60 फीट लंबे और 500 टन वजनी लोहे का पुल चुराने वालों की क्रिएटिविटी को नमन!
500 टन का पुल चोरी हुआ है ये सिर्फ हिंदुस्तान में और हिंदुस्तान में भी सिर्फ बिहार में ही संभव है. आइए जानें किस तरह चोरी हुआ पुल और क्यों हमें 60 फीट लंबे और 500 टन वजनी लोहे के पुल को चुराने वाले चोरों की क्रिएटिविटी को नमन करना चाहिए.
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पैरों में बन्धन है पायल ने मचाया शोर !
सब दरवाज़े कर लो बन्द देखो आये आये चोर...
पैरों में बन्धन है.
...गाना मशहूर गीतकार आनंद बक्शी ने लिखा था और बताया था कि जब पैर बंधे हों चोर आ जाए तब पायल ही चौकीदार बनेगी. लेकिन तब क्या? जब चोर सामने से आए. बिहार के रोहतास में आए. नकली अधिकारी बन के आए और 60 फीट लंबे और 500 टन वजनी लोहे के पुल के रूप में एक ऐसी चोरी करे जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाए. मानिये न मानिये मगर शायद ऐसी ही स्थिति को ध्यान में रखकर मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने कलम उठाई होगी और शेर लिखा होगा जिसमें उन्होंने साफ़ लहजे में कह दिया कि
थी शबे-तारीक, चोर आए, जो कुछ था ले गए
कर ही क्या सकता था बन्दा खांस लेने के सिवा.
बिहार के रोहतास में चोरों ने जिस तरह पुल को चुराया है वो हैरान करने वाला है
दरअसल बिहार के रोहतास जिले में चोरी का अपनी तरह का एक अनोखा ही मामला प्रकाश में आया है. रोहतास के चोरों ने चोरी की वारदात में उतना दिमाग लगा दिया जितना अगर वो पढ़ाई लिखाई में लगाते तो शायद इन चोरों के रूप में दो चार आईएसएस देश को रोहतास से मिलते. चतुर चोरों ने तीन दिन में 60 फीट लंबे और 500 टन वजनी लोहे का पुल ऐसे गायब किया जैसे गधे के सिर से सींघ.
करने को तो इस घटना की पूरी केस स्टडी तैयार की जा सकती है. लेकिन मामले में जिन्हें अवार्ड मिलना चाहिए वो सिंचाई विभाग के क्यूट कर्मचारी हैं. क्यूट किसलिए? इसलिए कि दिनदहाड़े घटी इस घटना में चोरों ने कर्मचारियों से ही पुल कटवाया और गाड़ियों में भरकर उसका लोहा चुराया.
चूंकि इस तरह की अनोखी चोरियां हिंदुस्तान में और हिंदुस्तान में भी सिर्फ बिहार में संभव हैं. मामले के मद्देनजर जानकारी ये भी मिली है कि इस पुल को कटवाने में बुलडोजर, गैस कटर का भी इस्तेमाल हुआ. सवाल ये है कि असली अधिकारियों का ऐसा भी क्या बीजी होना कि उन्होंने घटना की कोई सुध ही नहीं ली? मतलब इलाके में कोई तो ऐसा रहा ही होगा जिसने काम में उलझे हुए असली वाले ऑफिसरों को बताया होगा कि साहब फलां जगह पर पुल कट रहा है. नहीं तो फिर खुद भी तो आते जाते उन्होंने पुल की लंका लगते हुए देखा ही होगा. ऐसी भी क्या सरकारी नौकरी की आदमी साइट पर जाकर वहां मौजूद लोगों से दो मिनट बात भी न कर पाए?
45 वर्ष पुराने 500 टन लोहे के पुल को 17 वर्षों की भाजपा-नीतीश सरकार ने दिनदहाड़े लुटवा दिया. चोर गैस कटर,JCB व सैंकड़ों मजदूरों के साथ आए और पुल को उखाड़ ले गए.चोर जनादेश चोरी से बनी NDA सरकार से प्रेरित है, कह रहे जब BJP और नीतीश जी बिहार में सरकार चुरा सकते है तो पुल क्या है? pic.twitter.com/LHgp026Xsf
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) April 9, 2022
चोरों की चालाकी का लेवल क्या था? इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे सिंचाई विभाग के अधिकारी बनकर गांव पहुंचे और विभागीय आदेश बताकर पुल को कटवाना शुरू कर दिया. अब क्योंकि मैटर विभागीय आदेश का था खुद बताइये क्या गांव या आसपास में किसी की हिम्मत हुई होगी कि वो मामले के मद्देनजर कुछ ज्यादा इफ बट करे?
आध्यात्म हो या फिर धर्म कहा यही जाता है कि जो कुछ भी घट रहा है या फिर जो कुछ भी घटने वाला है सब पहले से ही लिखा जा चुका है. यूं तो पुल की नियति में भी कटना लिखा था मगर शायद ही कभी उसने सोचा हो कि उसके साथ भी इस तरह का कुछ हो सकता है. अब जैसा कि दुनिया का दस्तूर है जैसे ही ये खबर बाहर आई और जंगल की आग की तरह फैली पूरे इलाके में हड़कंप मच गया. चूंकि असली अधिकारी पहले ही सवालों के घेरे में आ गए थे इसलिए और ज्यादा टाइम बर्बाद न करते हुए अधिकारीयों ने अपनी शिकायत दर्ज कराई है.
मामले ने पुलिस को भी हैरत में डाल दिया है. रोहतास के पुलिस अधीक्षक आशीष भारती मामले पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि, 'इस मामले की जांच की जा रही है. मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है और जल्दी ही दोषियों की गिरफ़्तारी करके चोरी हुए सामान को बरामद कर लिया जाएगा. इस मामले में सभी बिंदुओं पर जांच हो रही है.'
चोरों को पुल ही क्यों चुराना था ये एक जरूरी सवाल है जिसका जवाब बस इतना है कि लोहे का पुल जर्जर हो चुका था, इसलिए विभाग की ओर से इसके समानांतर कंक्रीट का एक पुल बना दिया गया था. गांव वाले भी लगातार इस पुल को हटाने की मांग कर रहे थे जिसके लिए उन्होंने आवेदन भी दिया था. मामले में दिलचस्प ये है कि चोरों ने भी ग्रामीणों के उसी आवेदन को हथियार बनाया और फिर जो हुआ वो हमारे सामने है.
बहरहाल, मामले की क्या जांच होती है? जांच में क्या नतीजा निकलता है? क्या पुल के अवशेष बरामद हो पाते हैं? कौन कबाड़ी है जो इतना लोहा लेगा? सवालों की लंबी फेहरिस्त है जिनके जवाब जांच नहीं समय देगा लेकिन जिस तरह चोरों ने चोरी की है उनके आगे दंडवत होकर प्रणाम करने का मन स्वयं हो जाता है. ऐसी चोरी कोई मामूली बात नहीं है इसके लिए शेर का कलेजा और लोमड़ी का दिमाग होना चाहिए और हां बाज की नजर को तो हमें भूलना ही नहीं है.
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