Farmer Protest पर दो पाकिस्तानी मंत्रियों की बातें उदास चेहरों पर मुस्कान छोड़ जाती हैं!
जिसका अंदेशा था वो हुआ. किसान आंदोलन पर पाकिस्तान से बयान आ रहे हैं. इमरान खान की कैबिनेट के दो मंत्रियों फवाद चौधरी और शाह महमूद कुरैशी ने मोदी सरकार की आलोचना की है. मगर बड़ा सवाल यही है कि जो ख़ुद नंगा हो वो भला किस मुंह से दूसरे के कपड़े पर लगी धूल को लेकर हाय तौबा मचा रहा है.
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अब इसे इंटरेस्ट कहें या मजबूरी. हिंदुस्तान को लेकर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का तो ये है कि, यहां अगर रोड किनारे पड़े किसी कुत्ते का ठंड लगने से पेट खराब हो जाए तो पाकिस्तान के हुक्मरानों को भारत विशेषकर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोसने का बहाना ढूंढ ही लेते हैं. हिंदुस्तान की आलोचना नाकाम पाकिस्तान का सबसे पसंदीदा शगल है. जैसा खौफ़ पाकिस्तान में भारत को लेकर है यदि कराची के किसी घर में पकी सोयाबीन बिरयानी में नमक भी तेज हो जाए तो इमरान खान और उनके मंत्रियों को उसमें हिंदुस्तान की शरारत और पीएम मोदी का हाथ दिखाई देता है. बीते दिनों देश के साथ साथ पूरे विश्व ने 'राइट टू प्रोटेस्ट' वाली सुविधा के तहत नए कृषि बिल (New farm Bill) के विरोध में सड़कों पर उतरे किसानों को हुड़दंग मचाते, तोड़ फोड़ करते, पुलिस पर पत्थर फेंकते, लाल किले पर झंडा लगाते देखा. सबने देखा. पाकिस्तान ने भी देखा मगर चूंकि बात भारत के 'आंतरिक मामले ' से जुड़ी थी पाकिस्तान अपने पर काबू नहीं रख सका और बदहजमी इतनी ज्यादा थी कि उल्टी कर के ही उसे चैन पड़ा. अपनी हरकतों के आगे बेबस पाकिस्तान ने कृषि बिल के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के मद्देनजर टिप्पणी की है और भारत के आंतरिक मामले में घुसकर फिर इस बात की पुष्टि कर दी है बेशर्मी से बाज आने में अभी उसे लम्बी वक़्त लगेगा.
भारत में किसान आंदोलन के तहत इमरान खान के दो मंत्रियों ने अपने मन की बात की है
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपने बड़बोलेपन का मुजाहिरा किया है और हिंसा का समर्थन करते हुए एक बयान में कहा है कि भारत सरकार आंदोलनकारी किसानों की आवाज को दबाने में नाकाम रही है और अब पूरा भारत किसानों के साथ खड़ा है. कुरैशी साहब को ये जानकारी यदि उनके इंटेलिजेंस ने दी है तो इतना कन्फर्म हो गया है कि पाकिस्तान का इंटेलिजेंस भी उसके हुक्मरानों की तरह खोखला है.
बात पाकिस्तानी हुक्मरानों की हुई है तो हम विज्ञान और तकनीक, जिसका वैसे भी पाकिस्तान में कोई स्कोप नहीं है उसके मंत्री फवाद चौधरी को कैसे भूल सकते हैं. पूर्व में कई मौके आए हैं जब अपने अतरंगे ट्वीट से अपनी बुद्धि का परिचय दिया है. फवाद चौधरी ने कहा है कि पूरी दुनिया को भारत की दमनकारी सरकार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए.
Kissan ko Salam... #Punjab https://t.co/kbsZa0x5oO
— Ch Fawad Hussain (@fawadchaudhry) January 27, 2021
फवाद चौधरी अपने दिल पर हाथ रखें इमरान खान की आंखों में आंखें डालें और पूरी ईमानदारी से बताएं कि क्या उनकी डिमांड सही है? नहीं मतलब वो ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं. जिस मुल्क में मौजूदा सरकार अपनी नीतियों के चलते तमाम तरह की लानत और मलामत झेल रही हो. जहां किसी भी वक़्त इमरान खान की कुर्सी छीनी जा सकती हो.
जहां बहुसंख्यकों द्वारा अल्पसंख्यकों पर तमाम तरह के जुल्म किये जा रहे हों, यातनाएं दी जा रही हों वहां के हुक्मरान यदि भारत को लेकर बात करें और ये कहें कि दुनिया को भारत के मद्देनजर क्या करना चाहिए तो फिर सवालों का उठना लाजमी है.
कह सकते हैं कि जितना इंटरेस्ट फवाद चौधरी और शाह महमूद कुरैशी भारत की सियासत और किसान आंदोलन पर ले रहे हैं अगर उसका एक चौथाई भी उन्होंने पाकिस्तान में सिंधियों, बलोचों, हिंदुओं और सिखों के लिए लिया होता तो बात दूसरी होती. तब उस स्थिति में तमाम तरह की नैतिकता और आदर्शवाद की बातों को, एक नागरिक के रूप में हम भारतीय न केवल हाथों हाथ लेते. बल्कि उसे अमली जामा पहनाते और देश की सरकार की ईंट से ईंट बजा देते.
एक ऐसे समय में जब अपनी हरकतों के कारणवश पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तान नंगा खड़ा है. यदि वो भारत के दामन पर लगी धूल की तरफ दुनिया का ध्यान आकर्षित कराना चाह रहा है तो कोई भी समझदार व्यक्ति उसे पाकिस्तान की कमइल्मी की ही संज्ञा देगा।
चाहे वो फवाद चौधरी हों या फिर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी या फिर देश के प्रधानमंत्री इमरान खान ही क्यों न हों हम बस इस नोट के साथ अपने द्वारा कही बातों को विराम देंगे कि हिंदुस्तान में क्या हो रहा है? उसकी फ़िक्र एक मुल्क के रूप में पाकिस्तान और वहां के हुक्मरान न ही करें तो बेहतर है. मुल्क की फ़िक्र करने के लिए हम भारतीय ही बहुत हैं.
बाकी फवाद चौधरी और शाह महमूद कुरैशी का बयान किसानों के प्रदर्शन के मद्देनजर आया है तो हम ये जरूर कहेंगे कि भारत में लोकतंत्र है इसलिए किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. जिस देश का एक मात्र सहारा दहशतगर्दी हो और जहां बुलंद आवाज़ों को दबा दिया जाता हो जब वो नैतिकता की बातें करता है तो दुनिया का कोई भी समझदार आदमी उसे दोगलेपन और मक्कारी की ही संज्ञा देता है.
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