व्यंग्य: विदेश दौरे को विराम, अब मंगल की सैर पर मोदी
शुक्र है मंगल मिशन कामयाब हो गया. मोदी ने अब विदेश यात्राओं को विराम देते हुए मंगल की सैर पर जाने का फैसला किया है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनोवेशन के इतने कायल हैं कि पुरानी और परंपरागत चीजों से उनका मन जल्दी भर जाता है. पहले उन्हें विदेश यात्राओं का बड़ा क्रेज था, लेकिन धीरे धीरे उससे भी उनका मन ऊबने लगा है. शुक्र है मंगल मिशन कामयाब हो गया. मोदी ने अब विदेश यात्राओं को विराम देते हुए मंगल की सैर पर जाने का फैसला किया है.
मंगल कैसा है
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि जब वो प्रचारक थे तभी एक बार मंगल की यात्रा पर भी गए थे, लेकिन तब तक वहां कोई विकास नहीं हो पाया था. मोदी के अनुसार मंगल मिशन के लिए ही नीति आयोग का गठन किया गया और उसी की बदौलत वहां विकास की किरण पहुंच पाई.
मोदी ने ये भी बताया है कि मंगल का क्षेत्रफल कुल साढ़े 55 बीघा है - और उसकी 52 बीघा जमीन पर भारत का कब्जा हो चुका है - बाकी बची साढ़े तीन बीघा जमीन में से भारत ने अपने दो दोस्तों बराक और शी जिनपिंग को एक एक बीघा दे दिया है. उसके बाद डेढ़ बीघा बच रहा था तो उसमें पूरी दुनिया को बोली लगानी होगी. बड़ा प्लेयर होने के नाते भारत को अपने पड़ोसी चुनने का भी अधिकार हासिल है. यानी अगर भारत चाहे तो पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका को वहां भी पड़ोसी के रूप में बसा सकता है या फिर उन्हें किसी दूसरी छोर पर दफ्तर खोलने के लिए कुछ स्पेस अलॉट किया जा सकता है. इसके साथ ही गया की रैली में मोदी ने एक और खुलासा किया कि मार्स मिशन की कामयाबी में भी बिहार के लोगों का ही हाथ है. उसमें भी खास बात ये रही कि ये वे लोग हैं जिनके पूर्वज बिहार से जाकर गुजरात में बस गए थे.
मोदी के मुताबिक भारत के हिस्से वाली जमीन पर सरकार ने फिलहाल पुदीना लगवा दिया है, ताकि खाली पड़ा समझ कर किसी और ग्रह के लोग कब्जा न जमा लें.
मोदी की मंगल यात्रा
मोदी के लिए मंगल पर मेगा-पीएमओ स्थापित करने की तैयारी है. मेगा इसलिए क्योंकि मिनी तो पहले से ही बनारस में है. चूंकि मोदी पांच साल के लिए मंगल यात्रा पर जानेवाले हैं इसलिए उस पीरियड के लिए एक 'स्पेशल-विल' यानी वसीयतनामा तैयार किया जा रहा है. उसका ड्राफ्ट अरुण जेटली ने तैयार किया है. ड्राफ्ट में पॉवर ऑफ अटॉर्नी का प्रावधान है जिसके हिसाब से मोदी की गैरमौजूदगी में शासन व्यवस्था चलाने के तौर तरीके पहले से तय होंगे.
पॉवर ऑफ अटॉर्नी
पॉवर ऑफ अटॉर्नी के तहत मौजूदा मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को देश का अगला राष्ट्रपति बनाने का फैसला किया गया है. ड्राफ्ट कमेटी के पास राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए तमाम लोगों ने अपनी अपनी राय भेजी थी, लेकिन स्मृति के नाम पर ही आम राय बन पाई.
सरकार को सबसे ज्यादा आइडिया देकर लिम्का बुक में नाम दर्ज कराने वाले जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने इसके लिए कैटरीना कैफ का नाम सुझाया था. कैटरीना टॉप टेन की लिस्ट में तो पहले नंबर पर रहीं लेकिन टॉप फाइव आते आते वो तीसरे स्थान पर खिसक गईं.
