चलो भ्रष्टाचार से जुड़ा कुछ तो खत्म हुआ
जब ‘भ्रष्टाचार विरोधी’, ‘भ्रष्टाचार निर्मूलन’ और ‘अगेन्सट करप्शन’ जैसे शब्द सीधे भ्रष्टाचार से जुड़ जाएं तो इनका खत्म किया जाना तो जरूरी है. ऐसा नहीं होगा तो कहीं फिर सत्ता की कमान संभालने वालों के ऊपर खतरा मंडराता ही रहेगा.
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लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान भले भ्रष्टाचार खत्म करने का बिगुल जोरशोर से बजाया गया और दस साल से सत्ता पर काबिज भ्रष्ट कांग्रेस को उखाड़ फेंका गया, लेकिन आज यह कहें कि देश से भ्रष्टाचार खत्म किया जा चुका है तो गलत होगा. हां, इतना जरूर है कि इस बिगुल को बजाने के लिए जिम्मेदार अन्ना हजारे के एनजीओ के सभी ट्रस्टी को जरूर सस्पेंड कर दिया गया है. वह भी इसलिए कि अन्ना के एनजीओ ने अपने नाम से ‘भ्रष्टाचार विरोधी’ शब्द को हटाने से मना कर दिया है.
महाराष्ट्र के पूणे शहर में रजिस्टर्ड अन्ना हजारे के एनजीओ ‘भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन’ समेत 20 एनजीओ को अपने नाम से ‘भ्रष्टाचार विरोधी’, ‘भ्रष्टाचार निर्मूलन’ और ‘अगेन्स्ट करप्शन’ जैसे शब्दों को हटाने के लिए जून 2014 मे नोटिस दिया गया था. एनजीओ रजिस्टर करने वाले सरकारी विभाग का दावा है कि उसे कई एनजीओ के खिलाफ यह शिकायत मिली थी कि वे अपने नाम में इन शब्दों का इस्तेमाल करके सरकारी अफसरों और विभागों से धन उगाही करते हैं.
बहरहाल, कई बार नोटिस दिए जाने के बावजूद अन्ना हजारे ने अपनी संस्था का नाम बदलने से साफ मना कर दिया था और सरकार से मांग की थी कि वह एनजीओ को प्रताड़ित करने की जगह देश से भ्रष्टाचार खत्म करने पर ध्यान दे. अन्ना हजारे के इस रुख के चलते पूणे के सरकारी महकमे ने अन्ना हजारे समेत उनके एनजीओ के सभी ट्रस्टियों को अगले फैसले तक सस्पेंड कर दिया है.
लिहाजा यह अच्छी बात है कि भ्रष्टाचार से जुड़ा कुछ तो खत्म करने की कवायद शुरू हुई है. अब ‘भ्रष्टाचार विरोधी’, ‘भ्रष्टाचार निर्मूलन’ और ‘अगेन्स्ट करप्शन’ जैसे शब्द सीधे भ्रष्टाचार से जुड़ जाएं तो इनका खत्म किया जाना तो जरूरी है नहीं क्या पता अगले चुनावों में एक बार फिर सत्तारूढ़ पार्टी को बाहर का रास्ता देखने की नौबत आ जाए.
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