहले इस तरह के कैपिटल गेन पूरी तरह से टैक्स के दायरे से बाहर थे. अगर सरकार एक बार फिर इस तरह के कैपिटल गेन पर एक्जेम्पशन लिमिट बढ़ाने को तैयार हो जाती है तो ये बेहतर होगा. इससे रिटेल इन्वेस्टर ज्यादा से ज्यादा कैपिटल इन्वेस्टमेंट की तरफ आकर्षित होंगे. मार्केट में ज्यादा पैसा होगा.

पर इससे सरकार का नुकसान तो होगा ही.

6. NPS और EPF में टैक्स की छूट:

जहां तक Union Budget EPF की बात है तो ये आम आदमी के लिए एक सुरक्षित निवेश का जरिया है क्योंकि मैच्योरिटी या रिटायरमेंट के बाद एक साथ काफी ज्यादा रकम मिलती है. साथ ही, अगर कर्मचारी 5 साल से अधिक समय काम करने के बाद EPF निकाल रहा है तो टैक्स में छूट भी मिलती है. पर अगर यहीं NPS यानी नेशनल पेंशन स्कीम की बात करें तो इसके पैसे में आंशिक टैक्स लगता है. 2018 दिसंबर में सरकार की तरफ से ये प्रपोजल दिया गया था कि NPS को भी पूरी तरह से टैक्स फ्री कर दिया जाए.

ऐसा हो सकता है कि NPS में भी टैक्स की छूट मिल जाए और ये भी EPF की तरह ही मिडिल क्लास का एक नया टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट बन जाए. वैसे भी NPS काफी लोकप्रिय है उन लोगों में जिन्हें सुरक्षित सेविंग्स स्कीम में पैसा लगाना होता है ऐसे में इसे टैक्स के दायरे से बाहर लाना यकीनन एक बड़ा कदम होगा.

7. स्टार्टअप में टैक्स की छूट:

जहां तक स्टार्टअप का सवाल है तो अभी तक ऐसी कंपनियों को 3 साल तक टैक्स हॉलीडे मिलता है. केंद्र सरकार की स्टार्टअप इंडिया स्कीम के आधार पर ऐसी कंपनियों को बहुत सारे फायदे मिलते हैं. अब अगर सरकार ऐसी कंपनियों को फायदे देने का सोच रही है तो इस टैक्स हॉलीडे को बढ़ाया जा सकता है.

2018 के आंकड़े देखें तो 1200 नई स्टार्टअप कंपनियां और 4.2 बिलियन डॉलर की फंडिंग के साथ ये साल बहुत अच्छा रहा. अगर स्टार्टअप टैक्स हॉलीडे ज्यादा बढ़ जाता है तो यकीनन स्टार्टअप में निवेश की गुंजाइश भी बढ़ेगी.

8. एजुकेशन लोन में टैक्स की छूट:

मौजूदा समय में अगर एजुकेशन लोन लिया है तो उसपर लगने वाले इंट्रेस्ट पर सिर्फ शुरुआती 8 साल तक ही टैक्स में छूट ली जा सकती है. मान लीजिए ये लोन 25-30 लाख का है तो स्टूडेंट्स पहले 8 साल में ही ज्यादा से ज्यादा छूट लेने की कोशिश करते हैं. ऐसे में अगर इस लिमिट को बढ़ा दिया जाए और इसे 12 साल कर दिया जाए तो ये स्टूडेंट्स के लिए बेहद फायदेमंद होगा.

9. इंश्योरेंस में छूट:

section 80d of income tax act के हिसाब से कोई भी करदाता अपने या अपने परिवार के लिए बीमा लेने पर 25000 तक की छूट ले सकता है, लेकिन ये काफी कम लगती है. ये छूट सीनियर सिटिजन के लिए 50 हज़ार है. ये बजट 2018 में ही बढ़ाई गई है. (बजट 2018 में सीनियर सिटिजन के लिए इंश्योरेंस की छूट 20 हज़ार रुपए बढ़ाई गई है.) अगर इसी जगह करदाता और माता-पिता की उम्र 60 साल से ज्यादा है तो ये छूट 1 लाख हो सकती है. अब अगर 2018 के बजट में ये बदलाव हुए हैं तो इसकी बहुत उम्मीद लगाई जा रही है कि 2019 में ही इस सेक्शन से जुड़ी छूट में कुछ बदलाव किए जाए और जहां तक खास तौर पर सीनियर सिटिजन का सवाल है तो उन्हें बेहतर सुविधाएं मिल सकती हैं.

ऐसी उम्मीद लगाई जा रही है कि इलेक्शन के पहले इस तरह के टैक्स से जुड़े बदलाव होंगे ही और इन्हें खास तौर पर मिडिल क्लास के लिए किया जाएगा. वैसे तो अंतरीम बजट में ऐसे बदलाव की उम्मीद लगाना थोड़ा अजीब है, लेकिन जिस तरह से मोदी सरकार चुनाव से पहले लोगों को लुभाने की कोशिश कर रही है इसमें कोई बड़ी बात नहीं की ये हो भी जाए. बहरहाल, इससे सरकार की इनकम पर काफी असर पड़ेगा.

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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