करोड़ों के नए नोट पकड़े जाने के मायने क्या हैं...
नोटबंदी के एक महीने के अंदर 100 करोड़ से ज्यादा के नए नोट बरामद किए जा चुके हैं. एक तरफ आम जनता अपने 2500 रुपए के लिए घंटो एटीएम की लाइन में लगी है तो दूसरी तरफ इस कदर कालाबाजारी हो रही है.
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चेन्नई में 70 करोड़ के नए नोट पकड़े गए, बैंगलोर में 4.70 करोड़ के नए नोट बरामद, गोवा में 1.75 करोड़ के नए नोट बरामद ये तो कुछ बड़े मात्रा में पकड़े गए नोटों की सूची है जो सामने आए हैं, इसके आलावा देश के विभिन्न हिस्सों में लाखों के नए नोट पकड़े जा रहे हैं. एक न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी के एक महीने के अंदर 100 करोड़ से ज्यादा के नए नोट बरामद किए जा चुके हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि जहां एक तरफ आम जनता अपने 2500 रुपए के लिए घंटो एटीएम और बैंकों के आगे खड़ी है, वहीं इस बड़े स्तर पर नए नोट पकड़े जा रहे हैं तो कैसे?
सांकेतिक फोटो |
8 नवम्बर को जब प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा की तो लगा की इस कदम से कालाधन रखने वालों की अब खैर नहीं, मगर जिस प्रकार लाखों के नोट बरामदगी का मामला सामने आ रहा उससे एक बात तो तय है कि जुगाड़ में माहिर भारतीयों ने अपने काला धन सफ़ेद करने के भी जुगाड़ तलाश लिए हैं. हालाँकि, लोगों के पास बड़ी मात्रा में नए नोट कहाँ से आ रहे हैं, यह अभी ठीक से कह पाना मुश्किल है, मगर ये बात बैंकों में बड़े मात्रा में हेर फेर कि तरफ इशारा जरूर करती हैं.
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एक-एक व्यक्ति के पास करोड़ों के नोट मिलना इस बात के भी संकेत है कि जिन लोगों को ध्यान में रख कर नोटबंदी की गई थी वो इससे ज्यादा प्रभावित नहीं हो रहे हैं, बल्कि वो कई उपायों के जरिए अपने काले धन को नए रुपयों में बदल पाने में सफल हो रहे हैं. जब नोटबंदी पर फैसला किया गया था तब कई जानकारों ने इसे बेहतरी से लागू करने को लेकर सवाल उठाए थे. कई विपक्षी पार्टियों ने नोटबंदी को लेकर सरकार की आधी-अधूरी तैयारी और हड़बड़ी में लिया गया फैसला भी बताया था, मगर सरकार हमेशा नोटबंदी को एक सोची समझी और पूरी तैयारी के साथ उठाया कदम बताती रही. हालाँकि, यह सच है कि सरकारी तंत्र नोटबंदी में हेर-फेर से निपटने के लिए बड़े स्तर पर पूरे देश में छापेमारी कर रही है, मगर बावजूद इसके लाखों करोड़ों के नए नोट कमोबेश रोज बरामद किया जाना गंभीर है.
ऐसे में अगर वाकई में सरकार कालाधन को रोकने को लेकर प्रतिबद्ध है तो उसे नोटों में हो रहे बड़े स्तर पर हेर फेर को रोकने के और बेहतर उपाय करने होंगे, अन्यथा जिस कालेधन का इंतजार मोदी सरकार और लाइनों में खड़ी आम जनता कर रही है वो शायद जहाँ है वहीं रह जाए.
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