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Updated: 23 जून, 2018 05:47 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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वैसे तो भारत क्रिकेट का देश है मगर 300 रुपए में केबल की सुविधा होने के कारण हम भारतीय तीरंदाजी से लेकर आइस हॉकी तक खेल कोई भी हो सब देख लेते हैं. भले ही हमें ये न पता हो कि टेनिस में सर्विस कब बदलती है और पोलो के खेल में घोड़े की पूंछ को क्यों बांधा जाता हो मगर चूंकि हम देख रहे हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वाले कानून के मद्देनजर हमारा ओपिनियन हर खेल पर है.

बात खेल की हो रही है और तब जबकि FIFA World Cup 2018 का खुमार लोगों के सिर चढ़ कर बोल रहा है तो आज मुद्दा भी यही है. आज हम बात इस वर्ल्ड कप के एक ऐसे टूर्नामेंट की करेंगे जिसमें जो हुआ शायद ही उसकी उम्मीद किसी को थी और उसमें भी सीजनल फैंस को तो बिल्कुल नहीं थी.

मेसी, अर्जेंटीना, क्रोएशिया, फीफा वर्ल्ड कप 2018   दर्शकों को उम्मीद थी कि अर्जेंटीना क्रोएशिया को आसानी से हरा देगी

बात हो रही है अर्जेंटीना और क्रोएशिया के मैच की. भारतीय समय के अनुसार रात 11.30 शुरू हुए इस मैच को भारतीयों ने सिर्फ इसलिए देखा क्योंकि इसमें मेसी खेल रहे थे. बाक़ी टीम में कौन कौन था इससे हम भारतीयों को कोई मतलब नहीं है वजह ये कि हमें और किसी का नाम नहीं पता और जिनका पढ़ भी लेते हैं उनका नाम प्रोनाउंस नहीं कर पाते. खेल शुरू हुआ. खाना वाना खाकर अर्जेंटीना के भारतीय फैंस हाथ में रिमोट पकड़े टीवी स्क्रीन के सामने थे. इन बेचारों को रिमोट कैसे मिला ये भी अपने आप में एक लम्बी कहानी है. किसी ने बीवी से लड़ाई की तो कहीं कोई मान मनव्वल के दम पर रिमोट हासिल करने में कामयाब हुआ.

भारतीय फैंस को उम्मीद थी कि अर्जेंटीना, क्रोएशिया को आसानी से हरा देगी और मुकाबला एक तरफ़ा रहेगा. मगर हुआ इसका उल्टा. पहले हाफ तक तो हालत ये थी कि कब अर्जेंटीना वाले क्रोएशिया के खिलाड़ियों को थप्पड़ मार दें और दोनों टीमों में लड़ाई हो जाए कहना मुश्किल था. फर्स्ट हाल्फ तक जितनी बार गेंद पर खिलाड़ियों के पैर नहीं पड़े उतनी बार फाउल हुआ. कभी ऑफ साइड तो कभी कुछ. बेचारे रेफरी का भी गला सूख गया सीटी बजाते-बजाते.

मेसी, अर्जेंटीना, क्रोएशिया, फीफा वर्ल्ड कप 2018   कहना गलत नहीं है इस मैच से दर्शकों को निराशा ही हाथ लगी

कहीं लात तो कहीं घूंसा ऐसा लगा ही नहीं कि फुटबॉल का मैच चल रहा है. लग रहा था कि कुश्ती हो रही है और भाग भाग कर कुश्ती लड़नी है. फर्स्ट हाफ, फर्स्ट हाफ के बाद एक्स्ट्रा टाइम ग्राउंड की हालत कुछ ऐसी थी कि यदि अर्जेंटीना वाले अपने को सेर कहते तो क्रोएशिया वाले भी ये कहकर आगे आ जाते कि "तू सेर तो मैं सवा सेर".

अच्छा चूंकि हाफ टाइम तक गोल नहीं पड़ा था तो कुछ भारतीय फैंस सो गए और जो नहीं सोये उनकी बीवियों ने उन्हें इतना घूरा कि बेचारे दबे मन से सोने पर मजबूर हो गए. हाफ टाइम के बाद मैच फिर शुरू हुआ. इस समय तक कीड़े फिर कुलबुलाए कि अबकी तो मेसी भाई गोल मार ही देंगे मगर स्थिति वही ढाक के तीन पात. अर्जेंटीना फिर संघर्ष करते हुए दिखी.

धक्का मुक्की का दौर चल ही रहा था और 53 मिनट बीत चुके थे कि तभी वो हुआ जो अपने आप में अनहोनी थी. क्रोएशिया के खिलाड़ी रेबिच ने गोलकीपर की गलती का फायदा उठाया और एक्रोबेटिक किक की बदौलतगोल मारकर क्रोएशिया को बढ़त दिलाई. इस गोल के बाल अर्जेंटीना टेंशन में आना लाजमी था. रेबिच के बाद 80वें मिनट में मोड्रिच ने गोल दागकर क्रोएशिया की जीत लगभग पक्की कर दी.

मेसी, अर्जेंटीना, क्रोएशिया, फीफा वर्ल्ड कप 2018   अर्जेंटीना और क्रोएशिया को एक ऐतिहासिक मैच कहा जा सकता है

छोटे छोटे पास के बाद मोड्रिच ने अपने कब्जे में गेंद ली और कुछ देर तक गेंद को अपने पास रखते हुए आसानी से जगह निकाली और सीधा नेट के अंदर पहुंचा दिया. 90 मिनट के खेल तक क्रोएशिया ने 2-0 से बढ़त बना ली थी, लेकिन चार मिनट के एक्स्ट्रा टाइम के पहले ही मिनट में रेटिचिक ने शॉट लगाया, लेकिन गोलकीपर ने बखूबी बचाया, इसके बाद रिबाउंड पर रेटिचिक ने गोल कर बहती गंगा में हाथ धो लिया. इस समय तक अर्जेंटीना के समर्थकों के बीच मातम का माहौल था. खेल तीन मिनट और चला और क्रोएशिया ने मुकाबला 3-0 से जीत लिया.

मेसी, अर्जेंटीना, क्रोएशिया, फीफा वर्ल्ड कप 2018   मैच में मेसी की हालत कुछ कुछ राहुल गांधी के जैसे थी

इस मैच को देखकर हम भारतीयों के सामने 2014 की यादें ताजा हो गयीं जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे और भाजपा ने क्लीन स्वीप मारी थी. कहना गलत नहीं है कि क्रोएशिया ने बिल्कुल बीजेपी की तरह खेला और अर्जेंटीना के हीरो मेसी की हालात कुछ वैसी ही थी जैसी आज राहुल गांधी की है. हारने के बाद बेचारे समझ नहीं पाए की हुआ क्या. इस मैच को देखने मैराडोना भी आए थे. हार के बाद जब कैमरा उनके ऊपर गया तो देखने वालों को एक बार लगा कि बॉक्स में मैराडोना नहीं सोनिया गांधी हैं जो इस हार को देखकर बौखला गई हैं. खैर 90 मिनट का खेल था मगर इतिहास रच दिया गया है और कहना गलत नहीं है ये हार राहुल गांधी बने मेसी और सोनिया का रूप लिए बॉक्स में बैठे मैराडोना को जिंदगी भर याद रहेगी. 

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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