ऑफिस की भागदौड़ और शर्मा जी का वैलेंटाइन डे
न्यूटन के चचा का एक लॉ है, अगर आप ऑफिस में जल्दी में हैं उस वक्त बॉस आपको जरूर बुलाएगा. इस एक्शन का रिएक्शन कुछ ऐसा होता है कि चाहें कोई भी कर्मचारी हो वो 2 घंटे से पहले फ्री नहीं हो पाता. ऐसी भागदौड़ में आखिर कैसे मनाया जाए वैलेंटाइन डे.
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सुबह साढ़े 7 बजे जैसे ही अलार्म बजा शर्मा जी किसी रॉकस्टार की तरह बिस्तर से उठ खड़े हुए. रोज की तरह उनमें आलस नहीं था. ऑफिस जाने की जल्दी थी और चेहरे पर सूरज की पहली किरन की तरह ताजगी दिख रही थी. आज का दिन कोई आम मंगलवार नहीं था. आज वैलेंटाइन डे था. शर्मा जी कुछ इस तरह से ऑफिस जाने की तैयारी कर रहे थे जैसे 5 साल का कोई बच्चा पिकनिक जाने की तैयारी कर रहा हो. ब्लूटूथ स्पीकर से अपना फोन कनेक्ट कर शर्मा जी आज 'दिल तो बच्चा है जी' गाना सुन रहे हैं. 32 साल के शर्मा जी जिंदगी में कुछ इतना बिजी हो गए कि शादी करना ही भूल गए. अब पिछले 3 महीनों से उनकी जिंदगी कुछ नए रंग भर रही है. ऑफिस में मिस मिश्रा जो आ गई हैं.
अब ये 1980 का दशक तो है नहीं कि शर्मा जी कुछ घबराएं. 2017 है भाई, आज तो वो वैलेंटाइन डे पर मिस मिश्रा को प्रपोज कर ही देंगे. कॉलेज खत्म होने के बाद का पहला वैलेंटाइन डे मनाया जाएगा. कॉलेज वाली गर्लफ्रेंड से तो उनका ब्रेकअप तो आखिरी सेमेस्टर के पहले ही हो गया था. उसके बाद अब मौका मिला है. खैर, शर्मा जी के लिए ये गोल्डन चांस था. एक तो ऑफिस में सब यंगस्टर्स हैं तो समझेंगे, दूसरे दिन भर बाहर ट्रैफिक में घूमने का झंझट नहीं, मूवी हॉल आदि सब भरे होंगे और तीसरा पिटने का भी कोई डर नहीं. अब इंडिया है, प्रेमी जोड़े का वैलेंटाइन डे के दिन पिटने का काफी चांस रहता है ना तो ऑफिस ही सुरक्षित है.
खैर, भीड़-भाड़ वाली मेट्रो में जैसे-तैसे अपनी शर्ट को बचाते हुए शर्मा जी चढ़ गए, लेकिन ये क्या मेट्रो तो अंगद का पांव बनी हुई है. 15 मिनट हो गए चलने का नाम नहीं, तभी घोषणा होती है कि सिग्नल की समस्या के कारण मेट्रो देरी से चलेगी. शर्मा जी ने जिस बेचारगी से मेट्रो के खुले हुए दरवाजे को देखा ऐसा लगा मानो अभी रो ही देंगे. अगर मेट्रो और लेट होती है तो बॉस आ जाएगा और फिर गालियां पड़ेंगी. इसी उलझन में अपनी शर्ट की क्रीज की परवाह किए बगैर शर्मा जी मेट्रो से बाहर निकल कर कैब करने की लिए सीढ़ी की तरफ भागे ही थे कि मेट्रो के दरवाजे बंद हो गए और उनके सामने ही गाड़ी छूट गई. खैर, अब कैब की गई जैसे-तैसे ट्रैफिक के बाद पहुंचे तो बॉस पहले से ही मौजूद था. लेट होने के कारण मॉर्निंग मीटिंग मिस हो गई थी और बॉस ने उन्हें हाई-स्कूल के प्रिंसिपल की तरह डांट भी दिया.
प्रिंटर, स्कैनर और जंग...
