तो क्या जियो से पहले मोबाइल कंपनियां लूट रही थीं या मजबूर थीं?
जहां एक ओर अधिकतर दूरसंचार कंपनियां नुकसान का रोना रो रही हैं, वहीं दूसरी ओर एक नई रिपोर्ट ने रिलायंस जियो की पीठ थपथपा दी है. जियो की वजह से न केवल ग्राहकों के पैसे बचे हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में योगदान भी बढ़ा है.
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5 सितंबर 2016, वो दिन जब रिलायंस जियो ने भारत के टेलिकॉम बाजार में प्रवेश किया. कंपनी के आने से पहले कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन लॉन्च के साथ ही कंपनी ने 'सब कुछ फ्री' का ऐसा ऑफर दिया कि लोगों में जियो से जुड़ने की होड़ मच गई. यहां तक कि जियो का सिम लेने के लिए लाइनें लगीं, कंपनी की तरफ से मुफ्त दी जा रही सिम को लोगों ने पैसे देकर खरीदा. अब इंस्टिट्यूट ऑफ कम्पेटिटिवनेस (आईएफसी) की एक रिपोर्ट ने जियो को गर्व करने की एक और वजह दे दी है. रिपोर्ट का दावा है कि जियो की वजह से ग्राहकों के सालाना 10 अरब डॉलर यानी करीब 6.5 लाख करोड़ रुपए बचे हैं.
रिपोर्ट ने थपथपा दी जियो की पीठ
ग्राहकों की तरफ से तो जियो को अच्छी प्रतिक्रिया मिलती ही रही, लेकिन इस रिपोर्ट ने भी जियो की पीठ थपथपाने का काम किया है. रिपोर्ट के अनुसार ग्राहकों की सालाना 6.5 लाख करोड़ रुपयों की बचत के चलते देश का प्रति व्यक्ति जीडीपी भी 5.65 प्रतिशत बढ़ गया है.
प्रति जीबी डेटा की कीमत गिरी
जियो के आने से पहले महज 1-2 जीबी 3जी इंटरनेट डेटा के लिए भी ग्राहकों को 100-150 रुपए तक देने पड़ते थे, लेकिन जियो ने मानो इंटरनेट की दुनिया में क्रांति ला दी. रिपोर्ट के अनुसार प्रति जीबी डेटा की औसत कीमत इससे 152 रुपए से घटकर 10 रुपए पर आ गई है. कंपनी ने पहले ही दिन कहा था कि ग्राहक आज के युग में या तो कॉलिंग के पैसे देंगे या फिर इंटरनेट के. मुकेश अंबानी अपने इस वादे पर खरे भी उतरे. कंपनी के सभी प्लान में कॉलिंग एकदम मुफ्त है, भले ही वह एसटीडी कॉल हो या फिर रोमिंग में की गई कॉल. मुफ्त कॉलिंग के अलावा हर पैक में ग्राहकों को काफी सस्ती कीमत पर इंटरनेट मिलता है.
तो क्या जियो से पहले बाकी कंपनियां लूट रही थीं?
लोगों के मन में एक सवाल काफी समय से उठ रहा है, जिस इस रिपोर्ट ने और भी प्रबल कर दिया है. सवाल ये है कि अगर इतने सस्ते प्लान देने के बावजूद कंपनी फायदा कमा रही है तो क्या जियो के आने के पहले बाकी टेलिकॉम कंपनियां ग्राहकों को लूट रही थीं? सवाल जायज भी है. लोग ये भी सोच रहे हैं कि अगर वो कंपनियां जानबूझ कर अधिक पैसे ले रही थीं तो अब जियो की टक्कर के प्लान लाने पर उन्हें नुकसान क्यों हो रहा है. दरअसल, इन सभी सवालों का जवाब खुद मुकेश अंबानी दे चुके हैं. आइए जानते हैं क्या कहा था उन्होंने.
इसलिए कंपनियां रो रही हैं नुकसान का रोना
जहां एक ओर कुछ दूरसंचार कंपनियां मुनाफे में कमी को लेकर हाय-हाय कर रही हैं तो कुछ ऐसी भी दूरसंचार कंपनियां है जो जियो के आने के बाद से ही नुकसान का रोना रो रही हैं. वहीं दूसरी ओर, सबसे सस्ती सेवाएं देने के बावजूद रिलायंस जियो फायदा देने वाली कंपनी बन गई है. मुकेश अंबानी ने कहा था कंपनियों को नुकसान इसलिए हो रहा है क्योंकि वह इक्विटी और तकनीक में निवेश नहीं कर रही हैं. सभी दूरसंचार कंपनियां कर्ज लेने की अंधी होड़ में लगी हुई हैं, जिसके चलते उन पर वित्तीय बोझ काफी अधिक बढ़ गया है और मुनाफे का शेयर कम हो गया है. तकनीक में निवेश की कमी ही मौजूदा कंपनियों की दयनीय स्थिति के लिए जिम्मेदार है. उन्होंने बताया कि कंपनियों को अपने मुनाफे को पूंजी निवेश और नई तकनीक में लगाना चाहिए, लेकिन कंपनियां ऐसा नहीं करती हैं.
जियो ने अपनी सेवाएं शुरू करने के महज 15 महीनों बाद ही फायदा कमाना शुरू कर दिया था. वित्त वर्ष 2017-18 की तीसरी तिमाही में कंपनी ने 504 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया था, जबकि दूसरी तिमाही में कंपनी को 271 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था. यानी ये तो साफ है कि रिलायंस जियो को भी फायदा हो रहा है, जबकि उसकी सेवाएं इतनी सस्ती हैं कि देश का गरीब से गरीब तबका भी उनका इस्तेमाल कर सकता है. अन्य कंपनियों के नुकसान के पीछे तकनीक में निवेश न करना सबसे बड़ा कारण है, जिस पर खुद मुकेश अंबानी भी मुहर लगा चुके हैं.
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