कैटरीना के नाम की सिफारिश करते हुए काटजू ने अपने ब्लॉग 'सत्यम् ब्रूयात्' पर लिखा, "संविधान के अनुसार राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होता है. यानी, मुल्क के बारे में बाहर जो कोई भी जानना चाहेगा वो उसी चेहरे से जानेगा. अगर वो चेहरा खूबसूरत हो तो दुनिया में हमारा देश कितना खूबसूरत दिखेगा. इसलिए मैं इस पद के लिए कैटरीना कैफ का नाम रेकमेंड कर रहा हूं. वैसे तो मेरी नजर में दो और चेहरे भी हैं जिन्हें मैं रेकमेंड कर सकता हूं, लेकिन मेरी फर्स्ट च्वाइस कैटरीना ही हैं".
टॉप फाइव लिस्ट में स्मृति का नाम तो कैटरीना के बाद चौथे स्थान पर था, लेकिन चयन समिति ने काटजू पर राजस्थान के उस ज्योतिषी की भविष्यवाणी को तरजीह दी जिसने कहा था कि एक दिन स्मृति ईरानी राष्ट्रपति जरूर बनेंगी. माना गया कि स्मृति को राष्ट्रपति बनाए जाने में अगर कोई बाधा नहीं आती तो उसकी भविष्यवाणी सही साबित होगी. जिस तरह स्मृति को लेकर भविष्यवाणी सच साबित होगी उसी तरह देश को लेकर भी ज्योतिषी की बातों पर यकीन किया जा सकेगा. फिर तो देश को एक ऐसा ज्योतिषी मिल जाएगा जो अपने अपने घर के एक कोने में बैठे बैठे चुटकी बजाते मुल्क की तकदीर लिख दिया करेगा.
लिस्ट में तीन और भी नाम थे, लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया गया है. माना जा रहा है कि उनमें लालकृष्ण आडवाणी और कल्याण सिंह के नाम भी हो सकते हैं - और इसीलिए उन्हें गोपनीय रखा गया है.
इसके साथ ही सुषमा स्वराज को प्रमोट कर उप प्रधानमंत्री बना दिया गया है. मोदी की गैरमौजूदगी में सुषमा ही देश की शासन व्यवस्था की प्रभारी होंगी. इस मामले में भी काफी जद्दोजहद के बाद फैसला हो पाया - क्योंकि मुश्किल ये थी कि ऐसा होने पर उन नेताओं को भी, जिन्हें कीर्ति आजाद ने आस्तीन का सांप कहा था, पूछ कर काम करना पड़ेगा और पूरे वक्त वो टकराव का कारण बनेगा. बताते हैं कि अमित शाह ने भरोसा दिलाया है कि ज्यादा टकराव होने की स्थिति में कुछ देर के लिए वो खुद अपने हाथ में कमान ले लेंगे.
हालांकि, ये सारे फैसले दो साल बाद ही लागू होंगे जब 2017 में मौजूदा राष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म होगा. चर्चा ये भी है कि अगर बीजेपी बिहार विधानसभा चुनाव जीत जाती है तो मंगल अभियान का सीधा फायदा वहां के लोगों को मिलेगा.
बिहार में मंगल
अगर आपने गौर किया हो तो मुजफ्फरपुर की रैली में मोदी ने कहा था कि अगर बिहार के लोगों ने बीजेपी को वोट दिया तो पटना से मंगल पर जाने के लिए एक वर्चुअल सीढ़ी लगवा देंगे. ये सीढ़ी किसी को दिखाई तो नहीं देगी बस होगा इतना कि गेट से एंट्री करते ही एस्केलेटर जैसा प्लेटफॉर्म कुछ ही मिनटों में मंगल पर पहुंचा देगा. लेकिन पहले चरण में वे लोग ही जा पाएंगे जो डीएनए टेस्ट में पास हो पाएंगे. दूसरे फेज में तो सभी लोग नेपाल की तरह ही मंगल पर भी आने जाने लगेंगे.
मोदी ने कहा था कि चुनाव बाद अगर बीजेपी की सरकार बनती है तो इतनी सुविधाएं... इतनी सुविधाएं, इतनी सुविधाएं देंगे कि क्या बताएं कि कितनी सुविधाएं देंगे?
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