देखिए फरवरी ऑफिस जाने वालों के लिए खास महीना होता है. प्यार के लिए नहीं टैक्स के लिए. इनकम टैक्स से जुड़े कागजात जमा करने की आखिरी तारीख भी कमबख्त आज ही थी. कॉर्पोरेट वर्ल्ड में आपको कुछ आए ना आए प्रिंटर, स्कैनर और फोटोकॉपी मशीन चलाना जरूर आता है. शर्मा जी, अपने कागजात कुछ जल्दी में अरेंज कर रहे थे. उनकी नजर पूरे समय मिस मिश्रा पर थी जिनकी मदद करने के लिए ऑफिस के कई धुरंधर मौजूद थे. 'अरे यार, कोई तो उसे अकेला छोड़ो' शर्मा जी मन ही मन भुनभुनाए और अपने काम में भिड़ गए. आखिरकार 1 घंटे की जबरदस्त मेहनत के बाद शर्मा जी ने आईटीआर फाइल कर ही दिया. अपने डॉक्युमेंट्स पहले स्कैन करने के लिए शर्मा जी को लड़ाई करनी पड़ी, लेकिन ऐसी छोटी-मोटी लड़ाई तो ऑफिस में आम बात है.
ऑफिस और लंच का झंझट...
अब ऑफिस है कॉर्पोरेट वर्ल्ड है, काम का प्रेशर है तो रोज लंच करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता. सुबह से दोपहर हो गई थी, मिस मिश्रा तो लंच भी कर आई थीं और शर्मा जी बेचारे काम के बोझ के तले एक बार फिर से लंच स्किप कर चुके थे. ऐसा अक्सर होता है कि काम के प्रेशर में किसी कर्मचारी का खाना छूट गया हो. दिन भर में अब तक दो लोगों से थोड़ी बहस हो चुकी थी. कॉर्पोरेट वर्ल्ड में दी जाने वाली दो-चार प्रचलित गालियां भी एक दूसरे को दी जा चुकी थीं, लेकिन वैलेंटाइन तो अभी बाकी ही था ना. मूड को खराब ना करते हुए शर्मा जी ने सोचा कि शाम 4 बजे की चाय पर मिस मिश्रा को बुलाया जाए.
तो आखिरकार मिस मिश्रा को फेसबुक पर मैसेज भेजा गया. कैफेटेरिया में मिलना तय हुआ. मिस मिश्रा और शर्मा जी दोनों ही बड़े अच्छे मूड में आ गए. मिस मिश्रा के लिए लाए हुए चॉकलेट बॉक्स को जैसे-तैसे फाइलों के बीच छुपाकर शर्मा जी कैफेटेरिया में जाने को खड़े हुए वैसे ही बॉस ने उन्हें कैबिन में बुला लिया.
यस सर.... ओके सर, आई विल डू दैट सर...
मिस मिश्रा तो पहुंच चुकी थीं, लेकिन शर्मा जी बेचारे बॉस के केबिन में थे. फोन जेब में पड़ा वाइब्रेट हो रहा था. यकीनन मिस मिश्रा का ही होगा. न्यूटन के चचा का एक लॉ है, अगर आप ऑफिस में जल्दी में हैं उस वक्त बॉस आपको जरूर बुलाएगा. इस एक्शन का रिएक्शन कुछ ऐसा होता है कि चाहें कोई भी कर्मचारी हो ऐसे समय में वो 1 घंटे से पहले फ्री नहीं हो पाता. बेचारे शर्मा जी, बॉस ने उन्हें काम दे दिया और उन्होंने भी रटे-रटाए वो शब्द बोल दिए जो आदि काल से सभी कर्मचारियों के बीच प्रचलित हैं. "यस सर.... ओके सर, आई विल डू दैट सर..."
मिस मिश्रा वेट करते-करते वापस अपनी सीट पर आ चुकी थीं. बात करना तो दूर आज शर्मा जी को उन्हें जी भर निहारने की भी फुरसत नहीं मिली थी. मिस मिश्रा का एक्साइटमेंट और शर्मा जी का मूड दोनों ही किसी क्लाइंट मीटिंग की तरह बिगड़ सा गया था.
घर जाने का समय हो गया था और शर्मा जी काम में ऐसे व्यस्त थे कि वो अगले दो घंटे तक फ्री नहीं होने वाले थे. ऑफिस ब्वॉय के जरिए मिस मिश्रा को चॉकलेट पहुंचाई गई और शर्मा जी ने दो घंटे पहले भेजा हुआ मिस मिश्रा का मैसेज अब देखा. मैसेज में लिखा था 'हैप्पी वैलेंटाइन्स डे'. पूरे दिन की भागदौड़ में शर्मा जी विश करना ही भूल गए थे.
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