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Updated: 23 जुलाई, 2015 11:41 AM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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अरविंद केजरीवाल की टीम में पत्रकारों की अच्छी खासी तादाद है. कुछ तो आप उम्मीदवार के तौर पर चुनाव भी लड़ चुके हैं. कुछ पार्टी में न रहते हुए भी ट्विटर और फेसबुक पर दिन रात लगे रहते हैं. अपने तर्कों से केजरीवाल के हर कदम को सही और उनके दुश्मनों को गलत ठहराने में जुटे रहते हैं.

माना जाता है कि केजरीवाल इनमें से कई पत्रकारों को दिल्ली से राज्य सभा में भेजने का आश्वासन दे चुके हैं. इस मामले में केजरीवाल को एक ही बात का मलाल रहता है. क्योंकि उनका एक आश्वासन अधूरा रह गया जिसे वो वाकई पूरा करना चाहते थे. शायद नियति को मंजूर न था.

केजरीवाल के 'भगवान'

केजरीवाल उन पत्रकार के इसलिए फैन बन गए क्योंकि उन्होंने अपने कुत्ते का नाम 'एडिटर' रखा हुआ था. उन्हीं से प्रेरणा लेते हुए केजरीवाल ने जब रिवॉल्वर का लाइसेंस लिया तो उसका नाम 'भगवान' रख दिया.

आपने सुना होगा कि केजरीवाल ने सुरक्षा लेने से मना कर दिया था. जब भी सुरक्षा की बात उठती उनका एक ही जवाब होता, उन्हें सिर्फ 'भगवान' पर भरोसा है. अभी कम लोगों को ये बात मालूम होगी कि केजरीवाल किस भगवान की बात करते हैं. केजरीवाल हमेशा अपने इस 'भगवान' को साथ ही रखते हैं.

केजरीवाल से जुड़ी एक और बात है जो कम लोगों को मालूम है. दिल्ली सचिवालय में केजरीवाल ने एक काउंसिलिंग सेंटर बना रखा है. कहते हैं जब भी किसी से मतभेद होता है केजरीवाल काउंसिलिंग सेंटर में बैठाकर ही समझाते हैं. और ज्यादातर कामयाब रहे हैं.

केजरीवाल और पुलिस कमिश्नर भीमसेन बस्सी की मीटिंग भी यहीं होनी थी. लेकिन जब पुलिस कमिश्नर यूनिफॉर्म में पहुंचे तो सलाह मशविरा करके वेन्यू बदल दिया गया. अब मीटिंग कॉन्फ्रेंस हॉल में रख दी गई.

दरअसल, कॉन्फ्रेंस हॉल में कोई भी असलहा लेकर अंदर नहीं जा सकता. हथियार गेट के पास लॉकर में रखना होता है. यही एक जगह होती है जहां केजरीवाल के भगवान साथ नहीं होते.

पुलिसवाले को 'रूल' सिखाओगे

हॉल के गेट पर जब गार्ड ने बस्सी से रिवॉल्वर जमा करने को कहा तो उन्होंने इंकार कर दिया. बस्सी का तर्क था कि चूंकि वो पुलिस अफसर हैं और उनके पास उनकी सर्विस रिवॉल्वर है और उसे वो दिल्ली पुलिस के लॉकर के अलावा कहीं नहीं रख सकते.

"देख लीजिए, रूल है."

केजरीवाल बस इतना ही बोले. इस पर बस्सी ने कहा कि वो भी तो नियमों का ही हवाला दे रहे हैं.

"अगर मीटिंग नहीं करनी है तो मैं निकलूं."

केजरीवाल मान गए. फिर बस्सी बोले, 'चलिए, एक काम करते हैं. आपके काउंसिलिंग सेंटर में बैठ कर बात करते हैं. मैं आपके नियम भी नहीं तोड़ना चाहता.'

केजरीवाल के तो पैरों तले जमीन ही खिसक गई. "इसे कैसे पता काउंसिलिंग सेंटर के बारे में!" केजरीवाल को कुछ समझ में नहीं आ रहा था. अब तो कोई बहाना भी नहीं बना सकते थे.

बस्सी को ये बात अरसे से मालूम थी कि जो कोई भी केजरीवाल की मुखालफत करता है वो काउंसिलिंग सेंटर ले जाकर ही समझाते हैं. अगर कोई नहीं सुनता तो वो 'भगवान' की मदद लेते हैं. ज्यादातर लोग तो मान ही जाते हैं. अब तक सिर्फ दो अपवाद रहे हैं. एक, प्रशांत भूषण और दूसरे, योगेंद्र यादव.

पुलिस कमिश्नर के पास ऐसी भी खबरें थीं कि बाद के दिनों में भी केजरीवाल 'भगवान' के नाम पर डरा धमका कर सवाल खड़े करने वालों का मुंह बंद कराते रहे हैं.

काउंसिलिंग सेंटर में ये पहला मौका था जब केजरीवाल के साथ 'भगवान' नहीं थे. बस्सी ने सेंटर में घुसते ही फिल्मों की तरह अंदर से दरवाजा लॉक कर दिया.

केजरीवाल तो अंदर तक हिल गए लेकिन चेहरे से मुस्कान नहीं हटने दी. बातचीत में भी जरा सी घबराहट नहीं थी. वैसे ही कूल. पूरी तरह.

उसके बाद तो जो हुआ उसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो. बस्सी ने पूरे पुलिसिया अंदाज में केजरीवाल को हड़काया. असल में जब से केजरीवाल ने पुलिलवालों को 'ठु***' कहा था उनका खून खौल रहा था.

'ठु***' बोले तो ठोक देंगे

"सा*, रिवॉल्वर तेरी ग** में डाल दूंगा. अगर फिर कभी किसी पुलिसवाले को ठु*** बोले तो."

इतना ही नहीं पुलिस कमिश्नर ने एक और रिवॉल्वर दिखाया और बोला, "यहीं तेरा एनकाउंटर भी करूंगा. अनिल कपूर की फिल्म नायक तो देखे ही होगे."

इसके साथ ही पुलिस कमिश्नर ने कहा कि जितने लोगों की वहां काउंसिलिंग की गई है सभी का उन्होंने 'इन कैमरा' बयान ले रखा है. "सब कोर्ट में गवाही देने को भी तैयार हैं."

केजरीवाल ने न तो कोई विरोध किया, न ही उनके मुंह से कोई शब्द निकला. इसके बाद पुलिस कमिश्नर ने केजरीवाल से कुछ कागजों पर दस्तखत कराए जिनमें से कई ब्लैंक बताए जाते हैं.

मीटिंग के बाद दोनों जब बाहर निकले तो हाथ में हाथ डाले और मुस्कुरा रहे थे. ऐसा लग रहा था साउथ की किसी फिल्म के हीरो और एंटी हीरो हों - लेकिन कौन किस रोल में रहा समझना मुश्किल हो रहा था.

खबर है कि केजरीवाल ने कुमार विश्वास को प्रशांत भूषण के घर उन्हें मनाने के लिए भेजा है. चर्चा है कि जल्द ही वो रामलीला मैदान में दिल्लीवालों की एक मीटिंग बुलाकर प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव और पुलिसवालों को 'ठु***' कहने के लिए सरेआम माफी मांगनेवाले हैं. वैसे भी माफी केजरीवाल के लिए बेहद फायदेमंद साबित होती है.

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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