डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने में क्यों पिछड़ रही बीएसएनएल
केन्द्र सरकार को 2019 तक अपना डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट पूरा करना है. ऐसे में अगर सरकारी टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर बीएसएनएल इस चुनौती को पूरा करने के लिए मजबूती के साथ टेलिकॉम मार्केट में नहीं खड़ा रहता तो सरकार के इस सपना को पूरा करने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.
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केन्द्र सरकार को डिजिटल इंडिया का सपना साल 2019 तक साकार करना है. इसके लिए देश में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना, जरूरी सेवाओं को डिजिटल माध्यम से मुहैया कराना और देश में डिजिटल लिटरेसी का प्रसार करना है. इन सभी कामों के लिए देश में इंटरनेट सुविधा को घर-घर पहुंचाने को सबसे अधिक वरीयता दी जानी है जिसमें सरकारी कंपनियों के साथ-साथ निजी कंपनियों की अहम भूमिका रहेगी. हालांकि मौजूदा समय में जहां देश के मोबाइल और इंटरनेट उपभोक्ता निजी कंपनियां की सर्विस क्वालिटी को लेकर परेशान हैं वहीं सरकारी टेलिकॉम कंपनियों की हालत की हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह कितनी तेजी से मार्केट में निजी कंपनियों से मात खा रही हैं.
सरकारी टेलिकाम कंपनी बीएसएनएल ने अपनी ब्रॉडबैंड सेवा की स्पीड को 1 अक्टूबर से 4 गुना बढ़ाकर 2 मेगाबाइट करने का फैसला लिया है. बीएसएनएल का यह कदम केन्द्र सरकार के डिजिटल इंडिया सपने को समय सीमा में साकार करने के उद्देश्य से उठाया गया है. फिलहाल बीएसएनएल अपने उपभोक्ताओं को मात्र 512 केबीपीएस स्पीड के ब्रॉडबैंड कनेक्शन की पेशकश कर रहा है जबकि बाजार में मौजूद निजी क्षेत्र के अन्य सर्विस प्रोवाइडर 16 एमबीबीएस तक के स्पीड प्लान दे रहे है. लिहाजा, ऐसा क्यों है कि जब देश में टेक्नॉलजी के क्षेत्र में तेज विकास देखने को मिल रहा और निजी कंपनियां विश्व स्तर की सुविधाओं की पेशकश कर रही हैं, इसके बावजूद देश के सबसे पुराने सर्विस प्रोवाइडर, जिसे सरकार का संरक्षण भी मिला हुआ है, वह कई साल पुरानी रफ्तार को अब लांच कर उसे बड़ी उपलब्धि मान रहा है.
समय और स्पीड में बीएसएनएल सिर्फ यहीं नहीं मात खा रहा है. लंबे अरसे से निजी कंपनियों के हाथों अपने मोबाइल के साथ ही लैंडलाइन ग्राहकों को भी गंवाने में इस सरकारी कंपनी ने महारत हासिल कर ली है. बीएसएनएल ने मार्च 2014 से मार्च 2015 के बीच लगभग 1.78 करोड़ वायरलेस और 20 लाख से ज्यादा वायरलाइन ग्राहक गंवा चुकी है जिससे सरकारी खजाने को लगभग 7,600 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है.
आंकड़ों पर नजर (जून 2015 तक)
ट्राई के जारी नए आंकड़ों के मुताबिक देश में लगभग 11 करोड़ ब्रॉडबैंड सब्सक्राइबर(वायरलेस और फिक्स्ड) हैं. इसमें से जून 2015 तक बीएसएनएल के पास कुल (वायरलेस और फिक्स्ड) 1 करोड़ 82 लाख सब्सक्राइबर थे. वहीं देश के 5 प्रमुख फइक्स्ड लाइन ब्रॉडबैंड सर्विस प्रोवाइडर के सब्सक्राइबर बेस पर नजर डालें-
बीएसएनएल- 99 लाख
भारती एयरटेल- 15 लाख
एमटीएनएल- 11 लाख
एट्रिया- 7 लाख, और
यू ब्रॉडबैंड – 4 लाख
वहीं, डिजिटल इंडिया के प्लान के मुताबिक केन्द्र सरकार को साल 2017 तक देश में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी को बढ़ाकर 17.5 करोड़ तक पहुंचाना है और साल 2020 तक इसे बढ़ाकर 60 करोड़ करना है. इसके साथ-साथ सर्विस प्रोवाइडर्स को न्यूनतम स्पीड 2एमबीपीएस सुनिश्चित करते हुए कम से कम 100 एमबीपीएस की अधिकतम स्पीड की की सर्विस मुहैया करानी है. लिहाजा इन आंकड़ों के आधार पर साफ कहा जा सकता है कि यदि बीएसएनएल जैसी सरकारी सर्विस प्रोवाइडर कंपनी निजी कंपनियों के हांथों अपना ग्राहक गंवाने के बजाए क्वालिटी और एफोर्डेबल सर्विस उपलब्ध नहीं कराती तो केन्द्र सरकार के डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा.
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