ये है IT रिटर्न फाइल करते समय की जाने वाली आम गलतियां और उसपर मिलने वाली सज़ा..
IT डिपार्टमेंट का कहना है कि अगर किसी ने गलत इनकम टैक्स भरा या फिर सिर्फ पैसे बचाने के लिए गलत जानकारी वाला रिटर्न भरा तो कर्मचारियों को इसका भुगतान करना पड़ेगा. पर सज़ा क्या है? और आखिर क्या गलतियां होती हैं रिटर्न फाइल करते समय?
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साल का वो समय आ गया है जब जान पहचान वाले अधिकतर लोग इनकम टैक्स और रिटर्न फाइल करने की बात करते हैं. IT डिपार्टमेंट भी तेज़ हो जाता है और सैलरी क्लास कर्मचारियों को ये चिंता सताने लगती है कि कहीं अगले साल के लिए उनका टैक्स ज्यादा तो नहीं काट लिया जाएगा. हर साल IT डिपार्टमेंट इस दौरान कोई न कोई घोषणा जरूर करता है. इस साल IT डिपार्टमेंट की तरफ से एक और चेतावनी आई है.
डिपार्टमेंट का कहना है कि अगर किसी ने गलत इनकम टैक्स भरा या फिर सिर्फ पैसे बचाने के लिए गलत जानकारी वाला रिटर्न भरा तो कर्मचारियों को इसका भुगतान करना पड़ेगा. अगर किसी ने गलती से भी ये किया है तो कंपनी को सूचित कर उचित कार्यवाही की जाएगी.
अगर कोई करदाता अपनी सैलरी कम बताता है या फिर खर्च को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता है तो उसके खिलाफ कानूनी एक्शन लिया जाएगा. पिछले साल IT डिपार्टमेंट ने एक गिरोह का पर्दाफाश किया था जो सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को फर्जी तरीके से टैक्स रिफंड हासिल करने में मदद करता था. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने वेतनभोगी करदाताओं के लिए नए आईटीआर फॉर्म को हाल ही में लिस्ट किया है.
क्या है सज़ा का प्रावधान?
IT एक्ट के तहत सज़ा के अलग-अलग प्रावधान है. ये इस बात पर निर्भर करता है कि आखिर टैक्स भरने वाले ने गलती किस तरह की है, अगर टैक्स भरा ही नहीं तो उसके लिए भी अलग नियम है.
1. गलत जानकारी देना..
अगर किसी ने इनकम टैक्स भरते समय गलत जानकारी दी है तो उसे सेक्शन 270A के तहत पेनल्टी भुगतनी पड़ेगी. ये आम तौर पर अपनी सैलरी कम बताने या आय से जुड़े दस्तावेज गलत दिखाने के लिए होती है.
गलती साबित होने पर आय पर टैक्स का 50% हिस्सा पेनल्टी के तौर पर देना होता है. हालांकि, अगर बताई गई आय गलत जानकारी का ही नतीजा है यानी गलत दस्तावेज जमा कर आय को गलत बताया गया है तो पेनल्टी 200% तक बढ़ा दी जाती है.
2. अगर दस्तावेज नहीं हैं तो..
अगर अकाउंट, सैलरी, आय आदि से जुड़े दस्तावेज IT एक्ट सेक्शन 44AA के तहत नहीं बनाए गए हैं तो आईटी ऑफिसर संबंधित इंसान पर 25000 रुपए का जुर्माना लगा सकता है.
3. टैक्स ऑडिट नहीं करना...
अगर प्रोसेसिंग के दौरान ये सामने आया कि टैक्स ऑडिट ड्यू था और उसे नहीं करवाया गया है तो सेक्शन 271B के तहत पेनल्टी लगाई जा सकती है. ये सिर्फ व्यापारियों या कंपनियों के लिए है. पेनल्टी सेल्स का 0.5% होगी. हालांकि, इस केस में भी पेनाल्टी 50 हज़ार से ज्यादा नहीं बढ़ सकती. इसलिए अगर सेल ज्यादा है तो ग्रॉस रिसीट, ग्रॉस टर्नओवर पर भी ध्यान दिया जा सकता है.
4. TDS की पेनाल्टी..
अगर ये पाया गया कि किसी व्यक्ति का टीडीएस ठीक तरह से नहीं कटा या वो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट तक नहीं पहुंचा तो टीडीएस जितना होगा उतनी ही पेनाल्टी लगेगी. इसी तरह टैक्स कलेक्शन एट सोर्स यानी TCS के तहत नियम है.
5. लोन अगर कैश में लिया है तो..
अगर ये पता चलता है कि किसी व्यक्ति ने कैश में 20 हज़ार से ज्यादा का लोन लिया है और उसकी जानकारी नहीं दी तो जितना लोन लिया है उतनी ही पेनाल्टी IT डिपार्टमेंट लगा सकता है. ये सेक्शन 271D के तहत लगती है.
इसी तरह लोन की रकम कैश में वापस की गई है जो 20 हज़ार से ज्यादा है तो सेक्शन 271E के तहत पेनाल्टी लगाई जाएगी.
6. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया गया तो...
