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Updated: 01 सितम्बर, 2016 04:02 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
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रिलायंस, आपको एक बार फिर शुक्रिया. एक बार फिर बताने के लिए कि बाकी कंपनियां 1000 फीसदी अधिक पर दे रहीं थी मोबाइल और डेटा सर्विस. रिलायंस जियो के इसी हंगामें का हमें इंतजार था. क्यों? क्योंकि देश का सबसे बड़ा मोबाइल नेटवर्क एयरटेल यदि आपसे किसी सुविधा का 10 रुपए बीते कई साल से वसूल रहा था, उस सुविधा को रिलायंस मात्र 1 रुपये में देने जा रही है.

रिलायंस की वार्षिक आम सभा में मुकेश अंबानी ने रिलायंस जियो के टैरिफ प्लान की घोषणा कर दी. देश की बाकी मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को जिस बात का डर था वही हुआ. उनके ग्राहक भागने की शुरुआत कर चुके हैं. इसलिए नहीं कि रिलायंस ने किसी मोबाइल ग्राहक के साथ कोई धोखाधड़ी की जिससे वह अपने पुराने प्रोवाइडर को छोड़कर रिलायंस के झांसे में आ गए.

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रिलायंस का टैरिफ बल्कि इसलिए कि रिलायंस ने अपना टैरिफ प्लान घोषित कर उन ग्राहकों को यह बता दिया कि कैसे उनके मौजूदा सर्विस प्रोवाइडर उन्हें एक रुपए का सामान 10 रुपये में बेच रहे हैं. यानी 1000 फीसदी अधिक कीमत पर.

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 रिलायंस जियो का टैरिफ प्लान

गौरतलब है कि रिलायंस जियो का लांच नजदीक आते ही देश की सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों के संगठन के बड़े खिलाड़ी जैसे भारती एयरटेल और आइडिया परेशान हो उठे. उन्हें डर था कि कहीं रिलायंस अपने जियो को लांच कर उनके पैरों तले जमीन न खींच ले. इस आशय उन्होंने टेलिकॉम रेगुलेटर ट्राई से शिकायत तक कर दी कि मोबाइल इंडस्ट्री में रिलायंस अपनी हेजेमनी बनाने की नियत से प्रवेश करने जा रहा है.

रिलायंस ने दिया 12,000 करोड़ का पहला झटका

इन कंपनियों का डर कितना वाजिफ था इसका एक अंदाजा आपको रिलायंस जियों के टैरिफ प्लान को देख कर लग रहा होगा. वहीं इसका सीधा असर देखिए कि जैसे ही मुकेश अंबानी ने अपने कंपनी की वार्षिक बैठक को संबोधित करना शुरू किया, शेयर बाजार में रिलायंस को छोड़ देश की सभी मोबाइल कंपनियों के शेयर औंधे मुंह गिरना शुरू हो गए. और जैसे-जैसे मुकेश अंबानी बोलते रहे, शेयर लुढ़कते रहे. मुकेश ने अपनी स्पीच खत्म की और इन कंपनियों को शेयर बाजार में लगभग 12,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो गया.

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एयरटेल और आइडिया का अब शुरू होगा असली नुकसान

अब मौजूदा दिग्गज कंपनियां जैसे कि एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया का नुकसान यहीं नहीं रुक रहा, बल्कि उनका असली नुकसान अब शुरू होने जा रहा है. जी हां, अब शुरू होगा ग्राहकों का पलायन. यानी देश में पहले से मौजूद नेशनवाइड नंबर पोर्टबिलिटी की सुविधा लेने की मचेगी होड़.

