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Updated: 04 अगस्त, 2016 05:57 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
  @rmisra
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देश में जुआ खेलने की पुरानी परंपरा रही है. द्वापर में भरतवंश के राजकुमारों ने तो इस खेल को कुछ यूं खेला कि दांव पर न सिर्फ राज-पाठ बल्कि पत्नी तक को लगा दिया. नतीजा महाभारत. सबक मिला कि जुआ खेलना सबकुछ तबाह कर देता है. रिश्तों को तार-तार कर देता है. लिहाजा एक आदर्श व्‍यक्ति को जुआ खेलने से दूर रहना चाहिए.

बहरहाल ये तो रही एक ग्रंथ में दर्ज बातें. जिसे इतिहास से पहले का दार्शनिक काव्य ग्रंथ माना गया. लेकिन इससे देश में जुआ खेलने की प्रथा पर कोई रोक नहीं लगी. देश में सक्षम लोग जुआ खेलते रहे, युद्ध होते रहे और सल्‍तनत दर सल्‍तनतें बदलती रहीं.

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मौजूदा समय में देश में जुआ खेलना गैरकानूनी है. हालांकि पूरी तरह से नहीं क्योंकि एक अनुमान के मुताबिक भारत में 500 करोड़ रुपये से अधिक का जुआ प्रति वर्ष खेला जाता है. इस खेल पर सरकार को राजस्व भी मिलता है. देश में गोवा और सिक्किम ऐसे दो राज्य हैं जहां जुआ खेलना और खिलाना कानूनन जायज है.

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 गोवा का आलिशान फ्लोटिंग कसीनो

वहीं महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जहां देश में सबसे ज्यादा जुआ खेला जाता है लेकिन यहां सरकार को राजस्व में कोई फायदा नहीं होता है. और हजारों करोड़ रुपए के इस खेल को कालेधन का अहम पोषक माना जाता है. इसके चलते राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार से अनुमति मांगी है कि उसे भी गोवा और सिक्किम की तरह जुआ खिलाने की आजादी दे दी जाए जिससे वह प्रति वर्ष लगभग 1000 करोड़ रुपये का इजाफा अपने राजस्व में कर सके.

गोवा, सिक्किम और महाराष्ट्र ही नहीं देश का कोई भी राज्य चाहे तो इसकी अनुमति लेने के लिए केन्द्र सरकार से गुहार लगा सकती है.

गौरतलब है कि देश के कानून के मुताबिक हमारे यहां राज्‍य सरकारें सिर्फ ऑफशोर कसीनों या पांच सितारा होटलों में कसीनो खोलने की इजाजत दे सकती हैं. मतलब, एक ऐसा कसीनों जो या तो पांच सितारा होटल में होंगे या सिर्फ पानी पर. इसीलिए फिलहाल गोवा की नदियों में अंतरराष्ट्रीय स्तर के ऐसे ही फ्लोटिंग कसीनों (क्रूज) खड़े रहते हैं जहां दुनियाभर से जुआ खेलने के शौकीन पहुंचते हैं. इसके अलावा कई बड़े इंटरनेशनल फ्लोटिंग कसीनो हमारी समुद्री सीमा में खड़े रहते हैं जहां अंतरराष्ट्रीय जुआरियों का जमावड़ा लगता है. इनमें कई कसीनों पर तो पुलिस भी इनकी ही होती है और कानून भी इनका अपना. जहां खाड़ी देशों के शेखों से लेकर अमेरिका, यूरोप और कनाडा के रईस जुआरी नियमित किस्मत आजमाने पहुंचते हैं.

देखिए गोवा के एक कसीनो तक रइसों को पहुंचाने के लिए कैसे इंतजाम किए गए हैं-

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अब बात उत्तर प्रदेश और बिहार की. इस खेल की पारंपरिक भूमि है यहीं है. क्योंकि बात चाहे महाभारत काल की हो या फिर मगध साम्राज्य की और या फिर मुगल काल की, जुआ खेलना इस गंगा-जमुनी तहजीब में शामिल रहा है. लिहाजा, राज्य के विकास के लिए बेहद जरूरी राजस्व बढ़ाने के लिए अगर ऑफशोर कसीनों यहां चलाया जाना है तो जरूरी है कि गंगा जमुनी तहजीब के क्षेत्र की सभी नदियां इतनी साफ हो सकें कि यहां भी जुआ खिलाने के लिए फ्लोटिंग कसीनों को बुलाया जा सके.

गौरतलब है कि गोवा के ज्यादातर बड़े फ्लोटिंग कसीनो में इटीरियर डेकोरेशन महाभारत के उस हस्तिनापुर के कोर्टरूम जैसा रहता है जहां महाराज धृतराष्ट्र विराजमान रहते थे और उनके बेटे बैठकर बड़े-बड़े दांव लगाते थे.

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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