व्यंग्य : बिहार में एक दूल्हा, दो बारात
'दुल्हन' एक, बारात दो. दोनों बारातियों को यही लगता है कि दुल्हन को 'पिछड़ा दूल्हा' ही पसंद आता है. देखने वाली बात होगी कि 'दुल्हन' किसे वरमाला पहनाती है...
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दो बारात सज-धज कर पूरी तरह तैयार है. बाराती भी बिल्कुल नागिन डांस के मूड में आ चुके हैं. कुछ तो पोल डांस शुरू भी कर चुके हैं. आखिर पूरे पांच साल बाद ये मौका मिला है. बैंड बाजा का तो हाल ये है कि दोनों पक्ष के बाराती ही एक दूसरे का बैंड बजा रहे हैं. अब जब दो बारात एक साथ निकलेगी तो ये कोशिश तो होगी ही कि दूसरे को नीचा दिखाया जाय. उन्नीस साबित कर दिया जाय. यहां भी ऐसा ही हो रहा है. सजावट से लेकर आतिशबाजी तक में एक दूसरे पर बीस पड़ने की होड़ लगी हुई है. कोई आरक्षण का पटाखा फोड़ रहा है तो कोई पिछड़ा बम फोड़ रहा है. किसी ने अगड़ा बम फोड़ने की कोशिश की तो वो फुस्स होकर रह गया. इसे देख दोनों ओर के बारातियों ने इससे तौबा कर लिया है. ऐसे में कोई डीएनए की चरखी चला रहा है तो कोई जाति वाला रॉकेट छोड़ रहा है. कुल मिलाकर ऐसा मजमा जमा है कि बस देखते ही बनता है. बरसों बाद लोग ऐसी बारात देख रहे हैं. अरे मैं ये तो बताना भूल ही गया कि बारात किनकी है? एक बारात एनडीए की है तो दूसरी महागठबंधन की.
लेकिन तभी वो हो गया, जिसकी कल्पना ही किसी ने नहीं की थी. अचानक हल्ला हुआ कि दूल्हा तो एक ही है. यानि बारात दो लेकिन दूल्हा एक. लालू प्रसाद यादव ने (वैसे पहले लालू प्रसाद से कम चल जाता है लेकिन चुनाव के वक्त यादव नहीं लिखा जाय तो वो बुरा मान सकते हैं.) बड़े ही ठसक के साथ कहा कि हमारी बारात में तो दूल्हा है लेकिन उनकी बारात में दूल्हा कहां है. लालू ने कहा कि हमारे दूल्हे तो नीतीश कुमार हैं लेकिन उनकी घोड़ी से दूल्हा गायब है. ऐसा नहीं है कि एनडीए के बारातियों को ये बात पता नहीं थी लेकिन ऐन वक्त पर जब नागिन डांस का मूड बन ही रहा था तो लालू ने चुभने वाला सवाल पूछ कर खलल डाल दिया. वैसे बैंड बाजा वाले ‘मैं तेरा दुश्मन, दुश्मन तू मेरा’ की धुन बजाए जा रहे थे.
अब लालू को भी पता है कि उनका आज का दूल्हा पांच साल पहले एनडीए की बारात का ही दूल्हा था. वैसे ये पकड़ुआ बिआह (विवाह) नहीं है, दूल्हे ने अपने मन से ही बारात बदल ली है लेकिन इसकी कसक एनडीए के बारातियों में तो है ही. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जब ये कहा कि नीतीश कुमार ने पीठ में छूरा घोंपा है तो उनकी यही कसक झलकी थी. खैर, पांच साल पहले जिस दूल्हे के सहबाला सुशील कुमार मोदी थे, आज उसी दूल्हे के सहबाला लालू यादव बने हुए हैं.
एनडीए के बारातियों को इस बात पर तो गुस्सा आना ही था. आया भी. सीधे सवाल ठोंक दिया कि जो दूल्हा 17 साल में हमारा नहीं हुआ वो लालू का क्या होगा? यही नहीं, दूल्हे और सहबाला से सीधे हमला समधी पर. सुशील कुमार मोदी ने कटाक्ष किया कि उनका तो समधी ही भाग गया तो फिर अकेले दूल्हा लेकर क्या करेंगे? उन्होंने समधी का नाम भी बता दिया - मुलायम सिंह यादव. महागठबंधन के नेता पहले वही थे लेकिन आप जानते ही हैं कि शादी ब्याह में लेन देन को लेकर खटपट होती ही है. कभी बात बन जाती है और कभी बिगड़ जाती है. अब यहां सीटों के लेन देने पर बात नहीं बनी तो समधी बिदक कर निकल लिए और अपनी अलग बारात सजा ली.
अब ऐसा भी नहीं है कि एनडीए वाले योग्य दूल्हा नहीं ढूंढ रहे हैं. तलाश जारी है लेकिन उनका कहना है कि जब दुल्हन शादी के लिए तैयार हो जाएगी तब वो अपने दूल्हे का नाम बताएंगे. हालांकि उन्होंने इतना तो साफ कर दिया है कि दूल्हा अगड़ा नहीं पिछड़ा ही होगा. शायद दोनों बारातियों को यही लगता है कि दुल्हन को पिछड़ा दूल्हा ही पसंद आता है. लेकिन फिलहाल तो संकट बना हुआ है क्योंकि बारात दो है और दूल्हा एक. अब देखना ये है कि बारात बदल चुके नीतीश कुमार के गले फिर वरमाला पड़ता है या दुल्हन उसे चुनती है, जिसके बारे में उसे अभी तक कुछ पता नहीं.
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