काले धन से जुड़े मिथक जिनका टूटना जरूरी है...
8 नवंबर 2016 को black money के नाम पर देश में Demonetisation किया गया था. लेकिन इस एक साल में काले धन को लेकर लोगों के बहुत से मिथक टूटे. आइए समझते हैं इसे...
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8 नवंबर 2017 यानि Demonetisation की पहली सालगिराह पर कांग्रेस जहां विरोध प्रदर्शन कर रही है वहीं भाजपा Anti black money day मना रही है. बात भी सही है 8 नवंबर 2016 को पहली बार काले धन को लेकर इतनी बड़ी पहल की गई थी, लेकिन जिस काले धन को लेकर इतनी बातें चल रही हैं आखिर वो है क्या?
काला धन सीधा साधा वो पैसा है जिसपर टैक्स नहीं लगाया जा सकता. कारण? क्योंकि ये गैरकानूनी गतिविधियों से कमाया जाता है और इसे सीधे तौर पर इसे टैक्स स्टेटमेंट में नहीं बताया जा सकता है. हालांकि, कुछ वैध तरीकों से भी कमाया गया धन काले धन में तब्दील हो जाता है जब उससे कोई गैरकानूनी काम किया जाए, या फिर उसे बिना टैक्स दिए ही आगे पैसा कमाने के लिए लगा दिया जाए. जैसे सरकारी डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करें, टीचर्स ट्यूशन दें या वकील लिखित फीस से ज्यादा पैसे ले और उसका ब्योरा टैक्स में न दे. कुल कितना काला धन मौजूद है इसका तो शायद अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता. 2012 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के 6 लाख करोड़ रुपए काले धन के रूप में विदेशों में हैं. अब ये 2017 चल रहा है तो खुद ही सोच लीजिए कितना धन हो सकता है.
काले धन को लेकर कई सारे मिथक प्रचलित हैं और उन्हें तोड़ना जरूरी है.
1. मिथक: फॉरेन बैंक अकाउंट का मतलब काला धन छुपा रखा है...
यकीन मानिए ये मैंने बहुत लोगों के मुंह से सुना है. आस-पास का कोई इंसान विदेश में पढ़ने जाता है तो मोहल्ले की आंटियां भी ये कहने में चूकती नहीं हैं. देखिए अगर किसी का फॉरेन में बैंक अकाउंट है इसका मतलब ये नहीं कि उसके पास काला धन है. जो भी भारतीय विदेश जाता है पढ़ने या काम करने उसे वहां के बैंक में अकाउंट खुलवाना ही पड़ता है. 2004 में RBI ने विदेशों में बैंक अकाउंट खोलने वाले भारतीयों के लिए नियम में बदलाव किया था. न ही सिर्फ भारतीय विदेशों में अकाउंट खोल सकते हैं बल्कि $1,25,000 (81 लाख रुपए) तक की लिमिट भी है. यानि विदेशों में पैसा रखना भारत में गैरकानूनी नहीं है.
2. मिथक: काला धन सफेद करने में परेशानी होती है...
ये तो बिलकुल ही गलत बात है. काले धन को कुछ तरीकों से काफी आसानी से सफेद में बदला जा सकता है. मसलन अगर मैं किसी दुकान से 5000 का सामान खरीदने की रिसिप्ट लेती हूं. थोड़ा कमीशन उस दुकानवाले को दे देती हूं और असल में सामान लेती नहीं हूं. अब मैंने उस रिसिप्ट को ऑफिस में लगा दिया और उसके पैसे ले लिए. ऐसे में मेरे पास से पैसे नहीं गए और दूसरी जगह पैसे मिल भी गए. मेरे पास उस पैसे का लेखा-जोखा यानि रिसिप्ट भी है. ऐसे ही अगर मैंने कोई गाड़ी बेची और उसकी कीमत 1 लाख लगाई, लेकिन खरीदने वाले को बिल 60 हजार का बना कर दिया. ऐसे में बचे हुए 40 हजार मेरा काला धन होंगे और इसी समय जिसने गाड़ी खरीदी है उसे भी कम टैक्स देना होगा. तो उसके लिए वो टैक्स चोरी होगी.
3. अधिकतर काला धन स्विस अकाउंट में होता है...
देखिए ये सही है कि स्वित्जरलैंड एक टैक्स हेवन कंट्री है और उसमें कई लोगों के अकाउंट भी हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि सारा काला धन स्विस अकाउंट में ही है. स्विस बैंक पैसे पर इंट्रेस्ट बहुत कम देते हैं. 1-2% लगभग. ऐसे में जिन लोगों का ये पैसा है वो इसे ट्रांसफर करते रहते हैं. प्रॉपर्टी आदि में इन्वेस्ट कर देते हैं. ये भी हो सकता है कि इसमें से अधिकतर पैसा भारत में वापस आ जाए और वो सफेद धन में तब्दील हो जाए. इसलिए सारा पैसा स्विज अकाउंट में नहीं रहता.
4. मिथक: पैराडाइज पेपर्स में काले धन का ब्योरा है...
पैराडाइज पेपर्स जो 5 नवंबर को लीक किए गए हैं उसमें ये बताया गया है कि 714 भारतीयों के नाम हैं. इसे काले धन से जोड़कर देखा जा रहा है. इसे सीधे तौर पर काला धन नहीं कहा जा सकता, इसे बस इन्वेस्टमेंट कहा जा सकता है. कारण ये है कि आधिकारिक तौर पर इसे विदेशों में इन्वेस्टमेंट कहा जाएगा. क्योंकि विदेशों में अपने नाम से कंपनी बनाना गैरकानूनी नहीं है. हां, ये नैतिकता के आधार पर गलत कहा जाएगा कि अपने देश को छोड़कर टैक्स बचाने के लिए दूसरे देश में कंपनी खोल रहे हैं, लेकिन असल में ये सिर्फ हमारे कानून के लूप होल का तोड़ निकालने वाली बात हुई. ऐसा कहना कि सभी 714 नाम काले धन धारी हैं और गलत तरीके से ही ये धन कमाया गया है ये सही नहीं होगा.
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