प्याज के आंसू रुलाने वालों की साजिश का पर्दाफाश
कुछ व्यापारियों ने आपस में एक समझौता कर तय किया था कि पूर्वोत्तर के राज्यों में प्याज की थोक कीमत 27 रूपए प्रति किलो और देश के बाकी भागों के लिए ये कीमत 25 रूपए प्रति किलो से कम नहीं होगी.
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महंगाई की मार आम जनता की कमर लगातार तोड़ रही है. टमाटर के भाव अभी संभले ही थी कि रेस लगाने के लिए प्याज आ गई. अब आलम ये है की प्याज के पकौड़े सपना हैं तो टोमैटो प्यूरी आंखों की ठंडक. लेकिन प्याज की लगातार बढ़ रही कीमतों के पीछे कम उत्पादन का ही हाथ नहीं है बल्कि जमाखोरी करने वाले व्यापारियों का भी खुब योगदान है.
इंडिया टुडे को मिली रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र के व्यापारियों द्वारा प्याज की अप्राकृतिक किल्लत कर देने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका को फायदा होने की उम्मीद थी. सूत्रों की मानें तो, "उप-महाद्वीप में प्याज की कीमतें बढ़ रही हैं. खासकर इन देशों में कीमतें आसमान छूने को आमादा हैं. यही कारण है कि एक तरफ जहां देश में प्याज की जमाखोरी लगातार बढ़ रही है. तो वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र के प्याज व्यापारी अपना माल इन देशों को निर्यात करने की कोशिश कर रहे हैं."
प्याज की जमाखोरी कर महंगा किया जा रहा है
शुक्रवार को देश के शीर्ष प्याज व्यापारियों के यहां छापे मारे गए थे. इसमें लासनगांव के ओम प्रकाश राका, उमराने के खांडू पंडित देओरा और येओला के रामेश्वर अटल जैसे बड़े प्याज व्यापारियों के नाम शामिल हैं. नासिक जिले में ये आयकर छापे यूंही नहीं पड़ गए थे. बल्कि इस छापे के पहले केंद्र और राज्य के इंटेलिजेंस ब्यूरो की हफ्तों पड़ताल थी.
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी के चलते जरूरी वस्तुओं की कीमतें आसमान को छू रही हैं. इसी कारण इंटेलिजेंस ब्यूरो ने कम से कम एक महीने पहले ही आगाह कर दिया था कि प्याज की कीमतों में वृद्धि हो सकती है. इसमें जमाखोरों की चाल भी हो सकती है.
1 अगस्त और सितंबर के पहले हफ्ते की बीच लासलगांव में 50% और दिल्ली के बाजारों में 20% दामों में बढ़ोतरी होने के बाद केंद्र ने कार्यवाही करने का फैसला किया. दरअसल इसमें एक पैटर्न सा दिखाई दे रहा है. इस पाटर्न के अनुसार शुक्रवार को जिन व्यापारियों के यहां छापे मारे गए थे, 2010 और 2015 में प्याज के दामों में कृत्रिम तौर पर बढ़ोतरी के लिए भी यही लोग जिम्मेदार थे.
प्याज की किल्लत से केंद्र सरकार इतनी परेशान हो गई थी कि देश में खरीफ फसल के आने तक मिस्र से आयात करने का फैसला किया. आयकर विभाग को पता चला कि शुक्रवार को मंडी से आने वाले ट्रकों की आवाजाही कम कर दी जाए. इससे हफ्ते के अंत तक कीमतें बढ़ना शुरू हो जाएगी. इंडिया टुडे को मिले रिपोर्ट से पता चलता है कि- "लासलगांव और पीपलगांव में अप्राकृतिक कमी पैदा करने के लिए अगले 3-4 दिनों के लिए कुछ व्यापारियों ने स्टॉक के मूवमेंट को बंद कर लिया है."
प्याज ने रूलाया
पूरे देश से मिली इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के अनुसार कुछ व्यापारियों ने तो आपस में एक समझौता कर लिया था. इसमें उन्होंने तय कर लिया था कि पूर्वोत्तर के राज्यों में प्याज की थोक कीमत 27 रूपए प्रति किलो और देश के बाकी भागों के लिए ये कीमत 25 रूपए प्रति किलो से कम नहीं होगी. कम-से-कम इस हफ्ते के लिए तो इन्होंने यही कीमत तय कर रखी थी.
लासलगांव में प्याज की कीमत 500 रुपये-1500 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 800 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है. वहीं पिछले छह हफ्ते में राजधानी दिल्ली में प्याज की कीमतें 500 रुपये से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 1,000 रुपये से 2,125 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है. इस बार भारी बारिश के चलते प्याज की फसल खराब हो जाने के साथ-साथ महाराष्ट्र के व्यापारियों द्वारा कीमतें बढ़ने के लालच में जमाखोरी करने के कारण प्याज की कीमतों पर असर पड़ा है.
महाराष्ट्र और कर्नाटक में भारी बारिश और गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में फसलों की कमी के कारण प्याज की किल्लत हो रही है. किसान और व्यापारी आमतौर पर गर्मियों की अच्छी गुणवत्ता वाले प्याज को अगस्त-सितंबर में बेचने के लिए बचा कर रख लेते हैं. इस प्याज को उन्हाली कहा जाता है. इस प्याज में नमी कम होने के कारण इसको 6 महीनों तक जमा करके रखा जा सकता है.
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