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Updated: 29 जनवरी, 2021 12:30 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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1 फरवरी 2021. यह दिन बहुत खास है. इस दिन देश की दशा को देखते हुए दिशा तय की जाएगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी. कोरोना महामारी से जूझ रहे देश के हर तबके की निगाहें वित्त मंत्री की ओर हैं. हर किसी को उनसे उम्मीदें हैं. ऐसे में भला फिल्म इंडस्ट्री कैसे पीछे रह सकती है. अपनी आकांक्षाओं और चिंताओं के साथ बॉलीवुड का एक प्रतिनिधिमंडल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिला. इसकी अगुवाई खुद बीजेपी सांसद और एक्टर सनी देओल ने की. वित्त मंत्री ने भी फिल्म इंडस्ट्री की समस्याओं पर विचार करने का भरोसा दिया है.

nirmla-sitharamna-65_012821062708.jpgवित्त मंत्री निर्मला सीतारमण क्या फिल्म इंडस्ट्री को राहत देंगी.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात करने वाले इस प्रतिनिधि मंडल में सनी देओल के साथ पीवीआर के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक संजीव कुमार बिजली, इरोज ग्रुप के सीईओ निरंजन गिडवानी और पीवीआर पिक्चर्स के सीईओ कमल ज्ञानचंदानी भी थे. प्रतिनिधि मंडल का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से बंद सिनेमाघरों की वजह से इंडस्ट्री को काफी नुकसान हुआ है. इतना ही नहीं कई बड़े बजट की फिल्में जो पहले से ही पोस्ट-प्रोडक्शन चरण में थीं, उन्हें ओटीटी प्लेटफार्मों पर रिलीज करने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जो घाटे का सौदा रहा है.

इरोज ग्रुप के सीईओ निरंजन गिडवानी का कहना है कि फिल्म की तरह टीवी इंडस्ट्री के लिए भी जीएसटी बहुत महत्वपूर्ण है. ऐसे में जब लोग कोरोना की वजह से अपने घरों में रहने के लिए मजबूर है, सरकार को चाहिए कि टीवी इंडस्ट्री से जुड़ी जीएसटी की दर कम करे. दूसरे इंडस्ट्री की तरह यहां अभी स्टार्टअप कल्चर नहीं है. कुछ प्रमुख शहरों में मीडिया और एंटरटेनमेंट कलस्टर शुरू करने की संभावना बनाई जानी चाहिए, ताकि क्रिएटिव टैलेंट को प्रोफेशनल तरीके से काम करने और फंड एकत्र करने में मदद मिल सके. इस पर सरकार को विचार करना चाहिए.

कोरोना की वजह से लगे देशव्यापी लॉकडाउन के बाद सिनेमाघरों को सशर्त खोला गया था. सिनेमाघरों में महज 50 फीसदी क्षमता के साथ खोलने की इजाजत थी. लेकिन प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद सरकार ने नई गाइडलाइन जारी कर दी है. अब 50 फीसदी से ज्यादा क्षमता के साथ सिनेमाघर खोले जा सकते हैं. नई गाइडलाइन 1 फरवरी से लागू की जाएगी. इसके लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय, गृह मंत्रालय से परामर्श कर संशोधित SOP जारी करेगा. उम्मीद जताई जा रही है कि जल्दी ही पूरी तरह सिनेमाघरों का संचालन शुरू हो जाएगा.

इस बजट में भी फिल्म जगत मनोरंजन टैक्स में राहत मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं. बॉलीवुड जीएसटी और बजट में एंटरटेनमेंट टैक्स को कम करने की मांग करता रहा है. बॉलीवुड को उम्मीद है कि सरकार को फिल्म इंडस्ट्री को राहत देने के लिए ठोस कदम उठाएगी. ज्यादा टैक्स होने का असर सीधा आम लोगों की जेब पर पड़ता है. महंगा टिकट होने के कारण लोग सिनेमा हॉल का रुख नहीं करते हैं. इसका नुकसान फिल्मी दुनिया के लोगों को उठाना पड़ता है. इसलिए मांग है कि सरकार को फिल्म उद्योग के बढ़ावा देने के लिए टैक्स में राहत देनी चाहिए.

फिल्म निर्माण के दौरान काम आने वाली मशीनरियों पर 15 से 28 फीसदी तक एक्साइज ड्यूटी लगाई जाती है. यह खर्च फिलम मेकर्स को सीधा अपनी जेब से करना पड़ता है. चूंकि इस वक्त उतना मुनाफा रहा नहीं, इसलिए लागत कम करने की दिशा में काम हो रहा है. इसलिए फिल्म मेकर्स चाहते हैं कि केंद्र सरकार फिल्म निर्माण के दौरान काम आने वाली मशीनरियों पर एक्साइज ड्यूटी कम से कम कर दे, ताकि उनके खर्चे में कमी आए. यह मांग पिछले कई वर्षों से की जा रही है, देखना है कि इस बार सरकार इस पर क्या कदम उठाती है.

