आखिर साइबर फिरौती बिटकॉइन में ही क्यों मांगी जा रही है?
बिटकॉइन ने अब दुनिया भर की सुरक्षा एजेंसियों और फाइनेंशियल रेग्युलेटर्स की नींद उड़ा दी है. इसके जरिए बढ़ रही फिरौती की घटनाओं ने विभिन्न देशों की वित्तीय कंपनियों, ब्रॉकरेज फर्म और पुलिस महकमों को हिलाकर रख दिया है.
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दुनिया भर में रैनसमवेयर वायरस "ब्रॉनाकाई" से दशहत का माहौल बना हुआ है. वैश्विक साइबर हमले की भयावहता का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि 150 देशों के 2 लाख से ज्यादा कंप्यूटर बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. इसमें फिरौती जिस मुद्रा में मांगी जा रही है, वह ‘बिटकॉइन’ है. अब प्रश्न उठता है कि बिटकॉइन की ऐसी क्या विशेषता है कि फिरौती इसी मुद्रा में मांगी जा रही है? सर्वप्रथम समझते हैं कि बिटकॉइन क्या है?
बिटकॉइन क्या है?
बिटकॉइन एक नई इनोवेटिव टेक्नोलॉजी है, जिसका इस्तमाल ग्लोबल पेमेंट के लिए किया जा रहा है. यह अनोखी और नई आभासी मुद्रा है. कंप्यूटर नेटवर्कों के द्वारा इस मुद्रा से बिना किसी मध्यस्थता(बिना बैंक) के ट्रंजेक्शन किया जा सकता है.
शुरुआत में कंप्यूटर पर बेहद जटिल कार्यों के बदले ये क्रिप्टो करेंसी कमाई जाती थी. चूंकि यह करेंसी सिर्फ कोड में होती है. इसलिए इसे जब्त भी नहीं किया जा सकता. एक अनुमान के मुताबिक इस समय करीब डेढ़ करोड़ विटकॉइन प्रचलन में है. 2010 में एक हजार विटकॉइन के बदले में एक पिज्जा खरीदा जा सकता है. अभी एक बिटकॉइन की कीमत एक लाख सात हजार रुपये है और अनुमान है कि 2018 तक ये 6 लाख रुपये हो जाएगी. इस डिजिटल करेंसी को डिजिटल वॉलेट में भी रखा जाता है. विटकॉइन को क्रिप्टोकरेंसी भी कहा जाता है.
फिरौती के लिए बिटकॉइन क्यों?
बिटकॉइन ब्लॉक चेन मेथड का प्रयोग करता है. ये चेन पूरी तरह से ट्रेक की जा सकती है. मगर इस चेन को जिस "डार्क वेब" पर ब्राउज किया जाता है उसे ट्रेक करना काफी कठिन है. साथ ही बिटकॉइन को करेंसी की मान्यता न देने के चलते इसके रिकॉर्ड्स के लिए कोई स्पष्ट नियम हैं ही नहीं. इसे 2008-09 में सतोषी नाकामोतो नामक एक सॉफ्टवेयर डेवलपर ने प्रचलन में लाया था.
बिटकॉइन का संचालन कंप्यूटरों के विकेन्द्रीकृत नेटवर्क से किया जाता है. जहां ट्रांजेक्शन करने वालों की व्यक्तिगत जानकारियों की जरुरत नहीं होती है. क्रेडिट कार्ड या बेंक ट्रांजेक्शन के विपरीत इससे होने वाले ट्रांजिक्शन इररिवर्सिबल होते हैं, अर्थात् इसे वापस नहीं लिया जा सकता है. कहने का आशय है कि यह वन वे ट्रेफिक होता है. वहीं क्रेडिट कार्ड, बैंक ट्रांसफर आदि में पैसे जहां भेजे जाते हैं, उसका आसानी से पता लगाया जा सकता है, लेकिन इसमें ऐसा संभव नहीं है.
टैक्स चोरी, हवाला, अपराध, आतंकवाद इत्यादि में बिटकॉइन का प्रयोग-
बिटकॉइन की व्याख्या से स्पष्ट है कि इसे ट्रेस करना काफी कठिन है. यही कारण है कि दुनियाभर में कंप्यूटरों को 'फिरौती वायरसों' से खतरा बढ़ता जा रहा है, और इसके लिए फिरौती का बिटकॉइन से अच्छा माध्यम क्या हो सकता है. अभी विप्रो को रसायनिक हमले का धमकी देने वाले ने 500 करोड़ की फिरौती भी बिटकॉइन में ही मांगी है. कालाधन, हवाला, ड्रग्स की खरीदी-बिक्री, टैक्स चोरी और आतंकवादी गतिविधियों में बिटकॉइन का प्रयोग लगातार हो रहा है. बिटकॉइन ने अब दुनिया भर की सुरक्षा एजेंसियों और फाइनेंशियल रेग्युलेटर्स की नींद उड़ा दी है. इसके जरिए बढ़ रही फिरौती की घटनाओं ने विभिन्न देशों की वित्तीय कंपनियों, ब्रॉकरेज फर्म और पुलिस महकमों को हिलाकर रख दिया है.
