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Updated: 27 फरवरी, 2018 06:37 PM
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भारत में फ्रॉड या धोखादड़ी के किस्से हर रोज़ सुनाई देते हैं. इसी के बीच बैंकिंग फ्रॉड के किस्से पिछले कुछ सालों से काफी ज्यादा हो गए हैं. बैंक लोन फ्रॉड, ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड, क्रेडिट कार्ड फ्रॉड, डेबिट कार्ड फ्रॉड आदि बहुत कुछ भारत में सुनाई देता है, पर क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा फ्रॉड है जो दुनिया में किसी भी देश से ज्यादा सर्च किया जाता है?

साइबर ब्लॉग ऑफ इंडिया कि रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग फ्रॉड भारत में बहुत ज्यादा होते हैं. सर्च एनालिसिस के मुताबिक भारत में सबसे ज्यादा सर्च एटीएम फ्रॉड से जुड़ी हुई होती है.

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ये आंकड़े बताते हैं कि भारत में कितनी बुरी हालत में इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग चल रही है और कितनी आसानी से लोग अपनी मेहनत की कमाई ले जाते हैं. भारत में सालों पुरानी तकनीक का इस्तेमाल अभी भी हो रहा है और हालत इतनी बुरी है कि सिर्फ 8-9% लोगों का पैसा वापस मिल पाता है. इसका कारण? हमारे सिस्टम की लचरता और भारत के लोगों का टेक फ्रेंड्ली न होना.

भारत में न जाने कितने लोगों से ये कहते सुना होगा कि एटीएम को क्लोन कर लिया गया. डेबिट कार्ड फ्रॉड हो गया, क्रेडिट कार्ड के साथ कुछ हो गया. अगर किसी के साथ ऐसा कोई फ्रॉड हुआ है तो उसे तत्काल में क्या करना चाहिए...

1. अपना कार्ड ब्लॉक करें...

कार्ड मिसिंग है, कार्ड में से कोई गलत ट्रांजैक्शन हुआ है. अगर आपने अपना कार्ड ब्लॉक नहीं करवाया तो ये सबसे बड़ी गलती है. अधिकतर बार ऐसे ट्रांजैक्शन रात के समय होते हैं जब आप सो रहे हों या किसी वजह से मैसेज नहीं देख पाए हों तो जैसे ही पता चले वैसे ही कार्ड ब्लॉक करवाना होगा.

2. फ्रॉड से जुड़े हुए पूरे ट्रांजैक्शन की रिपोर्ट...

ट्रांजैक्शन रिफरेंस नंबर, एटीएम की लोकेशन, पासबुक की डिटेल, कार्ड से आपने कब आखिरी ट्रांजैक्शन किया था ये पूरी जानकारी और इसके प्रूफ आपके पास होने चाहिए. ये सारी जानकारी नेट बैंकिंग या / m बैंकिंग अकाउंट में मिल जाएगी (अगर एक्टिवेट किया है तो) अगर नहीं तो बैंक ब्रांच में जाकर पासबुक अपडेट करवा लीजिए या फिर अकाउंट स्टेटमेंट ले लीजिए. सिर्फ रिपोर्ट के समय ही नहीं बल्कि बैंक को फ्रॉड का क्लेम करते हुए भी ये जानकारी जरूरी होगी.

3. बैंक को रिपोर्ट...

सिर्फ कार्ड बंद करवाने से नहीं चलेगा. बैंक को रिपोर्ट करना भी जरूरी है. ये काम पुलिस को रिपोर्ट करने से पहले करना होगा. बैंक को जानकारी फोन के जरिए दें, ब्रांच में जाकर दें, ईमेल के जरिए दें, लेकिन दें जरूर. खास बात ये है कि आपके पास रिपोर्ट का प्रूफ होना चाहिए. एक एप्लिकेशन जिसमें बैंक के ऑथोराइज्ड व्यक्ति के साइन हों या सील लगी हो, या फिर ईमेल आया हो, या मैसेज आया हो, कोई भी ऐसा तरीका जिससे आपके पास ये सबूक हो कि आपने बैंक को जरूरी जानकारी दे दी है. हां ये भी फ्रॉड होने के 3 दिन के अंदर होना चाहिए.

बैंक को ऑनलाइन रिपोर्ट के साथ कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करें और रिप्रेजेंटेटिव से रिपोर्ट करवाएं. कई बार टॉल फ्री नंबर पर कॉल नहीं लगता है ऐसे में किसी भी रजिस्टर्ड ऑफिस में कॉल करके आप नंबर ले सकते हैं. किस केस में बैंक की कितनी हिस्सेदारी होती है ये आपको इस फोटो से समझ आ जाएगा.

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4. पुलिस में रिपोर्ट...

अगर सिर्फ बैंक को जानकारी दी है और पुलिस को रिपोर्ट नहीं किया तो भी गलती कस्टमर की मानी जाएगी. इसके लिए सायबर सेल जाने की जरूरत नहीं अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करें. छोटे से छोटे एटीएम फ्रॉड की रिपोर्ट करना जरूरी है. ये एक फॉर्मेलिटी में से एक है जो बाद में पैसे दिलवाने में मदद करेगी.

बैंक की पॉलिसी है कि अगर आपने 7 दिन से ज्यादा लगा दिए रिपोर्ट करने में तो गलती आपकी मानी जाएगी. ऐसे में जिस समय भी आपको फ्रॉड के बारे में पता चला है उसके तुरंत बाद ही आप पुलिस रिपोर्ट करवाकर बैंक को जानकारी दे दें.

5. फॉलो अप...

फॉलो अप 10 दिन बाद से शुरू हो जाता है और अगर 90 दिनों तक कोई जानकारी नहीं मिलती है तो आरबीआई को एप्लिकेशन लिखी जा सकती है. रिपोर्ट करने के बाद फॉलो अप लेना बहुत जरूरी है.

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