प्रोड्यूसर्स की सबसे बड़ी संस्था इम्पा के चेयरमैन टीपी अग्रवाल का कहना है कि इस बजट से बॉलीवुड को बहुत उम्मीदे हैं. हम लगातार सरकार से थिएटरों की संख्या बढ़ाने के लिए जरूरी संसाधन की मांग करते रहे हैं. हमारे पड़ोसी देश चीन में सिनेमाघरों की संख्या 64 हजार तक हो गई है, पर यहां सब मिलाकर 12 हजार भी नहीं है. सिंगल थिएटरों की हालत दुरुस्त करने के लिए भी हम वहां टैक्स बेनेफिट की मांग करते रहे हैं. उन्हें मल्टीप्लेक्सेज में कन्वर्ट करने की मांगें करते रहे हैं. उस पर भी बजट में गौर फरमाया जाना चाहिए.

बीजेपी और बॉलीवुड के रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे. भले ही देश में अच्छे दिनों के नारे के साथ केंद्र में मोदी सरकार आई, लेकिन फिल्म जगत को लुभा नहीं पाई. यही वजह है कि अपने पहले कार्य़काल के आखिरी वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिल्म इंडस्ट्री के साथ रिश्ते मधुर करने चाहे. इसके लिए करण जौहर की अगुवाई में फिल्मी सितारों, प्रोड्यूसर्स, फिल्म मेकर्स की एक टीम को पीएम से मिलने के लिए उनके आवास पर बुलाया गया. मुंबई में भी एक प्रोग्राम आयोजित किया गया, जिसमें मोदी ने फिल्म जगत के लोगों से मुलाकात की थी.

इसके बाद साल 2019-20 के बजट में मोदी सरकार ने बॉलीवुड को कई तोहफे दिए थे. इस बजट में सिंगल विंडो क्लीयरेंस के ऐलान के साथ ही फिल्म पायरेसी के खिलाफ कानून बनाने की बात कही गई थी. तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि भारतीय फिल्मकार आसानी से फिल्मों की शूटिंग कर सके, इसके लिए एकल खिड़की मंजूरी व्यवस्था शुरू की जाएगी. मनोरंजन जगत एक बड़ा रोजगार सृजन क्षेत्र है. इसे प्रमोट करने के लिए, फिल्मों की शूटिंग की प्रक्रिया को आसान करने के उद्देश्य से एकल खिड़की मंजूरी की व्यवस्था की जाएगी. इतना ही नहीं मोदी से मुलाकात के बाद 100 रुपए तक के टिकटों पर जीएसटी घटाकर 18 फीसदी से 12 फीसदी कर दी गई और बाकी के टिकटों पर 28 से घटाकर 18 फीसदी कर दी गई.

इस वक्त कोरोना के कहर से फिल्म इंडस्ट्री क्या पूरी दुनिया कराह रही है. लाखों लोगों की मौत हो गई. नौकरियां चली गईं. उद्योग धंधे चौपट हो गए. इंडस्ट्रीज की कमर टूट गई. लॉकडाउन की वजह से थियेटर बंद हो गए. फिल्मों की शूटिंग रोक दी गई. फिल्मी सितारे घर बैठ गए. करोड़ों-अरबों रुपए का बिजनेस करने वाली फिल्म इंडस्ट्री अचानक ठहर सी गई. मजबूरन अंग्रेजी मीडियम, गुलाबो-सिताबो, शकुंतला देवी, दिल बेचारा और सड़क 2 जैसी फिल्मों को ओटीटी प्लेफॉर्म पर रिलीज करना पड़ा था.

कोरोना की वजह से फिल्म निर्माताओं को काफी नुकसान हुआ है. लेकिन अब सिनेमाघरों को 50 फीसदी से अधिक क्षमता के साथ खोले जाने के सरकार के आदेश से बॉलीवुड की बांछे खिल गई हैं. 1 फरवरी से पूरी क्षमता के साथ थियेटर खुलने जा रहे हैं. पिछले साल बॉलीवुड में बॉक्स ऑफिस पर धन दौलत की झमाझम बरसात हुई थी. फिल्म इंडस्ट्री ने 100 बिलियन डॉलर का कारोबार करके एक अनोखा रिकॉर्ड कायम किया था. अब नए बजट के ऐलान के साथ देखना दिचलस्प होगा कि फिल्म जगत को कितनी राहत मिल पाती है.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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