'कुत्ते वाले' IAS, न घर के रहे न घाट के!
केदारनाथ मंदिर (Kedarnath) में नंदी महाराज के पैर छूता हस्की ब्रीड का कुत्ता (Dog) हो या दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में टहलने वाला आईएएस (IAS) का ग्रेट डेन या फिर जापान (Japan) में एक शख्स द्वारा कोल्ली ब्रीड का कुत्ता बनने के लिए बनवाई गई कॉस्ट्यूम हो. सारी खूबियों के बाद भी कुत्ता हमेशा कुत्ता ही रहेगा. इंसान का न जाने क्या होगा!
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दिल्ली के एक आईएएस अफसर के कुत्ते के टहलने का समय होते ही त्यागराज स्टेडियम खाली करवा लिया जाता है. वहां प्रैक्टिस कर रहे एथलीट को सिक्योरिटी गार्ड कुत्ते के आने से पहले ही सीटी बजाकर स्टेडियम खाली करने का इशारा कर देते हैं. लिखी सी बात है कि भारत में एक आईएएस की जितनी हनक होती है. उतनी ही हनक उसके कुत्ते की भी होगी ही. अब जिस कुत्ते का मालिक आईएएस होगा. वो स्टेडियम तो क्या कुछ भी खाली करवा सकता है. वैसे भी त्यागराज स्टेडियम में प्रैक्टिस करने वाला हर एथलीट देश के लिए पदक थोड़े ही लाएगा. और, नेशनल चैंपियन वगैरह बनकर ये क्या ही कर लेंगे? आईएएस के कुत्ते का रेसिंग ट्रैक पर दौड़ना ज्यादा जरूरी है. क्योंकि, वो आईएएस का कुत्ता है. (अपडेट: IAS का कुत्ता तो जस का तस है, लेकिन अपनी हरकत के चलते आईएएस दंपति को गृह मंत्रालय ने ट्रांसफर कर दिया गया है. पति लद्दाख, तो पत्नी अरुणाचल प्रदेश).
कुलमिलाकर अच्छी किस्मत है तो कुत्ते की. आसान शब्दों में कहा जाए, तो अभिजात्य वर्ग द्वारा पाले गए विदेशी नस्ल के कुत्तों के लिए ही दुनियाभर में प्रेम नजर आता है. इन्हें आप अभिजात्य कुत्ते भी कह सकते हैं. वरना सड़कछाप और आवारा कुत्तों को तो सूखी रोटी से ऊपर कुछ भी नहीं मिलता है. वैसे, ये कुत्ता प्रेम हर तरह की सीमाओं को तोड़ने के लिए भी लालायित रहता है. लेकिन, शर्त केवल इतनी है कि कुत्ते सिर्फ अभिजात्य वर्ग के यानी विदेशी नस्ल के होने चाहिए.
News reports have brought to our notice that certain sports facilities are being closed early causing inconvenience to sportsmen who wish to play till late nite. CM @ArvindKejriwal has directed that all Delhi Govt sports facilities to stay open for sportsmen till 10pm pic.twitter.com/LG7ucovFbZ
— Manish Sisodia (@msisodia) May 26, 2022
कुत्ते तो कुत्ते होते हैं...
बीते कुछ दिनों में नोएडा का एक कुत्ता भी काफी सुर्खियों में रहा था. दरअसल, नोएडा के एक जोड़ा (विकास त्यागी और हिम्शी त्यागी) अपने बच्चे यानी कुत्ते को लेकर केदारनाथ की यात्रा पर गया था. कुत्तों की हस्की ब्रीड को बच्चा मानते हुए इन्होंने उसका नाम नवाब त्यागी रखा है. और, अपने बच्चे के नाम पर इस कुत्ते की इतनी खूबियां गिना डालीं कि अच्छा-भला आदमी डिप्रेशन में आ जाए. नवाब त्यागी के मम्मी-पापा की मानें, तो नवाब भारत का पहला पैराग्लाइडिंग करने वाला कुत्ता है. ये पहला ऐसा कुत्ता है, जिसके नाम के साथ सरनेम जुड़ा हुआ है. आदि-आदि-आदि का मतलब ये है कि इस जोड़े के अनुसार, नवाब त्यागी हर मामले में लाजवाब है. सोशल मीडिया पर तगड़ी फैन फॉलोइंग रखता है.