बिटकॉइन दुनिया भर में मनी लॉन्ड्रिंग का सबसे सुरक्षित तरीका है. आप भारत में बैठे-बैठे अपने खाते के रुपये विटकॉइन वॉलेट में डाल सकते हैं और किसी भी टैक्स हैवन देश में जाकर उन्हें डॉलर में बदल सकते हैं. अमेरिका के लास वेगास के कसीनो में भी आपको विटकॉइन एटीएम लगे मिल जाएंगे.
अगर किसी नौकरशाह को रिश्वत देने के लिए उसको कोई कंपनी बिटकॉइन वॉलेट में पैसा दे तो क्या हमारा सिस्टम इसे पकड़ पाएगा? कुल मिलाकर जब तक विटकॉइन है 'ब्लैक मनी' की समाप्ति मुश्किल है.
बिटकॉइन का मूल्य निर्धारण कैसे ?
बिटकॉइन की कीमत काफी तेजी से ऊपर नीचे होती है. ऐसे में बिटकॉइन का मूल्य निर्धारण के प्रति जिज्ञासा भी सामान्य है. बिटकॉइन की कीमत मांग और पूर्ति के आधार पर होती है. अगर किसी चीज के लिज मांग जरुरत से ज्यादा हो और आपूर्ति कम हो जाए तो उसकी कीमत बढ़ेगी.
बिटकॉइन के लोकप्रियता का कारण
बिटकॉइन की सुरक्षा उच्चस्तरीय है, अति गुमनाम तरीके इसे आप संचालित कर सकते हैं. क्रिपटोकरेंसी की नकल नहीं कर सकते और भुगतान भी रद्द नहीं किया जा सकता है. साथ ही काफी न्यूनतम शुल्क पर विश्व के किसी भी हिस्से में इसका हस्तांतरण संभव है. औसतन 3-5 कार्य दिवसों के दौरान बैंक हस्तांतरण किया जाता है, लेकिन बिटकॉइन से कुछ सेकेंड में. अगर राशि काफी बड़ी है, तो यह 8-10 मिनट का समय ले सकता है. इसके अतिरिक्त यह मुद्रास्फीति से भी सुरक्षा प्रदान करता है. अपनी काले गतिविधियों के अतिरिक्त इन कारणों से भी बिटकॉइन लोकप्रिय है और इसकी मांग आपूर्ति की तुलना में ज्यादा रहती है.
यही कारण है कि आरबीआई के चेतावनी के बावजूद हर रोज 2500 से ज्यादा लोग बिटकॉइन में पैसा लगा रहे हैं. सरकार ने इसी साल मार्च में कहा था कि बिटकॉइन में पैसा डालना अवैध है. इसे आरबीआई की अनुमति नहीं है. इसमें पैसा डालने पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस हो सकता है. इसके बावजूद भारत में इसके डाउनलोड की संख्या 5 लाख तक पहुंच गई है.
इस डिजिटल करेंसी को किसी केन्द्रीय बैंक का समर्थन नहीं मिला है. बिटकॉइन का आम लेन देन में मान्यता न मिलना ही इसकी शक्ति है. इस मुद्रा को किसी बैंक ने जारी नहीं किया है. अत: ये किसी देश की मुद्रा नहीं है. इसलिए इस पर कोई टैक्स भी नहीं लगता.
अब समय आ गया है कि संपूर्ण विश्व समुदाय मिलकर बिटकॉइन के खतरनाक रुप को लेकर गंभीर हो. इसे कानूनी मान्यता देने पर इसको लेकर काफी कड़े नियम कायदे बनाने होंगे, जो कहीं न कहीं इसके वर्तमान रुप को बदल देंगे. जब तक ऐसा नहीं होगा, तब तक बिटकॉइन अवैध मामलों का न केवल सबसे लोकप्रिय माध्यम बना रहेगा, अपितु अवैध मामलों का सुगम पनाहगार भी बना रहेगा.
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