अगर इनकम टैक्स रिटर्न नहीं फाइल किया गया तो सेक्शन 271F के तहत पेनाल्टी लगाई जाएगी. इसके लिए 5000 रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
अगर ये जानकारी मिलती है कि TDS रिटर्न साल भर के अंदर नहीं फाइल किया गया है तो पेनाल्टी 10 हज़ार से 1 लाख रुपए तक हो सकती है.
7. पैन न देना या फिर गलत पैन नंबर अटैच करना...
अगर किसी व्यक्ति ने पैन कार्ड इनकम टैक्स अकाउंट से नहीं लिंक किया है तो इसे भी एक अपराध माना जाएगा. अगर गलत पैन डिटेल्स दी हैं तो भी ये अपराध की श्रेणी में आता है ऐसे में 10 हज़ार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
8. टैन (TAN) नंबर न देने पर..
अगर किसी ने टैन (Tax Deduction and Collection Account Number) नहीं दिया या डिटेल्स गलत दी हैं तो उसके लिए भी 10 हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा.
अगर इनमें से कोई गलती ज्यादा बड़ी समझ आती है और किसी का जुर्म साबित हो जाता है तो जुर्माने के साथ-साथ उसे जेल भी हो सकती है.
हालांकि, कई लोग जानबूझकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को झांसा देने की कोशिश करते हैं, लेकिन कुछ वाकई गलती कर बैठते हैं जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है. वो IT गलतियां जो अक्सर लोग दोहराते हैं:
1. गलत ITR फॉर्म भरना..
ये सबसे आम गलती है जो लोग दोहराते हैं. गलत ITR फॉर्म भरने से कोई भी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के निशाने पर आ सकता है.
ITR फॉर्म हर तरह की इनकम के लिए
अगर कोई सैलरी पाने वाला कर्मचारी है तो उसे ITR 1 फॉर्म (सहज) भरना होगा. सभी फॉर्म 2016-17 में बदले गए हैं और ये incometaxindiaefiling.gov.in की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं.
2. फॉर्म 26AS को वेरिफाई नहीं करना..
कोई भी कर्मचारी अपना सही पैन कंपनी देता है. पर गलती यहां हो सकती है. अगर कर्मचारी का TAN या फि किसी करदाता का पैन गलत है तो वो इंसान TDS क्रेडिट नहीं ले सकता है. इस फॉर्म में वो डिटेल्स दी जाती हैं जिससे पता चलता है कि कितना अमाउंट टैक्स के लिए दिया जा चुका है, कितना नहीं और बाकी सभी डिटेल्स इस फॉर्म में दी होती है. किसी भी व्यक्ति को अपना 26AS फॉर्म चेक कर लेना चाहिए.
3. गलत डिटेल्स देना...
नाम, पता, आधारकार्ड नंबर आदि बहुत जरूरी है इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए. कोई भी बहुत आसानी से कोई बड़ी गलती कर सकता है. इन सभी का रिव्यू होता है और अगर कोई भी गलती पाई गई तो टैक्स क्रेडिट नहीं मिलता और इनकम टैक्स रिफंड नहीं मिल सकता. इसके लिए डिपार्टमेंट रिवर्स रिटर्न फाइल करने की सुविधा देता है.
4. डिडक्शन के लिए अप्लाई नहीं करना..
ये बहुत जरूरी है कि टैक्स कम किया जाए जितना जरूरी है उतना ही दिया जाए. इनकम टैक्स डिडक्शन के लिए कई दस्तावेज जमा किए जा सकते हैं. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 के तहत कई सारे डिडक्शन होते हैं और इन्हें इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें पीपीएफ अकाउंट, म्यूचुअ फंड, ट्यूशन फीस, रेंट आदि सब शामिल हैं. अगर ये समय पर नहीं भरे गए तो IT डिपार्टमेंट दूसरा मौका नहीं देगा.
5. सभी इनकम न बताना..
अक्सर लोग इस बात से कन्फ्यूज हो जाते हैं कि लॉटरी से मिली इनकम, मकान या दुकान बेचने से मिली इनकम, RD से मिली इनकम (इंट्रेस्ट) आदि टैक्स डिपार्टमेंट को नहीं देना है, लेकिन ऐसा नहीं है. सभी इनकम बतानी जरूरी हैं. अगर ऐसा नहीं हुआ तो नोटिस आ सकता है. स्टॉक डिविडेंट्स, सेविंग्स अकाउंट से मिला इंट्रेस्ट आदि भले ही टैक्सेबल न हो, लेकिन इनकी जानकारी डिपार्टमेंट को देना जरूरी है.
6. ITR-V को समय पर वेरिफाई नहीं करना..
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय रिटर्न को डिजिटली वेरिफाई या साइन करना होता है. अगर डिजिटल सिग्नेचर नहीं है तो सरकार ये मौका देती है कि ITR-V साइन किया हुआ भेजा जाए. रिटर्न फाइल करने के 120 दिन के अंदर ITR-V फॉर्म भेजना होता है. इसके अलावा, रिटर्न ई-वेरिफाई भी किया जा सकता है. अक्सर लोग इसे करना भूल जाते हैं और इससे फाइल किया हुआ रिटर्न मान्य नहीं रह जाता.
तो ध्यान रहे कि रिटर्न फाइल करना और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में सही जानकारी देना बहुत जरूरी है.
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