आनी थी इंडिया, लेकिन टेस्ला निकल गई चीन
टेस्ला की गाड़ी गई सो गई, लेकिन अब बाकियों को तो रोक लो, मोदी जी. देश की गाड़ी अच्छी भली विकास की राह पर जा रही थी, लेकिन अब लगता है जैसे कि वो रास्ता भटक गई है.
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पिछले महीने जब मोदी जी टेस्ला मोटर्स के संस्थापक एलोन मस्क से पालो आल्टो से कैलिफोर्निया में मिले तो अनुमान लगाया जा रहा था कि टेस्ला मोटर्स के हेड क्वार्टर्स में मोदी की मेहनत रंग लाएगी और टेस्ला का अगला स्टॉप संभवतः भारत ही होगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं, ताज़ा ख़बरों के अनुसार टेस्ला मोटर्स ने प्रधानमन्त्री मोदी की इतनी उत्सुकता दिखाने के बावजूद भी, अपनी कारों के निर्माण के लिए अगला गंतव्य चीन को बनाया है. मतलब टेस्ला को आना था इंडिया, लेकिन पहुँच गई चीन. इस बारे में आधिकारिक सूचना बहुत ज़ल्द ही ज़ारी होने की संभावना है.
बाहर से निवेश आकर्षित करने के लिए मोदी जी के उत्साह में शायद ही कोई संदेह करे. दरअसल, उन्होंने लोकसभा 2014 का चुनाव अपनी इस तरह की छवि के कारण ही जीता था, जब चुनावी कैंपेन में उनको विकास पुरुष कह कर महिमामंडित किया गया था. लोकसभा के मुख्य मुद्दे थे, महंगाई को कम करना, निवेश को बढ़ावा देना, नए जॉब तैयार करना आदि, आदि. उस समय देश की जनता से गाय, बीफ़ , हिन्दू- राष्ट्र, लव- जेहाद और घर- वापसी का ज़िक्र भूल कर भी नहीं किया गया था. नतीज़ा, मोदी की पूर्ण बहुमत से जीत! लेकिन अफ़सोस की बात है कि अब विकास, निवेश, जॉब , इस सब की बात ही नहीं हो रही. देश तो जैसे कहीं और ही उलझकर रह गया है.
मोदी जी की समस्या है कि वो दो नावों की सवारी कर रहे हैं. एक तरफ वो चुनावी रैलियों में जा कर विकास का दम भरते हैं, दूसरी और उन्हीं की पार्टी और सरकार के कुछ लोग और उन से जुड़े संगठन जी जान से हिंदुत्व की हुन्कार भरते हैं. उन्हें लगता है कि भाजपा की सरकार रहते ये मौक़ा है कि वो अपने हिन्दू राष्ट्र के एजेंडा को जितना शक्तिशाली कर सकते हैं, कर लें. वो इस बात की रत्ती भर भी चिंता नहीं करते कि उन के इस तरह के क्रियाकलापों से विश्व भर में हमारी क्या छवि बन रही है. सीधी सी बात है कि कोई भी बहुराष्ट्रीय कंपनी किसी देश में करोड़ों -अरबों निवेश करने से पहले सौ बार सोचेगी लेकिन जिस तरह से देश में अस्थिरता का माहोल बना हुआ है, जहां एक अफवाह के चलते क़ानून व्यवस्था की धज्जिया उड़ रही हैं, ऐसे में तो ये व्यवसायी इंडिया को दूर से ही राम राम करें तो कौन सी बड़ी बात है. उस के बाद बनाते रहियेगा आप अपना राम मंदिर, किसने रोका है.
टेस्ला की गाडी गई सो गई, लेकिन अब बाकियों को तो रोक लो मोदी जी. देश की गाड़ी अच्छी भली विकास की राह पर जा रही थी लेकिन अब लगता है जैसे कि वो रास्ता भटक गई है. दो नावों की सवारी तो खतरनाक है ही, वैसे ही दो पाटों के बीच में पिसना भी कम खतरनाक नहीं है. वो कबीर जी ने कहा है न कि 'दो पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय' विकास या हिंदुत्व? आप की क्या च्वाइस है?
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