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Updated: 04 अक्टूबर, 2016 09:50 PM
संतोष चौबे
संतोष चौबे
  @SantoshChaubeyy
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आप को पता है भारत में कितने गधे हैं? मुझे पूरा यकीन है कि अगर कुछ विशेषज्ञों को छोड़ दिया जाए तो किसी को नहीं पता होगा. भारत की 2014 में जारी 19वीं पशुधन गणना के अनुसार भारत में गधों की कुल संख्या 2012 में 32 लाख थी.

खैर, मुझे ये पता करने की जरूरत क्यों पड़ी? स्वाभाविक मानव उत्सुकता और क्या!

कई देश, मुख्यतः अफ्रीकी देश, चीन को गधों का निर्यात बंद कर रहे हैं. (अब ये भी शोध का विषय है कि दुनिया में गधों का कितना आयत-निर्यात होता है और चीन के अलावा और कौन-कौन से मुख्य बाजार हैं और भारत कि स्थिति क्या है?)

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लेकिन वो ऐसा क्यों कर रहे हैं?

ईजियाओ

ईजियाओ गधे की खाल से बनने वाला एक ब्लड टॉनिक है जो चीन में काफी प्रसिद्ध है. ये चीन की एक परंपरागत औषधि है जो महिलाओं में विशेष तौर पर लोकप्रिय है और अनीमिया, खांसी, अनिद्रा, फोड़े-फुंसी और घाव के लिए अनुकूल मानी जाती है. इसका इस्तेमाल चेहरे की क्रीम और उम्र का प्रभाव कम करने वाली क्रीम बनाने में भी होता है. चीन में ईजियाओ कितना लोकप्रिय है इसका पता इसी बात से लग जाता है हर साल लगभग 5000 टन ईजियाओ का उत्पादन चीन में होता है. लेकिन चीन के बढ़ते औद्योगीकरण ने और ईजियाओ की बढ़ती मांग ने गधों की संख्या चीन में काफी कम कर दी है. 90 के दशक में चीन में 1 करोड़ से ऊपर गधे थे जिनकी संख्या अब सिर्फ 60 लाख रह गयी है और एक अनुमान के अनुसार हर साल इसमें 3 लाख की कमी आती जा रही है. औद्योगीकरण ने लोगों की आय बढ़ाने के साथ ही साथ ऐसी मशीनों का इज़ाद किया जिससे ईजियाओ उत्पादन में काफी तेजी आ आयी. अब बेचारे गधे, जो पारंपरिक रूप से खेत जोतने और बोझ उठाने के काम आते थे, वो भी ईजियाओ के काम आने लगे.

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 गधों का निर्यात

दोहन इतना हुआ कि चीन में गधों की कमी हो गयी और चीन को घरेलू खपत को पूरा करने के लिए गधों का आयात करना पड़ा. और चीन ने इसके लिए अफ़्रीकी देशों के बाजार की ओर रुख किया जहाँ चीन ने काफी निवेश किया है.

शुरू में तो सब ठीक रहा. गधों का दाम तीन-गुना हो गया. कई ब्लैक-मार्केट पनप गए. गधों का चीन को वैध और अवैध निर्यात कई गुना बढ़ गया. जैसे चीन में हुआ था, लोगों ने गधों को खेती से और बोझ उठाने से हटाकर सिर्फ उनको चीन को निर्यात करने के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया.

लेकिन जैसा चीन में हुआ था, वैसा ही अब इन अफ्रीकी देशों में होने लगा है. गधों की संख्या इन देशों में इतनी तेजी से कम हो गयी है और अब इन देशों को डर सताने लगा है कि कहीं गधों की पूरी नस्ल ही न बर्बाद हो जाये.

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सो नाइजर और बुर्किना फासो जैसे देशों ने तो चीन को गधों का निर्यात पूरी तरह बंद कर दिया है जबकि केन्या और साउथ अफ्रीका जैसे देशों ने भी निर्यात को नियंत्रित करना शुरू कर दिया है. उम्मीद है कि और देश भी जल्द कि ऐसे कदम उठाएंगे.

इन सबने चीन में गधों पर ईजियाओ पर और एक राष्ट्रीय बहस छेड़ दी है. विशेषज्ञ इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि चीन में गधों की संख्या कैसे बढ़ाई जाए और कैसे लोगों को गधों का फार्म बनाने के लिए प्रेरित किया जाए.

और जब मांग इतनी है तो घटिया और नकली उत्पाद तो बाजार में आएंगे ही. चीन के बाज़ारों में नकली ईजियाओ इतने बिक रहे हैं कि कंपनियों को अपने उत्पादों के साथ डीएनए सर्टिफिकेट जारी करना पड़ रहा हैं कि उनका ईजियाओ असली है. इसके अलावा गधों कि चोरी भी अब आम बात हो गयी है और कई सारे फर्म ने अपनों गधों में आइडेंटिफिकेशन चिप्स तक लगाने शुरू कर दिए हैं.

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लेखक

संतोष चौबे संतोष चौबे @santoshchaubeyy

लेखक इंडिया टुडे टीवी में पत्रकार हैं।

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