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Updated: 01 मई, 2017 08:19 AM
मोहित चतुर्वेदी
मोहित चतुर्वेदी
  @mohitchaturvedi123
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पीएम मोदी की लोकप्रियता जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे उनकी पार्टी हर जगह जीत रही है. नरेंद्र मोदी इंडियन पॉलिटिक्स में बिलकुल वैसे ही है जैसे बॉलीवुड में सलमान... हर फिल्म सुपर हिट. मोदी ने भी भारत में ठीक वैसे ही हर चुनाव में जीतकर कमल खिला रहे हैं, लेकिन कीमतों का क्या? कच्चे तेल के भाव में लगातार हो रहे उतार-चढ़ाव के कारण इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने अपने ट्रांसपोर्ट फ्यूल की कीमतों में बढ़ौतरी कर दी है. 1 मई से ही पेट्रोल 1 पैसे और डीजल 44 पैसे बढ़ जाएगा. ये कीमत दिल्ली और बाकी सभी राज्यों में बढ़ी है.पेट्रोल और डीजल की कीमतें 16 अप्रैल को आखिरी बार बढ़े थे जब 1.39 रुपए लीटर पेट्रोल और 1.04 रुपए लीटर डीजल की कीमत बढ़ी थी. 

क्रूड ऑइल की कीमत 21.67 रुपए लीटर है... पेट्रोल पंप आते-आते इसकी कीमत 27.95 रुपए लीटर हो जाती है और पेट्रोल के रेट 66.69 - 68 रुपए लीटर है. यानी आप 27.95 रुपए लीटर के लिए 38.34 रुपए ज्यादा देते हैं. मतलब ये रुपए सीधे-सीधे मोदी सरकार की झोली में जा रहा है.

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पेट्रोल की देश में सबसे ज्यादा कीमत मुंबई में

क्‍या आप जानते हैं कि मुंबई में पेट्रोल की कीमत अब देश में सबसे अधिक हो गई है. दरअसल राज्‍य सरकार (जहां बीजेपी की सरकार है) ने वैट के साथ 3 रुपए का सूखा उपकर (ड्रॉट सेस) लगाया है. इसके बाद से मुंबई में पेट्रोल सबसे महंगा हो गया है. अब मुंबई के लोग प्रति लीटर पेट्रोल की कीमत 77.45 रुपए चुका रहे हैं जो देशभर में सबसे अधिक है. वहीं पुणे में पेट्रोल की दर 77.14 रुपए प्रति लीटर है.

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इससे पहले तक भोपाल में पेट्रोल सबसे मंहगा था. वहां अभी पेट्रोल की दर 75.85 रुपए प्रति लीटर है. दिल्ली में पेट्रोल 68.26 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है. ड्रॉट सेस तो पूरे महाराष्ट्र में वसूला जाता है, लेकिन ताज्जुब की बात ये है कि जब महाराष्ट्र में सूखे जैसी कोई स्थिति नहीं है तो इसे 6 रुपए से बढ़ाकर 9 रुपए क्यों किया गया ? इसके पीछे भी एक बहुत बड़ा कारण है वो है

इसके पीछे भी सरकार घाटे की भरपाई राज्य सरकार को हाईवेज के किनारे बार और शराब की दुकानें बंद होना... जी हां, सूखा उपकर से हुई उगाही से राज्य सरकार को हाईवेज के किनारे बार और शराब की दुकानें बंद होने की वजह से हुए घाटे की भरपाई करने में मदद मिलेगी. बता दें, अगर राज्य सरकार अगर ड्रॉट सेस खत्म कर देती है तो राज्य में पेट्रोल की कीमतें दूसरे राज्यों के स्तर पर ही आ जाएगा. क्योंकि, देश के किसी दूसरे राज्य में ड्रॉट सेस नहीं वसूला जाता है.

