कहीं RTI के सवाल देख भगवान श्री कृष्ण का भी माथा न चकरा गया हो!
भगवान श्री कृष्ण को लेकर जिस तरह अनूठे सवालों से लैस आरटीआई को मथुरा प्रशासन के पास भेजा गया, एडीएम की तो छोड़िये किसी का भी टेंशन में आना स्वाभाविक है.
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हमारे बीच दो तरह के आदमी हैं. पहले वो जो साधारण हैं और दूसरे वो जो जिज्ञासु हैं. साधारण आदमी की सबसे अच्छी बात ये होती है कि उसे उतना ही जानने की इच्छा होती है, जितने में उसका काम चल जाता है. वहीं इसके विपरीत जिज्ञासु वो होता है जिसे दूध को दही बनाने वाले बैक्टीरिया से लेकर ये तक जानना होता है कि भगवान कृष्ण का जन्म कहां हुआ? उनका गांव कौन सा था? ब्रज में उन्होंने क्या किया? जिज्ञासु लोगों को न तो दूध से मतलब होता है न ही दही से. ये सिर्फ इसलिए सब कुछ जानना चाहते हैं क्योंकि इन्हें सब कुछ जानना होता है.
बात दूध दही की चल रही हो और हम भगवान श्री कृष्ण को भूल जाएं तो पाप लगेगा. पाप जब लगेगा तब लगेगा, मगर जो मथुरा में हुआ है अगर उसे भगवान श्री कृष्ण ने देखा होगा तो उन्हें गुस्सा तो नहीं मगर हंसी जरूर आई होगी. और वो वो भी सोच रहे होंगे कि कौन है ये नादान? कहां से ये चला आया? छत्तीसगढ़ के एक जिज्ञासु व्यक्ति ने भगवान श्री कृष्ण को लेकर आरटीआई डाली है.
भगवान श्री कृष्ण को लेकर एक अनूठी आरटीआई ने मथुरा प्रशासन की नींद उड़ा दी है
छत्तीसगढ़ के एक सूचनाधिकार कार्यकर्ता ने मथुरा के जिला प्रशासन से भगवान कृष्ण के जन्म, उनके गांव, उनके द्वारा ब्रज की लीलाओं आदि के संबंध में कई जानकारियां मांगी है. आरटीआई एक्टिविस्ट के सवाल ऐसे हैं जिन्होंने प्रशासन की रातों की नींद और दिन का चैन उड़ा दिया है और प्रशासन फिलहाल असमंजस में है कि इस अजीब ओ गरीब आरटीआई पर उसे क्या जवाब देना चाहिए.
इस अपनी तरह की अनूठी आरटीआई पर जिले के मुख्य जनसूचना अधिकारी एवं अपर जिलाधिकारी (एडीएम) (लॉ एंड आर्डर) रमेश चंद्र का कहना है कि जनमान्यता एवं निजी आस्था से जुड़े इन सवालों के क्या जवाब दिए जाएं इसे लेकर फिलहाल पशोपेश की स्थिति बनी हुई है.
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर निवासी आरटीआई कार्यकर्ता जैनेन्द्र कुमार गेंदले ने जनसूचना अधिकार अधिनियम- 2005 के तहत 10 रुपए का पोस्टल ऑर्डर भेजकर जिला प्रशासन से पूछा है कि गुजरे 3 सितम्बर को देश भर में कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर अवकाश घोषित कर भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाया गया. इसलिए कृपया उन्हें भगवान श्रीकृष्ण के जन्म प्रमाणपत्र की प्रमाणित प्रतिलिपि उपलब्ध कराई जाए. जिससे यह सिद्ध हो सके कि उनका जन्म उसी दिन हुआ था.'
इसके अलावा आरटीआई एक्टिविस्ट ने ये भी पूछा है कि उन्हें बताया जाए कि क्या वे सच में भगवान थे? और थे, तो कैसे? उनके भगवान होने की प्रमाणिकता भी उपलब्ध कराई जाए. साथ ही गेंदले ये भी जानना चाहते हैं कि भगवान कृष्ण का गांव कौन सा था? उन्होंने कहां-कहां लीलाएं कीं.
इतने सारे प्रश्नों पर जिले के एडीएम का तर्क है कि हिन्दू धर्म से संबंधित तमाम ग्रंथों, पुस्तकों आदि में इस प्रकार के वर्णन मौजूद हैं कि भगवान कृष्ण का जन्म द्वापर युग में तत्कालीन शौरसेन जिसे वर्तमान में मथुरा के नाम से जाना जाता है, जनपद में हुआ था. और उन्होंने यहां के राजा कंस का वध करने के पश्चात द्वारिका गमन से पूर्व पग-पग पर अनेक लीलाएं की थीं. इसलिए धार्मिक आस्था से जुड़े ऐसे सवालों के क्या जवाब दिए जाएं, इस पर विचार किया जा रहा है.
बहरहाल, गेंदले ने अपने ज्ञान की गेंद फेंक ये जानकारी क्यों मांगी इसका तो वही जानें. मगर जिस तरह उन्होंने प्रशासन के सामने सवाल दागे हैं लग रहा है कि उन्होंने टीवी चैनल पर किसी क्विज शो में पार्टिसिपेट करना है और उन्होंने तैयारी का श्री गणेश करते हुए भगवान श्री कृष्ण को चुना है. जानकारी मांगने वाले गेंदले को सोचना चाहिए कि भगवान श्री कृष्ण बड़े निर्मोही हैं. अतः उन्हें अगर जानकारी मिल भी गई तो वो उसके दम पर कुछ विशेष न कर पाएंगे हां अलबत्ता इस बेतुकी पब्लिसिटीसे नुकसान उन्हीं का होगा.
खैर, गेंदले को सोचना ये भी चाहिए कि पब्लिसिटी से पेट नहीं भरता इसलिए अगर वो आरटीआई डाल भी रहे हैं तो किसी ऐसे काम के लिए डालें जिससे समाज को फायदा हो. कहना गलत नहीं है कि आज देश के किसी भी आम नागरिक के लिए आरटीआई एक बड़ा हथियार है. इस हथियार का जिस तरह से इस्तेमाल गेंदले ने किया है. अवश्य ही ये बात भगवान श्री कृष्ण को दुःख देगी, जिसके चलते शायद उन्हें भगवान का कोप ही भोगना पड़ जाए.
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