AC की ठंडक मिले ना मिले, 18% GST तो देना पड़ेगा
क्या आप जानते हैं कि आप एसी रेस्टोरेंट से अगर खाना पैक भी करवा रहे हैं तो भी आपको 18% टैक्स देना होगा. यानि आप हवा खाएं ना खाएं उसके पैसे जरूर चुकाने होंगे ...
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टैक्स, टैक्स और टैक्स... आज ही किसी कॉमेडियन को कहते सुना कि मोदी जी बातें करते हैं और बातों ही बातों में टैक्स दे जाते हैं.. कहना भी सही है.. सर्विस टैक्स 12.6% से 15% और अब 18% जीएसटी लग गया है. चाहे सेस हो या जीएसटी, टैक्स का बोझ तो लोगों पर बढ़ा ही है.
वैसे तो जीएसटी ना जाने कितने सालों से बहस का विषय बना हुआ है पर मोदी सरकार के राज में लागू हुआ है तो इसका ठीकरा तो मोदी जी के सिर पर ही फोड़ना पड़ेगा ना. तो चलिए हम भी इसी कड़ी में शामिल हो जाते हैं.
क्या आप जानते हैं कि आप एसी रेस्टोरेंट से अगर खाना पैक भी करवा रहे हैं तो भी आपको 18% टैक्स देना होगा. ये ही तो है नया टैक्स सिस्टम. मतलब कि आप हवा खाएं या ना खाएं आपको खाने में हवा के भी पैसे चुकाने होंगे. इस बारे में सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज और कस्टम्स (CBEC) ने ये खुद साफ किया है कि भले ही आप AC रेस्त्रां में खाना खाए या ना खाएं सिर्फ पैक करवाएं या फिर होम डिलिवरी मंगवाएं आपको 18% टैक्स देना होगा.
इसी तरह से नॉन एसी रेस्त्रां जिसमें शराब मिलती है, उसमें भी 18% टैक्स देना होगा. इसके अलावा, नॉन एसी रेस्त्रां में 12% और फाइव स्टार में 28% देना होगा. मतलब जो भी रेस्त्रां जिस भी स्लैब में आता है आपको उसके हिसाब से पैसे चुकाने ही होंगे भले ही आप खाना वहां बैठकर खाएं या डिलिवरी करवाएं.
CBEC ने ये साफ किया है कि अगर रेस्त्रां के किसी भी हिस्से में एसी है तो उसे 18% टैक्स स्लैब में ही रखा जाएगा.
यही तो गाड़ियों के मामले में भी होता है ना. 5 लाख की कार (बेस वैल्यू) नैशनल कैलेमिटी कंटीजेंट ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी, इंफ्रास्ट्रक्चर सेस, सेंट्रल सेल्स टैक्स, ऑक्ट्रॉय, वैट, रोड टैक्स आदि सब दे दिया और अंत में गाड़ी के लिए मुझे 7.5 लाख के आस-पास चुकाने पड़े. इसके बाद भी जब सड़क पर निकलूं तो टोल टैक्स अलग से चुकाना पड़े. अरे जब ऐसा ही था, तो रोड टैक्स क्यों लिया था?
क्या ये सही है? चलिए सरकार की तरफ से सोचते हैं. हो सकता है कि इसके पीछे का तर्क ये हो कि रेस्त्रां मालिकों को सरकार को उतना ही टैक्स चुकाना पड़ता है और इसी हिसाब से रेट सेट किया हो, लेकिन इससे लोगों को कोई फायदा होगा क्या?
टेकअवे ऑर्डर के लिए अगर 18% टैक्स चुकाना पड़ रहा है तो क्या बेहतर नहीं है हम फूड ट्रक या फिर लोकल (हाइजीनिक) फूड ज्वाइंट से खाना मंगवाएं और खाएं? इकोनॉमी तो उनकी भी है और इससे उन्हें फायदा भी होगा. CBEC ने तो एक बार में जवाब दे दिया, लेकिन ये थोड़ी नाइंसाफी सी लग रही है. जिस हवा का हम फायदा ही नहीं उठा पा रहे उस हवा के पैसे देना कुछ ज्यादा नहीं है?
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