'मोदी को अपने सबसे भरोसेमंद साथी से चाहिए ये 4 मदद'
चार महीने पहले रघुराम राजन को सबसे भरोसेमंद साथी बताने वाले प्रधानमंत्री मोदी को अब इसी साथी से बड़ी उम्मीदें हैं. जहां मोदी को राजन की स्लाइड प्रेजेंटेशन की तरीका बेहद पसंद है वहीं इन चार चीजों पर मोदी मांग रहे हैं अपने बैंक से मदद.
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चार महीने पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन को अपना सबसे भरोसेमंद साथी बताने वाले प्रधानमंत्री मुश्किल में हैं. उन्हें अब जरूरत है मदद की.
केन्द्र सरकार के बैंक आरबीआई के स्थापना दिवस कार्यक्रम में इस साल प्रधानमंत्री मोदी शामिल हुए थे. 1 अप्रैल को हुए इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन को अपना सबसे भरोसेमंद साथी कहा था. ऐसा इसलिए कि वे उन्हें बड़ी से बड़ी बात ज्यादा से ज्यादा चार स्लाइड में इतनी अच्छी तरह समझाते हैं कि फिर मन में कोई सवाल ही नहीं रहता.
लेकिन इन चार महीनों के दौरान अर्थव्यवस्था के सामने कई सवाल खड़े हो गए हैं. चुनौती घर और बाहर दोनों तरफ से हैं. ग्रीस इसी दौरान कंगाल हुआ है और चीन डांवाडोल हो रहा है. इस सबके असर से भारत में तस्वीेर तेजी से बदल रही है. गिरता रुपया, निवेशकों के मन में आशंकाएं, महंगे होते खाद्य पदार्थ जैसी कई चुनौतियां हैं. देश प्रधानमंत्री मोदी का मुंह देख रहा है और मोदी रघुराम राजन का. ये 4 स्लाहइड हैं, जिनके जरिए कुछ कमाल दिखा सकते हैं राजन-
1. ब्याज दरों में कटौती
लंबे समय से चली आ रही केन्द्र सरकार और इंडस्ट्री की मांग को मान लिया जाए. दुनिया में अभी ईक्विटी बाजार और मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की हालत खराब है, लेकिन सस्ता क्रूड और सस्ता रॉ मटेरियल भारत जैसी अर्थव्यवस्था में तेजी लाने में अहम किरदार निभा सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि देश में ब्याज दरें कम की जाएं जिससे सस्ते कर्ज देकर मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र को बढ़ाया जा सके.
2. कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) में कटौती
रिजर्व बैंक को कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) में कटौती करने की जरूरत है. इससे बैंकों के पास लिक्विडिटी बढ़ेगी और अधिक लोन देने के लिए उनके पास ज्यादा कैश होगा.
3. चीन में संकट हमारे लिए मौका
चीन में संकट गहरा रहा है. उसका सारा ध्यान डॉलर के मुकाबले अपनी करेंसी युआन को मजबूत करने पर है. उसके ईक्विटी बाजार से निवेशकों का मोह भंग हो रहा है. ऐसे में भारत जैसे देश के लिए यह बड़ा मौका है. दरअसल ग्लोबल एक्सपोर्ट में लगभग 40 फीसदी हिस्सा चीन का है. चीन की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था का फायदा उठाते हुए भारत को इस समय ग्लोबल एक्सपोर्ट में अपना कद बढ़ाने की जरूरत है. इसके लिए देश में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र को सरपट दौड़ना होगा. गौरतलब है कि केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक लंबे समय से महंगाई पर काबू करने में कामयाब है और वैश्विक स्तर पर क्रूड, रॉ मटेरियल और एग्री प्रोड्यूस में गिरावट रहने से जल्द महंगाई बढ़ने का भी खतरा नहीं है.
4. विदेशी दौरों के बाद अब लाया जाए विदेशी निवेश
प्रधानमंत्री मोदी पिछले एक साल से ज्यादा समय में लगभग दुनिया के उन सभी देशों का दौरा कर चुके हैं जहां से एक बड़ा निवेश आ सकता है. वैश्विक स्तर पर ज्यादातर रेटिंग एजेंसी लगातार दावा कर रही हैं कि अन्य देशों के मुकाबले भारत में लगातार ऐसा माहौल बना हुआ है कि वैश्विक निवेशकों को यहां डबल डिजिट ग्रोथ मिल सकती है. यूरोप के साथ-साथ चीन जैसे बाजारों के सामने जहां संकट गहरा रहा है और अमेरिका मंदी से निकलने की पूरी कोशिश कर रहा है, ऐसे में कम ब्याज दरें भारत में मेक इन इंडिया को मजबूत शुरुआत दे, जिसे आगे बढ़ाने का काम विदेशी निवेश करे.
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