गुस्ताखी माफ, राष्ट्रपति - उपराष्ट्रपति उम्मीदवार क्लास मॉनीटर जैसे क्यों ?
पहले राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद, फिर उपराष्ट्रपति के लिए वेंकैया नायडू. अब इन दोनों को देखकर मैं अपने अतीत में चला गया हूँ, और उसमें मुझे मेरा बचपन और अपना क्लासरूम दिख रहा है.
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कई दिनों की उमस के बाद आज सुबह दिल्ली में भी जम के बारिश हुई. बात सुबह की है, हाथ में गरम - गरम भुट्टा पकड़े बारिश से बचने के लिए मैं एक दुकान में खड़ा था. दुकानदार शायद खबरों का शौकीन था और उसने अपने टीवी पर न्यूज चैनल लगा रखा था. चैनल पर राष्ट्रपति चुनाव की बात चल रही थी. टीवी वाले एंकर बता रहे थे कि देश के 14 वें राष्ट्रपति के लिए लगभग सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और वोटिंग जारी है. जिस समय तक मैं ऑफिस पंहुचा उस समय तक लगभग सभी ने राष्ट्रपति चुनने के लिए अपने-अपने वोट डाल दिए थे.
अभी देश के नए राष्ट्रपति के लिए वोट डालकर सांसद, विधायक घर भी नहीं पहुंचे थे कि खबर आई कि उप राष्ट्रपति के लिए भाजपा ने वेंकैया नायडू को मैदान में उतारा है. इस देश के किसी भी आम नागरिक के लिए वाकई ये एक बड़ी खबर है. ऐसा इसलिए क्योंकि शायद ही किसी ने कल्पना की हो कि उपराष्ट्रपति के तौर पर, सूचना प्रसारण मंत्री को सामने लाकर भाजपा यूं सियासी गलियारों में हडकंप मचा सकती है और विरोधियों के मुंह पर ताला लगा सकती है.
राष्ट्रपति कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया, सारे सीधे बच्चों को मॉनिटर बना रही है भाजपा पहले राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद, फिर उपराष्ट्रपति के लिए वेंकैया नायडू. अब इन दोनों को देखकर मैं अपने अतीत में चला गया हूँ, और उसमें मुझे मेरा बचपन और अपना क्लासरूम दिख रहा है. मैं देख रहा हूं कि, मैं अपने स्कूल में हूं और क्लासरूम में बैठा हूं. क्लास का मॉनिटर जिसे हम चिंटू कहते थे मेरा चेला और साथ ही जिगरी दोस्त है. जो न तो कभी अन्य बच्चों से बात करने के चलते ब्लैक बोर्ड पर मेरा नाम लिखता है और न ही होम वर्क न करने के चलते, क्लास टीचर या सब्जेक्ट टीचर से मेरी शिकायत करता है.
मानिए या न मानिए, मगर जब क्लास का मॉनिटर दोस्त के अलावा आपका चेला हो तो बिल्कुल राजाओं वाली फीलिंग आती है. एक बच्चे के लिए क्लास के मॉनिटर से दोस्ती बड़ी खास होती है. अगर क्लास का मॉनिटर बच्चे का पक्का वाला दोस्त हो या फिर उसका चेला हो तो फिर कहने ही क्या. क्लास की साधारण शैतानियों से लेकर दूसरे स्कूल के बच्चों से लड़ाई झगड़े और मार पीट तक बच्चा कुछ भी करे, मजाल है जो ये बातें क्लास टीचर या पीटी वाले मास्टर साहब तक चली जाएं.
इन बातों को फिर से पढ़िये और इसे राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के चुनाव को ध्यान में रखकर समझने का प्रयास करिए. भाजपा के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार कोविंद हैं, उपराष्ट्रपति पद के लिए पार्टी वेंकैया नायडू को सामने लेकर आई है. कांग्रेस मीरा को राष्ट्रपति और गोपाल कृष्ण गांधी को उपराष्ट्रपति बनाना चाहती है.
यानि मोदी समेत भाजपा और सोनिया समेत कांग्रेस यही चाहती हैं कि जो भी हो 'क्लास का मॉनिटर' उनका अपना आदमी ही रहे. वो आदमी जो उनकी मर्जी से काम कर सके, अपने स्तर से उनकी गलतियों को छुपा सके, उनके कहे अनुसार चल सके. दोनों ही पार्टियों द्वारा अपने-अपने राष्ट्रपति - उपराष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने के पीछे भले कोई भी कारण/पैमाने रहे हों, लेकिन एक आम आदमी के लिए इसे समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. उसके लिए तो यह सारा खेल 'चिंटू' चुनने के जैसा है. मॉनीटर का चुनाव.
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