हालांकि, इनके ये मम्मी-पापा भी मानते हैं कि नवाब त्यागी सबकुछ करने वाला पहला 'कुत्ता' है. वैसे, नवाब त्यागी अगर कुत्ता न होता तो, शायद खुद ही नंदी महाराज के जाकर पैर छू लेता. लेकिन, हाय री फूटी किस्मत. इसके लिए भी उसे अपने मम्मी-पापा की ओर देखना पड़ा. भले ही उसका मन हुआ हो या नहीं. लेकिन, उसके मम्मी-पापा के हिसाब से उसको एडवेंचर करना था. मतलब करना ही था. वरना हस्की ब्रीड का कुत्ता होने से उसमें एडवेंचर करने का कीड़ा या ईश्वर के प्रति अगाध श्रद्धा तो नहीं ही पैदा हो गई होगी. लेकिन, अब यही मम्मी-पापा नवाब त्यागी को कुत्ता मानने से इनकार कर अपना बेटा घोषित करने में लगे हुए हैं. क्योंकि, बदरी-केदार मंदिर समिति ने इनके खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी है. वैसे, इंस्टाग्राम के लिए रील्स बनाने के चक्कर में कुत्ते को कुत्ता न समझने पर इतना तो किया ही जा सकता है.
अगला भाई रील्स पर व्यूज बनाने के चक्कर में कुत्ते को ही केदारनाथ लेकर चला गया...ये कुछ नया है ?? pic.twitter.com/YB5L397Cq6
— ABHISHEK SEMWAL (@Abhiisshhek) May 15, 2022
कुत्ता प्रेम की भी सीमा होती है...
बदरी-केदार मंदिर समिति और भक्तों की भावनाएं आहत हुई हों या न हुई हों. लेकिन, एक आम से कुत्ता प्रेमी के तौर पर इसे देखकर मेरी भावनाएं जरूर आहत हुई हैं. मान लिया कि भैरव की सवारी से लेकर शनिवार को काले कुत्ते को रोटी खिलाने वाले टोटके इसी भारतीय समाज में होते हैं. और, धर्मराज युधिष्ठिर के साथ उनके कुत्ते के स्वर्ग में जाने की कहानी भी इसी देश की है. लेकिन, कुत्ते के प्रेम की भी एक सीमा होती है. इन सभी कहानियों और टोटकों में कुत्ते को इंसान नहीं बनाया गया है. कुत्ता हमेशा कुत्ते की तरह ही ट्रीट किया गया है.
मतलब कुत्ते से प्रेम की एक सीमा होती है. मेरे भी घर में कुत्ता पला है. लेकिन, उसके साथ प्यार के चक्कर में मैं कुत्ता थोड़े ही बन जाऊंगा. कुत्ते को बच्चा मानकर कोई उसके बर्तन में ही उसका जूठा थोड़े खाने लगेगा. कुत्तों के भाव बढ़ाने में उनके मालिकों का ही योगदान रहता है. वरना आवारा कुत्ते या सड़कछाप कुत्ते अगर किसी के घर में भी घुस जाए, तो उसे डंडे से लेकर जो चीज हाथ में आ जाए. उसे लेकर दौड़ा लिया जाता है. शुद्ध हिंदी में कहा जाए, तो भैया, एक बात गांठ मार के याद कर लीजिए कि ये सारे चोंचले विदेशी कुत्तों के लिए ही हैं.
