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Updated: 26 अगस्त, 2015 08:14 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
  @rmisra
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पाकिस्तान को संप्रभु राष्ट्र बने ठीक उतना ही समय हुआ है जितना भारत को. लेकिन जहां भारत आज दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में अपनी जगह शुमार कर चुका वहीं पाकिस्तान के सामने अस्तित्व का खतरा खड़ा है. पाकिस्तान के आर्थिक आंकड़ों को देखकर यह कहना कतई अतिश्योक्ति नहीं होगा कि ग्रीस बनने के राह पर वह अपनी मंजिल से ज्यादा दूर नहीं है.

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में ग्रीस की तरह उधार का बड़ा खेल है. वहीं टैक्स का भुगतान करना भी पाकिस्तानी नागरिकों को गंवारा नहीं है. लिहाजा देश चलाने के लिए वहां की सरकारों, सेना की सरकारें या फिर लोकतांत्रिक चुनावों के बाद बनी सरकारों, ने उधार लेकर काम चलाने की परंपरा को स्थापित कर दिया है.

इंग्लैंड के एक एनजीओ रफ्तार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि उधार के चलते आज पाकिस्तान के सामने अस्तित्व का सवाल खड़ा है. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कई दशकों से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कॉमर्शियल लोन, कंसेशनरी डोनर लोन और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से लोन के सहारे चल रही है.

आंकडों के मुताबिक पाकिस्तान में 9.4 फीसदी के टैक्स-टू-जीडीपी रेशियो के चलते आज उस पर लगभग 17 ट्रिलियन रुपये (163 बिलियन डॉलर) का कर्ज है. पाकिस्तान कुल 232 बिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था है और प्रति वर्ष उसे कुल टैक्स रेवेन्यू का 44 फीसदी बतौर ब्याज चुकाना पड़ता है.

इसके साथ ही आजादी के बाद से अभी तक पाकिस्तान में इनकम टैक्स भुगतान करने की परंपरा नहीं बन पाई है. आसान शब्दों में कहें तो पाकिस्तानी नागरिकों को टैक्स भरने की आदत नहीं है. इसके चलते पाकिस्तान की सरकारें इनडायरेक्ट टैक्स लगातार जनता पर थोपती रही हैं. नतीजतन, अब पाकिस्तान में कुल टैक्स रेवेन्यू का 68 फीसदी इनडायरेक्ट टैक्स से आता है. इंधन, खाद्य सामग्री और बिजली पर पाकिस्तान में सबसे ज्यादा इनडायरेक्ट टैक्स है. और इसीलिए पाकिस्तान का गरीब बहुत गरीब है क्योंकि इनडायरेक्ट टैक्स अमीर और गरीब में भेद नहीं करता.

इसके साथ ही पाकिस्तान में सरकार को जब भी रेवेन्यू में कोई कमी महसूस होती है तो वह आईएमएफ और विश्व बैंक की तरफ देखता है. ये अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कर्ज के लिए इतनी कड़ी शर्तें थोपती हैं कि कर्ज लेने वाली संस्था की हालत ग्रीस जैसी होना लगभग तय हो जाती है.

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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