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27 रु. प्रति लीटर पेट्रोल पर इतना टैक्ट का क्या तर्क

तर्क साफ है... ज्यादा टैक्स लेकर सरकारी खजाने में पैसा भरना. ऐसे समझें, क्रूड ऑयल (कच्चा तेल) की कीमत 21.67 रुपए प्रति लीटर है. जिसके बाद एन्ट्री टैक्स, रिफाइनरी चार्ज, मार्जिन, लैंडिंग कॉस्ट, ट्रांस्पोर्टेशन भाड़ा मिलाकर एक लीटर पेट्रोल की कीमत दिल्ली में 27.95 रुपए और डीजल की कीमत 28.45 रुपए प्रति लीटर हो जाती है.

जिसके बाद सरकार इसमें पैसा जोड़ना शुरू करती है जो आपकी जेब से जाता है. इसमें, पेट्रोल पंप को कमीशन ( पेट्रोल के लिए 2.58 प्रति लीटर और डीजल के लिए 1.65 रुपए प्रति लीटर), वैट से पहले ईंधन की लागत को जोड़कर पेट्रोल हो जाता है 52.01 रुपए प्रति लीटर और डीजल 47.43 रुपए प्रति लीटर.

जिसके बाद सरकार वैट टैक्स वसूल करती है. इसमें पेट्रोल के लिए आपको 27% और डीजल के लिए 16.75% टैक्स देना पड़ता है. यानी पेट्रोल के लिए 14.28 रुपए प्रति लीटर और डीजल के लिए 8.18 रुपए प्रति लीटर देने पड़ते हैं. आखिर में पेट्रोल की कीमत 66.29 रुपए प्रति लीटर और डीजल की 55.61 रुपए प्रति लीटर होती है.

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क्रूड ऑयल के दाम गिरे तो बढ़े हुए टैक्स ने सब बराबर कर दिया

मोदी सरकार के आने के बाद लगातार क्रूड ऑयल की कीमत लगातार गिरती जा रही है. 2014 में क्रूड ऑयल का रेट 23 रुपए था, तो उस वक्त पेट्रोल के दाम 61 रुपए थे. 2015 में क्रूड ऑयल का रेट 15 रुपए प्रति लीटर थी, उस वक्त पेट्रोल की कीमत 63 रुपए थी और फिलहाल क्रूड ऑयल की कीमत 21 रुपए प्रति लीटर है तो पेट्रोल के रेट 66.29 प्रति लीटर है. यानी अब सरकार टैक्स जोड़कर 38 रुपए ज्यादा ले रही है. जो सीधा-सीधा सरकारी खजाने में जा रहा है.

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पड़ोसी देशों में पेट्रोल की कीमत भारत से काफी कम

राजधानी दिल्ली में पेट्रोल के दाम 68.26 रुपए प्रति लीटर है. वहीं पड़ोसी देशों में इससे काफी कम है... जो आपको जानना बहुत जरूरी है... क्योंकि ये वो देश हैं जहां भारत इनको रिफाइन ऑयल बेचता है. पाकिस्तान में पेट्रोल की कीमत 43.68 रुपए, श्रीलंका में 50.95 रुपए, नेपाल में 64.24 रुपए और बंग्लादेश में 70.82 रुपए प्रति लीटर है. यानी हमारे पड़ोसी हमसे खरीदा हुआ तेल हमारे बाजार से सस्ता बेच रहे हैं. मुंबई में तो पेट्रोल के रेट 77 रुपए हो गए. सवाल एक है... 27.95 प्रति लीटर के लिए लोग 38 रुपए ज्यादा क्यों दे रहे हैं ?

आमतौर पर सरकार तर्क देती है कि इस टैक्स के पैसे को गरीबों के कल्याणकारी कामों पर खर्च किया जाता है. लेकिन यह तर्क झूठा है. महंगा पेट्रोल खरीदने से मिडिल क्लास पर बोझ पड़ता है जबकि महंगे डीजल की वजह से मालभाड़ा नहीं घटता और अंतत: महंगाई बढ़ती है जो गरीबों को सबसे ज्यादा खलती है.

कच्चा तेल सस्ता होने पर पेट्रोल डीजल यदि सस्ता नहीं होगा तो कब होगा ?

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लेखक

मोहित चतुर्वेदी मोहित चतुर्वेदी @mohitchaturvedi123

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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