कुत्ते नहीं, कुत्ता मालिकों की भावनाएं होती हैं आहत
मतलब कुत्तों को लेकर लोग इस कदर सेंसिटिव हो गए हैं कि आज के समय में कुत्ते को कुत्ता कह दो. तो, कुत्तों की तो भावनाएं क्या ही आहत होती होगी, उनके मालिकों की भावनाएं आहत हो जाती हैं. कुत्तों को लेकर एक नए तरीके का लॉजिक सामने आया है कि कुत्तों को कुत्ता नहीं कहो....खराब लगता है. उनको डॉग बोलो....बहुत पोलाइट शब्द है. खैर, सभी कुत्ता मालिकों से करबद्ध क्षमा मांगने के साथ इस कुत्ता कथा का आरंभ करना चाहिए था. लेकिन, अपनी भावनाओं को आहत होता देख ऐसा कर नहीं सका. मतलब कुत्ते को श्वान, कूकुर जैसे नाम भी दिए जा सकते हैं. और, इन शब्दों का धार्मिकता से उतना ही लेना-देना है. जितना नवाब त्यागी यानी केदारनाथ गए कुत्ते का भगवान नंदी से होगा.
लोगों के भी गजब चोंचले
वैसे, जापान में एक भाई साहब ने कुछ ही दिन पहले खुद को कुत्ता बनाने के लिए एक कॉस्ट्यूम सिलवाई है. और, ऐसी वैसी कॉस्ट्यूम नहीं इसे बनवाने के लिए पूरे 20 लाख येन यानी 12 लाख भारतीय रुपये खर्च किए हैं. लेकिन, ऐसा नहीं है कि कुत्ते के प्रेम में वह पूरे समय के लिए कुत्ता बन जाना चाहते हों. वह कुछ ही समय के लिए कुत्ता बनना चाहते हैं. क्योंकि, वो उनका पसंदीदा जानवर है. देखा जाए, तो टोको नाम के इस शख्स ने कुत्ते को अपना पसंदीदा जानवर ही माना है. और, केवल प्रेम दर्शाने के लिए ही ऐसा किया है. नाकि, वह पूरी जिंदगी वैसा ही बने रहना चाहता है. क्योंकि, बाकी के टाइम में उसे भी इस दुनिया के आम लोगों की तरह अपनी नौकरी बजानी है. हां, एलन मस्क जैसा कोई जिंदगी भर कुत्ते के उस कॉस्ट्यूम में गुजारना चाहे, तो अलग बात है. क्योंकि, उन्होंने इतना कमा लिया है कि अब नहीं भी कमाएं, तो फर्क नहीं पड़ेगा.
着ぐるみをオーダーしてました! おかげさまで動物になってみたいという夢を叶えることができました! https://t.co/jUFxSWW6cl pic.twitter.com/zJIX8VcWfm
— トコ (@toco_eevee) April 11, 2022
अगले जनम मोहे विदेशी ब्रीड का कुत्ता ही कीजो...
केदारनाथ में नंदी महाराज के दर्शन करने गए साइबेरियन हस्की की बात करें या दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में प्रैक्टिस कर रहा जर्मन ब्रीड का ग्रेट डेन हो. आम लोगों का प्यार भी अभिजात्य वर्ग द्वारा पाले गए विदेशी नस्ल के कुत्तों के लिए ही नजर आता है. वरना भारत की हर गली में दसियों-बीसियों की संख्या में कुत्ते पाए जाते हैं. लेकिन, उनके लिए कोई कभी इतना ज्यादा और हटकर नहीं सोचता है. क्योंकि, देसी कुत्ते कुछ भी बन सकते हैं, सोशल मीडिया पर स्टार नहीं बन सकते हैं. विदेशी कुत्तों की ही अच्छी किस्मत होती है. महंगी गाड़ियों में घूमने से लेकर सर्वोच्च क्वालिटी का डॉग फूड केवल विदेशी नस्ल के कुत्तों को ही मिलता है. मतलब एक आदमी अपनी पूरी जिंदगी मेहनत कर जो नहीं पा सकता है. वो नवाब त्यागी या आईएएस का कुत्ता बनकर पा सकता है. कभी-कभी तो इनकी किस्मत से ईर्ष्या होने लगती है. लेकिन, इस जन्म में तो कुछ हो नहीं सकता. तो, अगले जनम मोहे विदेशी ब्रीड का कुत्ता ही कीजो.
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