गौरतलब है कि भारत में लगभग 105 करोड़ मोबाइल कनेक्शन मौजूद है. इनमें से लगभग 26 करोड़ कनेक्शन एयरटेल के पास है, 20 करोड़ वोडाफोन के पास है और 18 करोड़ कनेक्शन पर आइडिया बैठा हुआ है. इन सभी कंपनियों ने बीते कई साल से मिलजुल कर मोबाइल इंडस्ट्री पर अपनी हुकूमत कायम कर रखी थी. वहीं मौजूदा समय में रिलायंस के पास लगभग 10 करोड़ कनेक्शन है.

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 वार्षिक जनरल मीटिंग को संबोधित करते मुकेश अंबानी

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जियो को लांच करने के साथ ही रिलायंस को उम्मीद है कि वह 25 करोड़ कनेक्शन पर अपना कब्जा बना लेगी. अब रिलायंस जियो के टैरिफ प्लान को देखकर तो ऐसा ही लग रहा है कि महज कुछ महीनों में रिलायंस यह कारनामा कर दिखाएगी. मतलब साफ है कि वह बाजार में सबसे बड़ा सर्विस प्रोवाइडर बनकर बैठने जा रही है.

अब कैसे रुकेगा ग्राहकों का पलायन

रिलायंस जियो से जुड़ने वाले उपभोक्ताओं में खास बात यह है कि इनमें से ज्यादातर उपभोक्ता लंबे समय से कॉल ड्रॉप, खराब कनेक्शन और महंगे डेटा की समस्या से जूझ रहे हैं. रिलायंस की नई टेक्नोलॉजी ऐसी खूबियों के साथ आई है कि अब कॉल ड्रॉप बीते जमाने की बात होने जा रही है. और इन दरों पर डेटा पाकर ग्राहकों के लिए दुनिया के किसी कोने में ऐसा विकल्प नहीं है. लिहाजा मौजूदा दिग्गज कंपनियों से ग्राहकों के पलायन की पूरी संभावना है.

इस पलायन को रोकने के लिए सभी कंपनियां अपने-अपने टैरिफ को रिलायंस के बराबर या नजदीक रखने की कवायद में जुट गई है. लेकिन इन्हें एक बात याद रखनी चाहिए कि उपभोक्ताओं को एक बात बिलकुल साफ समझ आ चुकी है कि बीते कई साल से उन्हें घटिया कनेक्शन और महंगा डेटा देकर सिर्फ लूटा गया है. कुछ महीनों पहले केन्द्र सरकार ने कॉल ड्राप की समस्या पर जिम्मेदार कंपनियों को मुआवजा देने की बात कही. लेकिन कंपनियां ऐसा करने से मुकर गईं. इससे एक बात और साफ हो गई थी कि इन कंपनियों ने अपने मुनाफे के अंश से बेहतर सुविधा देने की कोशिश नहीं की और सिर्फ और सिर्फ अपनी जेब भरने का काम किया.

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अब बारी उस ग्राहक की है. जब वाजिफ दरों पर रिलायंस जियो उनकी जरूरत की सभी सुविधाओं को लेकर मौजूद है तब भला वह कॉल ड्राप की मजबूरी को क्यों कुबूल करेंगे. वहीं इन कंपनियों की टैरिफ में कमी करने की कोशिश भी उन्हें शायद ही आकर्षित कर पाए. लेकिन, वाकई अगर इन कंपनियों को अपने ग्राहकों को रोकना है तो उसे अपने सभी ग्राहकों को वह 1000 फीसदी अधिक वसूला हुआ पैसा लौटाना पड़ेगा. याद कीजिए कॉल ड्रॉप का मुआवजा पाने की खबर ने छड़ भर के लिए ग्राहकों को कितना खुश कर दिया था. यह भी याद कीजिए कि देश में कालाधन वापस लाकर सभी नागरिकों के बैंक खाते में उसे बांटने की खबर ने कैसे देश की राजनीति को बदल दिया था. क्या, एयरटेल, आइडिया और वोडाफोन ऐसा कर पाएंगे या उन्हें मोबाइल जगत में रिलायंस की बादशाहत का इंतजार है.

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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