व्यंग्य : नीतीश के बाद माया की मुहिम संभालेंगे प्रशांत
मायावती का मानना है कि अच्छे दिन का फॉर्मूला फेल हो चुका है. या, वो तो फेल होना ही था. इसलिए उसका तो जिक्र भी नहीं करना.
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सियासत के उस एलीट क्लब में मायावती भी शामिल होने जा रही हैं. अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही इसके मेंबर रहे. अब इसमें यूपी की पूर्व सीएम मायावती का नाम भी शामिल हो जाएगा.
दरअसल, मायावती ने मोदी और नीतीश की चुनावी मुहिम संभाल चुके प्रशांत किशोर के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है.
साफ है - अगले चुनाव में यूपी में भी अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा जैसा प्रचार देखने को मिलेगा.
सुपर-30 के संस्थापक प्रोफेसर आनंद कुमार को मायावती पहले ही बीएसपी की सलाहकार मनोनीत कर चुकी हैं.
प्रशांत किशोर ने मायावती को शुरुआती तौर पर कुछ टिप्स दिए हैं, जिन पर काम शुरू भी हो गया है. मायावती के सबसे ताजा भरोसेमंद स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी जबान से तो नहीं, लेकिन आंखों से इस बात की तस्दीक की है.
बहुजन माया किचन
यहां लोगों को मायावती के हाथ का खाना खाने का सौभाग्य प्राप्त होगा. खास मौकों पर मायावती अपनी खास पसंदीदा डिश खुद अपने हाथों से परोसेंगी. हर नए डिश का उद्घाटन मायावती छौंका लगा कर करेंगी. एक्सक्लुसिव फीचर ये होगा कि यहां पूरी तरह कैशलेस व्यवस्था लागू होगी. बोले तो, न तो अम्मा किचन जैसा और न ही आम आदमी कैंटीन जैसी.
बहुजन समाज को यहां नियमित तौर पर मुफ्त खाना मिलेगा. उसके लिए उन्हें एक खास कूपन देना होगा.
ये कूपन साल में एक ही बार मायावती के जन्मदिन पर बांटा जाएगा. जो भी मायावती को बर्थडे गिफ्ट देगा उसे ऐसे कूपन दिए जाएंगे. जाहिर है, जैसा गिफ्ट उतने कूपन.
माय-दलित कॉम्बो
'माय-दलित.' ये सोशल इंजीनियरिंग का नया इक्वेशन है. प्रशांत किशोर ने इसे बिहार के ताजा अनुभव के आधार पर रेकमेंड किया है.
'माय' यानी मुस्लिम-यादव, और दलित. दलित मायावती का अपना वोट बैंक है - और उसके साथ 'माय' का कॉम्बिनेशन. मायावती को प्रशांत का ये आइडिया धांसू लगा है. अब मायावती भी चाहती हैं मुस्लिम और यादव दोनों मुलायम से दूर होकर सिर्फ और सिर्फ उनके साथ जुड़ जाएं.
बुरे दिन आएंगे
मायावती ऐसे ही शॉक ट्रीटमेंट देती रहती हैं. और मायावती ने खुद प्रशांत किशोर को ऐसा करने के लिए कहा है.
असल में प्रशांत यूपी में भी 'अच्छे दिन...' के पैटर्न पर स्लोगन गढ़ना चाह रहे थे. मायावती ने प्रशांत को क्लिअर कर दिया कि वो सिर्फ उनकी बातों को लागू करने में एनर्जी लगाएं. आइडिया अवश्य दें, लेकिन जैसे मोदी और नीतीश के साथ उन्हें लागू करने की जिद पर उतर जाते थे - वैसा करने का तो कभी मन में ख्याल भी न लाएं.
मायावती का मानना है कि अच्छे दिन का फॉर्मूला फेल हो चुका है. या, वो तो फेल होना ही था. इसलिए उसका तो जिक्र भी नहीं करना.
बुरे दिन का फंडा मायावती के अपने दिमाग की उपज है जिसमें उन्होंने प्रशासनिक अनुभव के चलते दक्षता हासिल की है.
बुरे दिन आएंगे... मतलब बुरे दिन ही आएंगे. मगर किसके?
भ्रष्ट अफसरों के. लापरवाह अधिकारियों के. सारे अपराधियों के. ...और जिन्हें माय-दलितों की फिक्र नहीं.
मूर्तियों का 'डीएनए टेस्ट'
मानो तो देव नहीं तो पत्थर. मायवती की नजर में मनुवादियों का ये फॉर्म्यूला आजमाये हुए नुस्खे की तरह बरकत दे सकता है.
बस मानने की ही तो बात है. मान लिया जाए कि मूर्तियों में जान है - और जान है तो उनका डीएनए भी है.
मायावती की दूरगामी सोच इसमें प्रिवेंटिव मेजर देखती है. कहीं मोदी ने उनके डीएनए पर सवाल खड़े करने की कोशिश की तो - पहले से ही डीएनए सैंपल तैयार रहेगा - फौरन ही उन्हें 7, आरसीआर भेज दिया जाएगा. रेडी टू पोस्ट.
बहुजन भागीदारी मुहिम
इस मुहिम का स्लोगन है - बहुजन साथ, बहुजन विकास - यानी जब बहुजन साथ रहेंगे तो मेजॉरिटी के लिए तरक्की का रास्ता आसान हो जाएगा. अगर ऐसा हो पाया तो जो कोई भी बहुजन समाज का हिस्सा नहीं होगा वो अल्पसंख्यक हो जाएगा.
मुस्लिम चूंकि 'माय-दलित' फैक्टर के तहत बहुजन समाज के साथ होंगे इसलिए उन पर लगा माइनॉरिटी का ठप्पा भी अपने-आप खत्म हो जाएगा. फिर तो मुस्लिमों को न तो कोई अल्पसंख्यक कह पाएगा - और न ही उन्हें वोट बैंक समझ कर उनके साथ कोई राजनीति कर पाएगा.
अबकी बार माया सरकार
अमेरिका की पॉलिटिकल एक्शन कमेटी की तर्ज पर बनाए गए प्रशांत किशोर के सिटिजंस फॉर एकाउंटेबल गवर्नेंस की टीम की ओर से माया की मुहिम के लिए कई तरह के स्लोगन भी तैयार किये हैं. हालांकि, अभी उन्हें मायावती के अप्रूवल का इंतजार है.
कुछ स्लोगन ऐसे भी हो सकते हैं -
1. "तिलक-तराजू और तलवार, अबकी बार सिर्फ माया सरकार"
2. "बहुत हुआ बिहार बिहार, अबकी बार सिर्फ माया सरकार"
3. "न दंगा न दलित अत्याचार, अबकी बार सिर्फ माया सरकार"
4. "न संघ परिवार न जनता परिवार, अबकी बार सिर्फ माया सरकार"
5. "अब आएगी माय-दलित सरकार, अबकी बार सिर्फ माया सरकार"
मायावती की मुहिम में हर स्लोगन में 'सिर्फ' लगा रहेगा. सिर्फ मतलब बहुमत से है. प्रशांत ने मायावती को समझाया कि सिर्फ के साथ वो मतदाताओं से बहुमत की अपील करें, ताकि छह-छह महीने की सरकार बनाने जैसी नौबत फिर न आए.
बहुजन समाज की बहुमत वाली सरकार. वाकई, बहनजी की माया तो ऐसी ही है.
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